मुंबई जितनी कीमत पर दुबई में खरीदें फ्लैट, मिलेगा डबल किराया और टैक्स जीरो; बस यहां फंसा है पेच
दुबई हजारों भारतीयों के लिए दूसरा घर बन गया है. यहां का रियल एस्टेट मार्केट भारतीय निवेशकों को खासतौर पर लुभा रहा है. क्योंकि, यहां मुंबई जितनी कीमत पर फ्लैट खरीद सकते हैं. इससे भी ज्यादा आकर्षित करने वाली बात यह है कि यहां मुंबई की तुलना में डबल रेंट मिलता है. जानते हैं कि मुंबई, दिल्ली और दुबई में कितना निवेश करने पर कितना रेंट मिलता है और दुबई में प्रॉपर्टी खरीदने में क्या मुश्किल आती है?

भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में प्रॉपर्टी की औसत कीमत 26 हजार रुपये प्रति वर्ग फीट है. वहीं, दुबई में यह 25 हजार वर्ग फीट है. इसके अलावा मुंबई में ग्रॉस रेंटल यील्ड 2.75 फीसदी है, जबकि दुबई में यह 7.70 फीसदी है. इस तरह एक निवेशक को दुबई में फ्लैट खरीदने पर मुंबई की तुलना में कम खर्च करना पड़ेगा. वहीं, जब उस प्रॉपर्टी के किराये की बात आती है, तो मुंबई की तुलना में दुबई की प्रॉपर्टी डबल से ज्यादा रिटर्न दे सकती है. हालांकि, आम भारतीय के लिए दुबई में प्रॉपर्टी खरीदना आसान नहीं है. आइए जानते हैं कैसे आप दुबई में फ्लैट खरीद सकते हैं और कितने इन्वेस्टमेंट पर कितना किराया मिलेगा?
क्यों दिलकश है दुबई?
दुबई की रियल एस्टेट कंपनी बेटरहोम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय दुबई में प्रॉपर्टी खरीदने वालों में सबसे ऊपर हैं. भारतीयों की दुबई में इस दिलचस्पी के पीछे का सबसे बड़ा कारण है यहां का हाई रेंटल यील्ड. भारत के किसी भी शहर की तुलना में दुबई में निवेश पर हाई रिटर्न मिलता है. बेटरहोम्स की रिपोर्ट के मुताबिक दुबई में एवरेट रेंटल यील्ड 7% है. इसके अलावा UAE का टैक्स फ्री सिस्टम भी भारतीयों को लुभा रहा है. दुबई एक रेग्युलेटेड बाजार होने के बाद भी टैक्स के मोर्चे पर व्यापक आजादी देता है. यहां प्रवासियों को इनकम टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स और कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना पड़ता. इसकी वजह से भारतीय शहरों की तुलना में यहां निवेश ज्यादा फायदे का सौदा साबित होता है.
शहर | अपार्टमेंट साइज | लोकेशन | प्रॉपर्टी प्राइस | मंथली रेंट | रेंटल यील्ड (%) |
मुंबई | 1-BHK (700 sq ft) | City Center | ₹3.7 crore | ₹82,616 | 2.66% |
मुंबई | 1-BHK (700 sq ft) | Suburbs | ₹1.74 crore | ₹42,751 | 2.94% |
मुंबई | 3-BHK (1,830 sq ft) | City Center | ₹9.74 crore | ₹2,15,965 | 2.66% |
मुंबई | 3-BHK (1,830 sq ft) | Suburbs | ₹4.56 crore | ₹1,11,754 | 2.94% |
दिल्ली | 1-BHK (700 sq ft) | City Center | ₹1.2 crore | ₹30,575 | 3.05% |
दिल्ली | 1-BHK (700 sq ft) | Suburbs | ₹67.5 lakh | ₹17,446 | 3.10% |
दिल्ली | 3-BHK (1,830 sq ft) | City Center | ₹3.14 crore | ₹79,926 | 3.05% |
दिल्ली | 3-BHK (1,830 sq ft) | Suburbs | ₹1.76 crore | ₹45,605 | 3.10% |
बेंगलुरु | 1-BHK (700 sq ft) | City Center | ₹1.2 crore | ₹37,971 | 3.77% |
बेंगलुरु | 1-BHK (700 sq ft) | Suburbs | ₹61.5 lakh | ₹21,581 | 4.21% |
बेंगलुरु | 3-BHK (1,830 sq ft) | City Center | ₹3.15 crore | ₹99,259 | 3.77% |
बेंगलुरु | 3-BHK (1,830 sq ft) | Suburbs | ₹1.6 crore | ₹56,415 | 4.21% |
दुबई | 1-BHK (700 sq ft) | City Center | ₹3.76 crore | ₹2,40,433 | 7.67% |
दुबई | 1-BHK (700 sq ft) | Suburbs | ₹1.98 crore | ₹1,53,003 | 9.26% |
दुबई | 3-BHK (1,830 sq ft) | City Center | ₹9.83 crore | ₹6,28,514 | 7.67% |
दुबई | 3-BHK (1,830 sq ft) | Suburbs | ₹5.1 crore | ₹3,99,965 | 9.26% |
कहां फंसा है पेच?
