सैलरीड एंप्लोयी हैं, तो इनकम टैक्स से आपको मिल सकते हैं ये 8 तरह के नोटिस, जानें कैसे देना है जवाब

अगर आप सैलरीड एंप्लोयी हैं, तो इनकम टैक्स विभाग से आपको कई तरह के नोटिस मिल सकते हैं. एक सैलरीड एंप्लोयी की तरफ से अपने इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) में जब कोई गड़बड़ी हो जाती है, तो उसे नोटिस मिल सकता है. ये गलतियां गलत गणना, ली गई छूट से जुड़े दस्तावेज या किसी और तरह की गड़बड़ी से जुड़ी हो सकती हैं. सैलरीड एंप्लोयी के तौर पर उन नोटिसों के बारे में जानना बेहद जरूरी है, जो आपको मिल सकते हैं. इससे आप उनका जवाब देने के लिए पहले से तैयार रहते हैं.

विवाद से विश्वास 2.0 योजना की तारीख हुई पक्की, स्कीम के तहत वसूले जाएंगे करोड़ो के टैक्स Image Credit: Prapass Pulsub/Moment/Getty Images

सैलरीड एंप्लोयी अक्सर सोचते हैं कि इनकम टैक्स रिटर्न भरने के बाद उनको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से किसी तरह का कोई नोटिस नही मिलेगा. क्योंकि, उनके पास ऐसा कुछ है ही नहीं, जिसके लिए इनकम टैक्स उन्हें नोटिस भेजे. आमतौर पर सैलरीड एंप्लोयी को रिटर्न नोटिस नहीं भेजे जाते हैं. लेकिन, यह हमेशा के लिए कोई नियम नहीं है. रिटर्न में गड़बड़ी, दस्तावेजों में कमी, गणना में चूक जैसी वजहों से आपको नोटिस मिल सकता है. इस लिहाज से यह समझना जरूरी है कि किस तरह की स्थिति में आपको नोटिस मिल सकता है. किस तरह के नोटिस के पीछे संभावित कारण क्या होते हैं. इससे आपको नोटिस का उचित जवाब देने में मदद मिलेगी. यहां जानते है कौन-कौनसे नोटिस एक सैलरीड एंप्लोयी को मिल सकते हैं और इनके पीछे क्या कारण होते हैं.

धारा 143 (1) (a) टैक्स नोटिस

इसे इंटिमेशन नोटिस भी कहा जाता है. यह तब भेजा जाता है आपका आईटीआर पूरा प्रोसेस कर लिया गया होता है. इसमें आपको बताया जाता है कि आपने रिटर्न में जो जानकारियां दीं थीं, उन्हें विभाग ने स्वीकार किया है या नहीं. अगर जानकारियों में कोई अंतर पाया जाता है, तो इसका कारण भी इस नोटिस में बताया जाता है. यह अक्सर दी गई जानकारियों में तालमेल नहीं बनने पर जारी किया जाता है. ये जानकारियां आपकी आय और संपत्ति की गणनाओं, कर छूट के गलत दावे या आपके और आपके एंप्लोयर की तरफ से दी गई सूचनाओं में विसंगति से जुड़ी हो सकती हैं. इस रह के नोटिस को समीक्षाधीन वित्तीय वर्ष की समाप्ति से 9 महीने के भीतर जारी किया जाता है. ऐसे नोटिस का जवाब आपको 30 दिनों के भीतर देनी होती है. अगर इसमें आपसे किसी जानकारी पर सफाई नहीं मांगी गई है, तो इसका जवाब देने की जरूरत नहीं होती है.

धारा 139 (9) डिफेक्टिव आईटीआर नोटिस

अगर इनकम टैक्स अधिकारियों को लगता है कि आपका आईटीआर पूरा नहीं है. रिटर्न में दी गई जानकारियां संगत नहीं हैं. इस स्थिति में आपको धारा 139 (9) के तहत कर नोटिस मिल सकता है. इस तरह का अक्सर तब मिलता है, जब रिटर्न में HRA का दावा किया गया है, लेकिन सैलरी ब्रेकअप में कोई HRA नहीं दिखाया गया है. रिटर्न में आय पर TDS का दावा किया गया है, लेकिन उस आय को रिपोर्ट नहीं किया गया है. मसलन आइटीआर में आपने किसी FD पर काटे गए TDS का दावा किया है, लेकिन यह नहीं बताया है कि उसपर ब्याज कितना मिला था. इस तरह का नोटिस संबंधित वित्त वर्ष के खत्म होने के 9 महीने बाद तक जारी किए जा सकते हैं. वहीं आपको 15 दिन के भीतर इसका जवाब देना होता है.

