Budget 2025: SBI की डिमांड, घट जाए 5 फीसदी इनकम टैक्स; क्या मानेंगी वित्त मंत्री

Budget 2025 से पहले State Bank of India (SBI) ने अपनी रिपोर्ट में टैक्स सिस्टम में बदलाव का सुझाव दिया है. साथ ही, न्यू टैक्स रिजीम को अनिवार्य बनाने की सिफारिश की गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी 8.2 करोड़ टैक्सपेयर्स को सरल टैक्स सिस्टम में शिफ्ट किया जाए.

इनकम टैक्स Image Credit: jayk7/Moment/Getty Images

Budget 2025: State Bank of India (SBI) ने यूनियन बजट 2025-26 की अपनी प्रस्तावना रिपोर्ट में टैक्स सिस्टम में सुधार पर जोर दिया है. इस रिपोर्ट के अनुसार, सभी टैक्सपेयर्स के लिए न्यू टैक्स रिजीम को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव दिया गया है. इसका उद्देश्य भारत के जटिल टैक्स कोड को सरल बनाना है. हालांकि, इससे सालाना 50,000 करोड़ रुपये के राजस्व में नुकसान की संभावना है, लेकिन रिपोर्ट में इस बात पर बल दिया गया है कि लोगों की आय बढ़ाकर खपत को बढ़ाया जा सकता है.

क्या हैं सिफारिशें

सभी 8.2 करोड़ टैक्सपेयर्स को सरल टैक्स सिस्टम में स्थानांतरित किया जाए, जिससे पुरानी व्यवस्था के तहत प्रति फाइलर 4.5 लाख रुपये की औसत छूट समाप्त हो जाएगी.

छूट

  • NPS योगदान: 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये प्रति वर्ष.
  • हेल्थ इंश्योरेंस: 25,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये.

स्लैब रेशनलाइजेशन

  • 10-15 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी की रेट को घटाकर 15 फीसदी किया जाए.
  • 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसदी की अधिकतम रेट बरकरार रखी जाएगी.

राजस्व पर प्रभाव

  • केस 1: यदि रेट 25 फीसदी तक घटा दी जाए, तो 74,000 करोड़ से 1.08 लाख करोड़ रुपये का नुकसान.
  • केस 2: 30 फीसदी की रेट बरकरार रखते हुए और 10-15 लाख रुपये की रेट को 15 फीसदी करने पर 16,000 करोड़ से 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान.
  • केस 3: हाइब्रिड अपनाने पर 85,000 करोड़ से 1.19 लाख करोड़ रुपये का नुकसान.

रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि केस 2 राजकोषीय prudence और उपभोक्ता लाभ के बीच संतुलन स्थापित करता है. 30 फीसदी की टॉप रेट को बनाए रखने से GDP में 0.14 फीसदी की कमी आएगी, जबकि मध्यम आय वर्ग को 34,500 करोड़ से 1.15 लाख करोड़ रुपये की सालाना बचत होगी.

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कुछ राज्य कर सकते हैं विरोध

रिपोर्ट में कहा गया है कि “न्यूनतम रेवेन्यू लॉस के साथ रेट को रैशनलाइज बनाना भारत की 6.4 ट्रिलियन डॉलर की इंफ्रास्ट्रक्चर जरूरतों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है.” साथ ही यह भी कहा गया है कि नई व्यवस्था छूट से संबंधित मुकदमों को कम करके कंप्लायंस को बढ़ावा दे सकती है.

हालांकि, इस प्रस्ताव को विरोध का सामना करना पड़ सकता है. कर्नाटक (कल्याण योजनाओं पर 11% राजस्व व्यय) और महाराष्ट्र (9%) जैसे राज्य अपने वित्तीय हालात के कारण केंद्रीय टैक्स कटौती का विरोध कर सकते हैं.
SBI ने इन चुनौतियों को स्वीकार करते हुए कहा है कि पुरानी छूटों के कारण 1.5 करोड़ टैक्सपेयर्स के लिए यह कठिन हो सकता है, लेकिन 7 ट्रिलियन डॉलर की GDP के लक्ष्य के लिए सिंपलीफाई टैक्स स्ट्रक्चर से समझौता नहीं किया जा सकता.