सरकार ने 60 हजार एकड़ बेकार नमक भूमि को लीज पर देने की मंजूरी दी, प्राइवेट कंपनियां अब कर सकेंगी इस्तेमाल
सरकार के नए फैसले से सस्ती जमीन हासिल करने का बेहतरीन मौका आपके हाथ से न जाए. सरकार नमक की बेकार पड़ी जमीनों को अब सस्ते रेट पर प्राइवेट कंपनियों के इस्तेमाल के लिए मुहैया कर रही है.
केंद्र सरकार ने देशभर में खाली और बेकार पड़ी करीब 60,000 एकड़ नमक की जमीनों को लेकर अपनी नीति में संशोधन किया है. सरकार के नई निति के मुताबिक अब इन जमीनों का उपयोग राष्ट्रीय विकास परियोजनाओं जैसे सस्ती आवासीय योजनाएं, इंडस्ट्रियल प्रोजेक्टस और जैव विविधता संरक्षण (Biodiversity Conservation) के लिए किया जा सकेगा.
99 साल की लीज पर होगी जमीन
नई नीति के तहत नमक की इन जमीनों को 99 साल की लीज पर दिया जाएगा. राज्य सरकारों को इन जमीनों को स्लम पुनर्विकास, कमजोर वर्गों के लिए आवास और इंडस्ट्रियल इस्तेमाल के लिए उप-लीज पर देने की अनुमति होगी. लीज के समय ही जमीन के इस्तेमाल को तय किया जाएगा और बाद में इसमें बदलाव नहीं किया जा सकेगा. फाइनेंशिल एक्सप्रेस के रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी अधिकारियों के अनुसार इन जमीनों को आसान शर्तों पर विभिन्न परियोजनाओं के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.
कौन कर सकेगा जमीन का अधिग्रहण?
यह जमीन केवल केंद्र सरकार के विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSEs), राज्य सरकारों और राज्य पीएसई को ही दी जाएगी. निजी कंपनियां केवल उन जमीनों को खरीद सकती हैं जो किसी विवाद या कानूनी प्रक्रिया में हैं और जहां सरकारी संस्थाएं इसे लेने से मना कर दें. ऐसी विवादित जमीनों की नीलामी की जाएगी.
जमीन पर मिलेगी विशेष छूट
नई नीति के मुताबिक, कई परियोजनाओं के लिए जमीनें अब सर्किल रेट या राज्य द्वारा निर्धारित मूल्य के आधे पर उपलब्ध होंगी. जैसे कि बंदरगाह, औद्योगिक परियोजनाएं, नवीकरणीय ऊर्जा और इको-टूरिज्म के लिए जमीन 50% कीमत पर दी जाएगी. वहीं, मछली पालन, समुद्री कृषि और कृषि नवाचार परियोजनाओं के लिए यह दर 25% होगी. इसी तरह, स्लम पुनर्विकास, सरकारी योजनाओं के तहत सस्ते आवास, स्कूल, और अन्य सामाजिक ढांचे के लिए भी यह जमीन 25% कीमत पर मिलेगी.
सड़क, हाईवे, पुल और सीवेज प्लांट जैसी सार्वजनिक उपयोग की संरचनाओं के लिए जमीन सिर्फ 10% सर्किल रेट पर मिलेगी. विवादित जमीनों पर 20% अतिरिक्त छूट भी दी जाएगी, और अगर कोई खरीदार नहीं मिलता, तो इसे निजी कंपनियों के लिए नीलाम किया जाएगा.
नमक उत्पादन में गुजरात सबसे आगे
सरकार के पास करीब 59,793 एकड़ नमक की जमीनें हैं, जिनमें से 5,000 एकड़ मुंबई और उसके उपनगरीय इलाकों में स्थित हैं हालांकि ये जमीनें व्यावसायिक उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं होंगी. भारत के कुल नमक उत्पादन का 82% समुद्री नमक है जिसमें गुजरात 85.8% का योगदान करता है उसके बाद तमिलनाडु (6.47%) और राजस्थान (6.35%) हैं.