धारा 142 (1) टैक्स नोटिस

इसे को मूल्यांकन से पहले जारी किए गए जांच नोटिस के तौर पर भी जाना जाता है. इस नोटिस के तहत आपको रिटर्न जमा करने के लिए कहा जाता है. खासतौर पर जब आपने धारा 139(1) के तहत आइटीआर दाखिल नहीं किया हो, तब रिटर्न पेश करने को कहा जाता है. इस तरह के नोटिस के पीछे कारण यह है कि विभाग स्पष्टीकरण चाहता है कि आपने मूल छूट सीमा से अधिक ज्यादा आय अर्जित करने और आय के विभिन्न स्रोतों को दर्शाने के बाद भी रिटर्न क्यों दाखिल नहीं किया. नोटिस मिलने के 15 दिन के भीतर आपको पूछे गए सभी सवालों के जवाब देने होते हैं. इसके अलावा आपको अपना रिटर्न और उसमें किए गए दावों के समर्थन में दस्तावेज पेश करने होते हैं. इस तरह का नोटिस कभी भी जारी किया जा सकता है.

धारा 143 (2) स्क्रूटनी नोटिस

स्क्रूटनी असेसमेंट नोटिस तब भेजा जाता है, जब विभाग आपके रिटर्न का विस्तृत मूल्यांकन करना चाहता है और आपके आय और कटौती के सभी दावों की वास्तविकता की पुष्टि करना चाहता है. ऐसा नोटिस संबंधित वित्तीय वर्ष के 3 महीने के बाद तक जारी किया जा सकता है. आमतौर पर ऐसे नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय होता है. हालांकि, नोटिस में भी आपको जवाब देने की समय सीमा बताई जाती है. आपको ऐसे नोटिस का जवाब देने के लिए अपनी आय कटौती के दावों से जुड़े सभी दस्तावेज तैयार रखने चाहिए.

धारा 148 कारण बताओ नोटिस

यह नोटिस आपकी आय मूल्यांकन से बची हुई आय के बारे में होता है. इसे एस्केपिंग नोटिस भी कहा जाता है. इसे तब जारी किया जाता है, जब मूल्यांकन अधिकारी (एओ) के पास सबूत होता है आपकी कोई आय पिछले वर्ष में मूल्यांकन से बच गई थी. नोटिस में आपसे पूछा जाता है कि आपने पहले उस आय के बारे में क्यों नहीं बताया. इसके अलावा आपके रिटर्न का पुनर्मूल्यांकन क्यों नहीं किया जाना चाहिए. 50 लाख से कम के मामलों में इस तरह का नोटिस 3 साल 3 महीने के भीतर जारी किया जा सकता है. 50 लाख रुपये ज्याादा के मामलो में 5 साल 3 महीने के भीतर जारी किया जा सकता है. इस तरह के नोटिस का जवाब 30 दिन के भीतर देना होता है.

धारा 245 टैक्स डिमांड नोटिस

इस तरह के नोटिस के तहत आयकर विभाग पिछले वर्ष के बकाया टैक्स की मांग करता है. आमतौर पर इस मांग को आपके रिफंड में एडजस्ट किया जाता है. हालांकि, यह एडजस्टमेंट तभी होता है, जब चालू वर्ष में आयकर बकाया या कर रिफंड बकाया हो. यह नोटिस तब जारी किया जाता है, जब आप अपना टैक्स नहीं चुकाते हैं. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको डिफॉल्टर मानता है. इस तरह का नोटिस जारी करने की कोई तय समय सीमा नहीं है. हालांकि नोटिस मिलने पर आपको 30 दिन के भीतर जवाब देना होता है. इस साल बजट में वित्त मंत्री ने आयकर की धारा 245 में संशोधन किया किया है. इसके तहत वित्तवर्ष 2009-10 तक की अवधि से संबंधित 25,000 रुपये तक और वित्त वर्ष 2010-11 से 2014-15 तक की 10,000 रुपये तक की बकाया कर मांगों को के नोटिस रद्द कर दिए गए हैं.

धारा 154 एरर नोटिस

जब इनकम टैक्स आपके रिटर्न को एक्सेप्ट किए जाने के बाद उसमें कोई गलती सामने आती है, तब इस तरह का नोटिस जारी किया जाता है. इस तरह का नोटिस जिस वर्ष के रिटर्न के संबंध में होता है उस वित्त वर्ष के अंत से 4 वर्ष के भीतर जारी किया जा सकता है. इसका जवाब देने के लिए आपको नोटिस में ही समय दिया जाता है. हालांकि, पूर्व निर्धारित समय सीमा 15 दिन की होती है.

धारा 263 ऑर्डर

किसी आयकर आयुक्त (सीआईटी) को अगर पता चलता है कि उसके अधीनस्थ अधिकारी ने कोई ऐसा आदेश पारित किया है, गलत है और सरकार के हित के खिलाफ है, तब इस तरह का आदेश जारी किया जाता है. यह आदेश जिस रिटर्न के संबंध में होता है उसक वित्तर्ष के खत्म होने के 12 महीने के भीतर जारी किया जाता है.