Budget 2025: 48 लाख करोड़ का था 2024 का बजट, जानें कहां से आया पैसा और कहां हो रहा ज्यादा खर्च
Budget 2025 पेश होने को है, लेकिन इसके लिए सरकार के खजाने में पैसा किन-किन जगहों से आता है और सरकार किन-किन जगहों पर पैसा खर्च करता है? हमेशा खजाने में आए हुए पैसों से ज्यादा खर्च करती है सरकार तो वो ज्यादा पैसा कहां से आता है?
Budget Revenue and Expenditure: बजट 2025 1 फरवरी को पेश होने वाला है. इससे सरकार का हिसाब-किताब पता चलेगा, सरकार के पास कहां से और कितना पैसा आ रहा है और कहां-कहां पर खर्च हो कहा है. इसका ब्योरा मिलेगा. लेकिन आमतौर पर बजट में कहां से पैसा आता है और कहां जाता है, ये आपको बताएंगे साथ ही 2024-25 में सरकार के पास कहां से और कितना पैसा आया और कहां और कितना खर्च हुआ.
जुलाई साल 2024-25 को 48 लाख करोड़ का बजट पेश हुआ था, उस बजट के आंकड़ों से आपको पता चलेगा कि सरकार के पास कहां-कहां से पैसा आता है:
सरकार के खजाने में सबसे ज्यादा पैसा इनकम टैक्स से आता है. 2024-25 में 11.9 लाख करोड़ इनकम टैक्स से आया था. इसके अलावा:
- GST: 10.6 लाख करोड़
- कॉर्पोरेट टैक्स: 10.2 लाख करोड़
- एक्साइज ड्यूटी: 3.2 लाख करोड़
- कस्टम्स और अन्य: 2.5 लाख करोड़
- इसके अलावा डिविडेंड, प्रॉफिट और अन्य नॉन टैक्स रेवेन्यू 5.5 लाख करोड़ है
इसके अलावा सरकार कई तरह से कर्ज लेती है, उससे भी पैसा आता है:
- बाजार से 11.6 लाख करोड़ का कर्ज
- छोटी बजट योजनाओं से 4.5 लाख करोड़
- और अन्य से 0.8 लाख करोड़
इस हिसाब 2024-25 में कुल 41.7 लाख करोड़ रुपये सरकार के खजाने में आए थे.
कहां-कहां खर्च करती है सरकार?
सरकार के मुख्य रूप से दो तरीके के खर्च हैं, एक योजनाओं पर बाकी कर्मचारियों की सैलरी समेत अन्य खर्चे.
2024-25 में 20.2 लाख करोड़ सरकार ने योजनाओं पर खर्च किए हैं, इसमें से 5.1 लाख करोड़ केंद्र की योजनाओं पर, इसके अलावा 7.9 लाख करोड़ आर्थिक सेवाओं, 4.3 लाख करोड़ सब्सिडी, 2.2 लाख करोड़ सामान्य सेवा, अन्य पर 0.9 लाख करोड़.
इन खर्चों के अलावा:
- राज्यों का 5.2 लाख करोड़ का हिस्सा
- सैलरी: 1.6 लाख करोड़
- पेंशन: 2.4 लाख करोड़
- अन्य: 3.8 लाख करोड़
- ब्याज: 11.6 लाख करोड़
- अन्य खर्चे: 3.3 लाख करोड़
ऐसे कुल मिलाकर यह 48 लाख करोड़ का खर्च का है. अगर आप सोच रहे हैं कि सरकार के खजाने में 41.7 लाख करोड़ आए और खर्च 48.2 लाख करोड़ हो गए तो ऐसे में इसका अंतर कहां से भरा जाता है, तो बता दें इस अंतर को फिस्कल डेफिसिट बोलते हैं. 6.5 लाख करोड़ सरकार का राजकोषीय घाटा है जो और कर्ज लेकर एडजस्ट किया जाता है.