Credit Card यूजर्स को Supreme Court से झटका,समय पर बिल नहीं भरने पर, अब चुकाना होगा ज्यादा बिल
सुप्रीम कोर्ट ने क्रेडिट कार्ड यूजर्स के लिए 20 दिसंबर को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. कोर्ट ने NCDRC के 2008 के फैसले पर रोक लगा दी, जिसके तहत क्रेडिट कार्ड के बिल का समय पर भुगतान न करने पर 30% से अधिक ब्याज वसूलने पर रोक थी.
क्रेडिट कार्ड यूजर्स के लिए 20 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने नेशनल कंज्यूमर डिसप्यूट रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) के 2008 के फैसले पर रोक लगा दी है. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब वे सभी कस्टमर जो अपना क्रेडिट कार्ड बिल समय पर नहीं भर पाते हैं, उन्हें अधिक ब्याज चुकाना पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए बड़े बैंकों की याचिका मंजूर की. जस्टिस बेला त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाले बेंच ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, सिटीबैंक, HSBC जैसे बैंकों की याचिका पर फैसला सुनाया और NCDRC के फैसले पर रोक लगाने का आदेश दिया.
क्या था NCDRC का फैसला?
2008 में NCDRC ने एक अहम फैसला सुनाया था. इसके मुताबिक, क्रेडिट कार्ड के ग्राहक यदि आखिरी तारीख तक अपना पूरा बिल नहीं चुकाते थे, तो भी बैंकों को 30 प्रतिशत से ज्यादा सालाना इंट्रेस्ट वसूलने की अनुमति नहीं थी. आयोग ने यह भी कहा था कि भारत में डिरेगुलेशन के बावजूद कई बैंकों का लेंडिंग रेट 10-15.50 प्रतिशत के बीच रहता है, तो 36-49 प्रतिशत इंट्रेस्ट लेना गलत है.
NCDRC ने यह फैसला दिया था कि इतनी ज्यादा ब्याज दरें वसूलना एक “अनुचित व्यापार प्रथा” (UNFAIR TRADE PRACTICE) है, क्योंकि बैंकों और क्रेडिट कार्ड होल्डर्स की मोलभाव करने की स्थिति को देखते हुए ऐसा लगता है कि ग्राहक के पास क्रेडिट कार्ड की सुविधा को स्वीकार नहीं करने के सिवाय दूसरा विकल्प नहीं है.
दूसरे देशों से तुलना
NCDRC ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दरों का भी स्टडी किया था. उसने पाया कि इन देशों में ब्याज दरें 9.99 प्रतिशत से लेकर 17.99 प्रतिशत तक होती हैं. वहीं, ऑस्ट्रेलिया में यह दरें 18 से 24 प्रतिशत के बीच रहती हैं.
अब क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब उन यूजर्स को 30 प्रतिशत से भी ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ सकता है जो अपना क्रेडिट कार्ड का बिल समय पर नहीं भर पाते हैं.