सरकारी कर्मचारियों तक कब पहुंचेगा 8वें वेतन आयोग का फायदा, 7वें में लगे थे 22 महीने… कैसे काम करता है कमीशन?

8th Pay Commission Effective Date: 7वें वेतन आयोग के ऐलान के बाद इसके गठन और फिर रिपोर्ट तैयार करने में काफी लंबा वक्त लगा था. करीब 22 महीने के बाद सरकारी कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग के बेनिफिट्स मिलने शुरू हुए थे. ऐसे में एक बार फिर से कर्मचारियों के मन में सवाल है कि क्या इतना ही समय 8वें वेतन आयोग को लागू करने में भी लग जाएगा.

7वें वेतन आयोग के ऐलान के बाद लागू होने में लगा था लंबा वक्त. Image Credit: Getty image

8th Pay Commission Effective Date: केंद्रीय कैबिनेट ने करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और करीब 65 लाख पेंशनर्स की सैलरी और भत्ते में बदलाव के लिए 8वें वेतन आयोग के गठन की मंजूरी दे दी है. हालांकि, इस फैसले से पे-स्केल में सुधार की उम्मीद जगी है, लेकिन सरकार ने अभी तक आयोग के गठन या इसकी सिफारिशों को लागू करने के लिए कोई खास समयसीमा यानी डेडलाइन का ऐलान नहीं किया है. इसलिए एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है कि सरकारी कर्मचारियों को 8वें वेतन आयोग का लाभ मिलने में कितना समय लग जाएगा? ये सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि 7वें वेतन आयोग के गठन के ऐलान के बाद, सरकारी कर्मचारियों को इसके लाभ मिलने में करीब 22 महीने लग गए थे. यानी दो साल में दो महीने कम.

अगर 8वां वेतन आयोग भी इसी तरह का पैटर्न अपनाता है, तो फिर सैलरी में बढ़ोतरी के लिए सरकारी कर्मचारियों को करीब दो साल का इंतजार करना होगा. 8वें वेतन आयोग के सुझाए सैलरी स्ट्रक्चर को लागू होने के बाद ही इसका लाभ कर्मचारियों को मिलेगा.

वेतन आयोग कैसे काम करता है

वेतन आयोग के गठन और इसका काम कई चरण में पूरा किया जाता है. इसलिए इसे लागू करने में लंबा वक्त लग जाता है. उदाहरण के लिए, 7वें वेतन आयोग की अध्यक्षता रिटायर्ड जस्टिस अशोक कुमार माथुर ने की थी, जिसमें विवेक राय और डॉ रथिन रॉय सदस्य थे और मीना अग्रवाल सचिव थीं.

उनके काम में व्यापक रूप से परामर्श करना, डेटा कलेक्ट करना और मौजूदा पे स्ट्रक्चर का विश्लेषण करना शामिल था. आयोग कंसल्टेशन, मौजूदा पे-स्ट्रक्चर का विश्लेषण, डेटा कलेक्शन और कर्मचारी संघों सहित अलग-अलग स्टेक होल्डर से इनपुट पर विचार करने के लिए कई बैठकें करता है.

गहन विचार-विमर्श के बाद आयोग पे-स्ट्रक्चर, अलाउंस, पेंशन में इजाफे के बारे में अपनी सिफारिशों की डिटेल्स के साथ एक रिपोर्ट तैयार करता है. इसलिए अधिक समय लगता है. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, 7वें वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट प्रजेंट करने से पहले अलग-अलग अधिकारियों, स्टेकहोल्डर्स और अन्य देशों के लोक सेवा आयोगों के साथ 76 से अधिक बैठकें की थीं.

रिव्यू-रिकमेंडेशन

रिपोर्ट तैयार होने के बाद आयोग, इसे सरकार को सौंप देता है. इसके बाद वित्त मंत्रालय और अन्य अधिकारी सिफारिशों की समीक्षा करते हैं. अनुमोदन के बाद, वित्त मंत्रालय के तहत व्यय विभाग (एक्सपेंडिचर डिपार्टमेंट) जारी प्रस्तावों की सिफारिशों को लागू करता है.

रिपोर्ट के अनुसार, 7वें वेतन आयोग ने वित्त वर्ष 2016-17 में 1,02,100 करोड़ रुपये के वित्तीय प्रभाव का अनुमान लगाया था. वेतन और पेंशन में बदलाव 1 जनवरी 2016 से प्रभावी हुए, जबकि तत्कालीन वित्त सचिव अशोक लवासा के नेतृत्व वाले पैनल की सिफारिशों के आधार पर संशोधित भत्ते 1 जुलाई 2017 को लागू हुए किए गए थे.

कई फैक्टर्स के आधार पर बनती है रिपोर्ट

वेतन आयोग सिफारिशें करते समय कई फैक्टर्स पर विचार करता है. इसमें महंगाई दर एडजस्टमेंट, अर्थव्यवस्था की स्थिति, आवश्यक वस्तुओं का बाजार मूल्य निर्धारण, वर्तमान डीए दर और कर्मचारी की अपेक्षाएं शामिल होती हैं. इन सभी फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए, यह सुनिश्चित किया जाता है कि संशोधित पे स्ट्रक्चर सरकार की वित्तीय वास्तविकताओं और उसके कर्मचारियों की जरूरतों यानी दोनों के मुताबिक हो.

व्यय विभाग की अहम भूमिका

संशोधित वेतन का अनुमान लगाने के लिए कर्मचारी अपनी मौजूदा बेसिक सैलरी को फिटमेंट फैक्टर से गुणा कर सकते हैं, जो 8वें वेतन आयोग के लिए 2.5 से 2.8 के बीच होने की उम्मीद है. वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने में वित्त मंत्रालय और व्यय विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. व्यय विभाग प्रस्तावों का वैल्यूएशन करता है और लागू करने के लिए आदेश जारी करता है.

पहला वेतन आयोग

केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए पहला वेतन आयोग भारत की आजादी से पहले जनवरी 1946 में गठित किया गया था. आयोग ने अपनी रिपोर्ट आजादी से पहले मई 1947 में पेश की थी. तब न्यूनतम वेतन 55 रुपये प्रति माह था और अधिकतम वेतन 2,000 रुपये प्रति माह निर्धारित किया गया था. रिकॉर्ड के अनुसार, ‘जीवित मज़दूरी’ वह आधार थी जिस पर सिफारिशें तैयार की गई थीं. न्यायविद श्रीनिवास वरदाचार्य (1881-1970) ने पहले वेतन आयोग की अध्यक्षता की थी.