सबसे ज्यादा ये लोग लेते हैं पर्सनल लोन, डिफॉल्ट में भी आगे
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट, दिसंबर 2025 के आंकड़ों की मानें तो मिडिल क्लास और अपर मिडिल क्लास के लोगों पर डिफॉल्ट पर्सनल लोन की हिस्सेदारी में करीबन 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. जानें किस इनकम ग्रुप ने अधिक और किस ने कम लोग अप्लाई किया है.
मौजूदा समय में किसी जरूरत के समय जब लोगों के पास पैसा नहीं होता है तब वह बैंक की ओर रुख करते हैं. फिर लोग पर्सनल लोन के लिए अप्लाई करते हैं. लेकिन इसमें एक समस्या है. समस्या ये है कि देश के मिडिल और अपर मिडिल क्लास से आने वाले लोगों पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है. बीते तीन सालों में 5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये और 15 लाख रुपये से अधिक की सालाना इनकम वाले लोगों की डिफॉल्ट पर्सनल लोन की हिस्सेदारी में इजाफा हुआ है.
क्या कहती है RBI की रिपोर्ट
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट, दिसंबर 2025 के आंकड़ों के मुताबिक इन दोनों क्लास के लोगों पर बकाया पर्सनल लोन की हिस्सेदारी में तकरीबन 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इस आंकड़े से समझ सकते हैं कि लोन लेने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी तो हुई ही है उसी के साथ समय पर लोन नहीं चुकाने वाले लोगों की संख्या में भी इजाफा हुआ है.
आरबीआई रिपोर्ट से पता चलता है कि बीते तीन सालों में 5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले लोगों की व्यक्तिगत बकाया कर्ज के रूप में हिस्सेदारी सितंबर 2024 तक 11 फीसदी बढ़ी है. वहीं 15 लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय वाले लोगों की हिस्सेदारी में भी 9 फीसदी की बढ़ोतरी आई है.
5 लाख से कम लोन को लेकर बैंक सावधान
5 लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले लोगों की हिस्सेदारी में एक फीसदी की बढ़ोतरी आई है. वहीं जिन लोगों की नियमित इनकम नहीं है उनके कर्ज में 20 फीसदी की कमी भी आई है. इसके पीछे बैंकों की सावधानी है. दरअसल पिछले तीन सालों में देश के मुख्य बैंकों ने उन लोगों को लोन देने में काफी सोच-विचार किया है जिनकी कोई नियमित आय नहीं है.
इनकम क्लास ग्रुप | सितंबर 2021 | सितंबर 2024 | अंतर |
5 लाख से कम | 17 फीसदी | 18 फीसदी | 1 फीसदी |
5 लाख से 15 लाख | 26 फीसदी | 37 फीसदी | 11 फीसदी |
15 लाख से अधिक | 16 फीसदी | 25 फीसदी | 9 फीसदी |
नियमित इनकम नहीं | 40 फीसदी | 20 फीसदी | -20 फीसदी |