क्या है रूल 72, जो आपके निवेश को कर देगा दोगुना?
आज के समय में निवेश के कई विकल्प उपलब्ध हैं. हर निवेशक यह जानना चाहता है कि उसका पैसा कितने समय में दोगुना होगा. इसी संदर्भ में रूल 72 एक उपयोगी और सरल फॉर्मूला है, जिसकी मदद से आप यह पता लगा सकते हैं कि आपके निवेश को दोगुना होने में कितना समय लगेगा.
आज के समय में जब पैसे निवेश करने के लिए कई प्लेटफॉर्म मौजूद हैं, तो ऐसे में निवेशक अक्सर उन ऑप्शन की तलाश में रहते हैं, जहां उन्हें ज्यादा रिटर्न मिले. खासकर, जब निवेशक कम समय में ज्यादा से ज्यादा रिटर्न पाने की उम्मीद करते हैं. इसी को लेकर अर्थशास्त्र में कुछ ऐसे नियम बनाए हैं, जो इस बात का अनुमान लगाने में मदद करता हैं कि आपका निवेश कितने समय में दोगुना हो सकता है. ऐसा ही एक महत्वपूर्ण नियम है, रूल 72. इस नियम का उपयोग करके आप आसानी से यह पता लगा सकते हैं कि आपके पैसे को दोगुना होने में कितना समय लगेगा. यह नियम न केवल सरल है, बल्कि निवेश से जुड़े निर्णयों को बेहतर तरीके से समझने में भी सहायक है. आइए समझते हैं.
रूल 72 क्या है?
रूल 72 एक गणितीय फॉर्मूला है, जो कंपाउंड इंटरेस्ट पर आधारित है. इसका उपयोग यह जानने के लिए किया जाता है कि किसी निश्चित वार्षिक ब्याज दर पर आपका निवेश कितने समय में दोगुना होगा. आइये समझते है इस फॉर्मूला को,
किसी निवेश को दोगुना होने में लगा समय = 72 ÷ वार्षिक ब्याज दर
कैसे करें अवधि की गणना?
उदाहरण के लिए:
यदि आपकी वार्षिक ब्याज दर 6% है तो,
72 ÷ 6 = 12 साल, यानी आपके निवेश को दोगुना होने में 12 साल लगेंगे. वहीं अगर सालाना ब्याज दर 8% है और आपने 1 लाख रुपये का निवेश किया है तो, 72 ÷ 8 = 9 साल, इसका मतलब है आपके 1 लाख रुपये का निवेश 9 साल में 2 लाख रुपये हो जाएगा. हालांकि यह फॉर्मूला 6% से 10% के बीच की कंपाउंड इंटरेस्ट के लिए सबसे सटीक माना जाता है.
रूल 72 के लाभ
- सरल और तेज गणना: यह फॉर्मूला सरल है और कोई भी इसका उपयोग कर सकता है.
- योजना बनाने में सहायक: निवेशक अपनी स्थिति और जोखिम के अनुसार निर्णय ले सकते हैं.
- लचीलापन: इसे GDP, जनसंख्या वृद्धि, या किसी दूसरे आर्थिक मापदंड पर भी लागू किया जा सकता है.
- समय का अनुमान: यह निवेशकों को यह समझने में मदद करता है कि उनकी राशि कब दोगुनी होगी.
रूल 72 की सीमाएं
- सटीकता का अभाव: यह केवल एक अनुमान है, सटीक आंकड़ा नहीं.
- परिवर्तनीय ब्याज दर: अगर ब्याज दर बदलती है, तो यह फॉर्मूला अप्रभावी हो सकता है.
- कम ब्याज दर: बहुत कम या बहुत अधिक ब्याज दरों के लिए यह फॉर्मूला उतना सटीक नहीं है.
- साधारण ब्याज पर लागू नहीं: यह केवल कंपाउंड इंटरेस्ट पर आधारित है.
इसे भी पढ़ें- 31 दिसंबर को खत्म हो रही हैं ये 3 डेडलाइन, समय से निपटा लें काम