UPI पेमेंट करते वक्त क्या आपका भी फंस जाता है पैसा, NPCI का ये नियम रिफंड दिलाने में लाएगा तेजी
UPI ट्रांजेक्शन में होने वाली गड़बड़ियों को सुलझाने की प्रक्रिया अब और तेज होने जा रही है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने चार्जबैक अनुरोध को ऑटोमेटेड करने का फैसला किया है. इससे रिफंड प्रोसेस तेज होगा.

UPI (Unified Payments Interface) अब रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुका है. एक रुपये से लेकर 1000 और उससे भी ज्यादा के पेमेंट के लिए UPI करना आम बात है. तकनीक है तो समस्या भी है. कई बार इससे जुड़ी समस्याएं आ जाती हैं. कई ट्रांजेक्शन में गड़बड़ी हो जाती है. लेकिन ऐसे विवादित ट्रांजेक्शनों को सुलझाने का काम और तेज और आसान होने जा रहा है. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने चार्जबैक अनुरोध (Chargeback Requests) के स्वीकार या अस्वीकार किए जाने की प्रक्रिया को ऑटोमेटेड कर दिया है. इसका मतलब क्या है चलिए समझते हैं.
चार्जबैक प्रक्रिया क्यों बदली जा रही है?
अगर आपका UPI ट्रांजेक्शन फेल हो गया है और अभी तक आपको रिफंड नहीं मिला है, तो आपको अपने बैंक से चार्जबैक अनुरोध (Chargeback Request) उठाने की जरूरत पड़ती है. पहले, इस अनुरोध की जांच मैन्युअली की जाती थी, जिससे इसमें देरी होती थी.
अब, NPCI के नए नियमों के तहत चार्जबैक अनुरोध को ट्रांजेक्शन क्रेडिट कन्फर्मेशन (TCC) या रिटर्न रिक्वेस्ट (RET) के आधार पर ऑटोमेटिक रूप से स्वीकार या अस्वीकार कर दिया जाएगा. इससे प्रक्रिया तेज हो जाएगी.
- TCC (Transaction Credit Confirmation) और RET (Return Request) दो ऐसे सिस्टम हैं, जो यह जानकारी देते हैं कि ट्रांजेक्शन की राशि लाभार्थी बैंक (Beneficiary Bank) के पास पहुंची है या नहीं.
- अगर पैसा लाभार्थी बैंक के पास पहले से ही पहुंच चुका है, तो ट्रांजेक्शन को सफल माना जाएगा और चार्जबैक अनुरोध की जरूरत नहीं होगी.
- अगर पैसा किसी वजह से लाभार्थी बैंक में क्रेडिट नहीं हो पाया, तो उसे भेजने वाले बैंक (Remitter Bank) के ग्राहक को वापस कर दिया जाएगा.
पहले यह प्रक्रिया मैन्युअल करनी होती थी, जिसमें काफी समय लग जाता था. अब यह ऑटोमैटिक होगी जिससे ट्रांजेक्शनों से जुड़े विवाद जल्दी निपटेंगे.
NPCI ने 10 फरवरी 2025 के सर्कुलर में क्या कहा?
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, NPCI ने बताया कि चार्जबैक अनुरोध कई बार भेजने वाले बैंक द्वारा उस समय ही उठा लिया जाता है, जब लाभार्थी बैंक को अभी रिटर्न रिक्वेस्ट (RET) प्रोसेस करने का समय भी नहीं मिला होता.
ऐसे मामलों में कई बार होता यह है कि, लाभार्थी बैंक ने पहले ही पैसा वापस करने (RET) की प्रक्रिया शुरू कर दी होती है, लेकिन चूंकि चार्जबैक अनुरोध पहले ही उठ चुका होता है, तो रिटर्न रिक्वेस्ट रिजेक्ट हो जाता है और चार्जबैक प्रक्रिया खुद ही बंद हो जाती है. इससे कुछ बैंकों को RBI के नियमों के उल्लंघन के कारण पेनल्टी भी भरनी पड़ी है.
इस समस्या को हल करने के लिए NPCI ने फैसला लिया है कि अब चार्जबैक अनुरोधों को TCC/RET की स्थिति के अनुसार अगले सेटलमेंट साइकल में ऑटोमेटिकली स्वीकार या अस्वीकार किया जाएगा.
इसका असर क्या होगा?
अभी तक भेजने वाले बैंक (Remitting Bank) चार्जबैक अनुरोध जल्दी उठा लेते थे, जिससे लाभार्थी बैंक (Beneficiary Bank) को रिटर्न प्रोसेस करने का पर्याप्त समय नहीं मिलता था. अब, चार्जबैक अनुरोध तभी स्वीकार किया जाएगा, जब TCC या RET स्टेटस इसकी अनुमति देगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, यह नई प्रक्रिया 15 फरवरी 2025 से लागू हो चुकी है, जिससे UPI ट्रांजेक्शनों से जुड़े विवादों को सुलझाने में लगने वाला समय पहले की तुलना में काफी कम हो जाएगा.