एक साथ कई लोन लेना होगा मुश्किल, पर्सनल लोन पर बैंक करेंगे सख्ती

आरबीआई ने 2025 में बैंकिंग नियमों में बदलाव किया है, जिसमें क्रेडिट ब्यूरो रिकॉर्ड को 15 दिन में अपडेट करने का निर्देश दिया है. इससे मल्टीपल लोन लेने वालों की वित्तीय स्थिति जल्दी और सटीक रूप से पहचानी जा सकेगी. इस बदलाव से "एवरग्रीनिंग" जैसी प्रैक्टिस पर भी रोक लगेगी.

आरबीआई ने 2025 में बैंकिंग नियमों में बदलाव किया है,

इस साल 2025 में आरबीआई ने बैंकिंग सेक्टर से जुड़े कई नियमों में बदलाव किया है, जिनमें से एक नियम मल्टीप्ल पर्सनल लोन के लिए लागू होता है. इस नए नियम के लागू होने के बाद अब मल्टीप्ल लोन लेने वाले लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, आरबीआई के नए नियम के अनुसार, मल्टीप्ल लोन देने वाली संस्थाओं को क्रेडिट ब्यूरो रिकॉर्ड को 15 दिन के अंदर अपडेट करना होगा, जबकि पहले यह एक महीने में किया जाता था.

आरबीआई ने यह निर्देश अगस्त में जारी किया था और लोन देने वालों तथा क्रेडिट ब्यूरो को 1 जनवरी तक अपने सिस्टम को अपडेट करने का समय दिया था. आरबीआई का कहना था कि इससे लोन लेने वालों के जोखिम का बेहतर आकलन किया जा सकेगा.

क्या होगा असर

क्रेडिट सूचना कंपनी CRIF हाईमार्क के चेयरमैन सचिन सेठ ने कहा, “अगर रिकॉर्ड महीने में एक बार अपडेट होते थे, तो उधारकर्ताओं की डिफॉल्ट या भुगतान की जानकारी 40 दिनों तक अपडेट नहीं हो पाती थी, जिससे क्रेडिट मूल्यांकन में देरी होती थी. अब 15 दिन में डेटा अपडेट होने से यह देरी कम होगी और उधारदाता ज्यादा सटीक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

SBI के चेयरमैन C S Setty ने भी कहा था कि जब नए उधारकर्ता लोन लेते हैं, तो वे कभी-कभी एक साथ कई लोन ले लेते हैं, जिससे उन्हें चुकाने में कठिनाई होती है. उन्होंने कहा कि बार-बार डेटा अपडेट करने से यह स्थिति कम होगी और उधारकर्ताओं का व्यवहार बेहतर ढंग से समझा जा सकेगा.

एवरग्रीनिंग जैसी प्रैक्टिस पर रोक लगेगा

लोन देने वालों का कहना है कि ज्यादा बार डेटा अपडेट होने से “एवरग्रीनिंग” जैसी प्रैक्टिस भी रोकी जा सकेगी, जिसमें लोने वाला पुराने डिफॉल्ट को कवर करने के लिए नए लोन का इस्तेमाल करते हैं. 15 दिन में डेटा अपडेट होने से लोन लेने वाली की वित्तीय गतिविधि अधिक सटीक और समय पर रिकॉर्ड होती है, जिससे लोन देने वालों के पास लोन लेने वाले की पहले से अधिक और सटीक जानकारी होगी.

क्या होती है एवरग्रीनिंग प्रैक्टिस

“एवरग्रीनिंग” एक प्रैक्टिस है जिसमें उधारकर्ता पुराने लोन को चुकाने के बजाय नए लोन के माध्यम से पुराने लोन को कवर कर लेते हैं. इसका मतलब है कि उधारकर्ता पुराने लोन के भुगतान को स्थगित करने के लिए नया लोन लेते हैं, जिससे उनकी कुल कर्ज की राशि और अधिक हो जाती है. यह प्रैक्टिस उधारकर्ताओं को तत्काल राहत देती है, लेकिन बैंक और वित्तीय संस्थानों के लिए यह जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि इस तरीके से उधारकर्ता कभी अपने पुराने कर्ज को पूरी तरह से चुका नहीं पाते और कर्ज का बोझ बढ़ता रहता है.