डाटा बता रहा है कि दुबई में इन्वेस्टमेंट फायदे का सौदा है. लेकिन, क्या एक आम भारतीय के लिए वहां निवेश करना आसान है. सबसे बड़ा सवाल कि क्या भारत में रहते हुए भी दुबई में खरीदी गई प्रॉपर्टी से मिलने वाले रेंट पर टैक्स नहीं देना पड़ेगा? आइए जानते हैं वहां निवेश करने में क्या मुश्किलें हैं और भारत में रहते हुए दुबई से होने वाली रेंटल इनकम पर टैक्स लगेगा या नहीं.
दुबई में घर खरीदने में आने वाली मुश्किलें
दुबई में घर खरीदने में कई अहम कानूनी और वित्तीय बाधाएं हैं. सबसे पहली चुनौती यह है कि दुबई में घर खरीदने के लिए आपको लोन नहीं मिलेगा. यानी अगर आप दुबई में घर खरीदना चाहते हैं, तो यह पूरी रकम आपके खाते में पहले से होनी चाहिए. भारत का विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) विदेश में कर्ज पर संपत्ति लेने की इजाजत नहीं देता. ऐसे में दुबई में घर के लिए कम ब्याज दर पर कर्ज देने के विज्ञापनों के लालच में न आएं. यह भी ध्यान रखें कि फेमा नियमों के उल्लंघन पर तीन गुना तक जुर्माना और जेल तक की सजा हो सकती है.
LRS का फायदा
फेमा नियमों के तहत लिबरेलाइज्ड रेमिटैंस स्कीम (LRS) की लिमिट भी एक बड़ी बाधा है, जिसके चलते एक मिडल क्लास सैलरीड व्यक्ति दुबई में रियल एस्टेट में 3-4 करोड़ का निवेश नहीं कर सकता है. इसमें LRS के तहत एक व्यक्ति प्रति वर्ष अधिकतम 2,50,000 डॉलर यानी करीब लगभग 2.1 करोड़ रुपये ही विदेश भेज सकता है. इससे ज्यादा रकम भेजने के लिए आपको किसी परिवार के किसी अन्य सदस्य के खाते के जरिये मनी ट्रांसफर करना होगा या RBI से मंजूरी लेनी होगी. जाहिर है, ये नियम इस तरह के मनी ट्रांसफर को हतोत्साहित करने के लिए बनाए गए हैं. ऐसे में रिजर्व बैंक से मंजूरी आसान नहीं होती है.
खुले हैं कुछ विकल्प
दुबई में प्रॉपर्टी में निवेश करने में भारतीय सबसे आगे हैं. LRS नियमों को ध्यान में रखकर अब दुबई के तमाम बिल्डर्स भारतीयों से किश्तों में भुगतान ले रहे हैं. हालांकि, यह भी फेमा नियमों के खिलाफ है. नियमों के मुताबिक अगर आप रेडी टू मूव अपार्टमेंट खरीद रहे हैं, तो पूरी राशि का एकमुश्त भुगतान करना होगा. इसके साथ ही यह राशि 2.1 करोड़ रुपये से कम होनी चाहिए.
अंडर कंशट्रक्शन बिल्डिंग के लिए नियम अलग
अंडर कंशट्रक्शन बिल्डिंग के लिए नियम अलग हैं. ऐसे मामलों में प्रोजेक्ट के पूरा होने के अनुसार भुगतान करने की सुविधा होती है. ऐसे में 10% तक डाउन पेमेंट के बाद 1.5 साल में निर्माण के दौरान 40% और बाकी हैंडओवर के बाद रकम चुकाई जा सकती है. चूंकि ये किश्तें उधार ली गई रकम नहीं हैं. ऐसे में एलआरएस सीमा में रहते हुए हालांकि, कंस्ट्रक्शन लिंक्ड पेमेंट किया जा सकता है.
ITR में करना होगा खुलासा
UAE भले ही कोई प्रॉपर्टी टैक्स नहीं लगता है. लेकिन भारतीयों को अपने आयकर रिटर्न में विदेशी संपत्तियों से किराये की आय और कैपिटल गेन को रिपोर्ट करना होगा. इस किराये से होने वाली इनकम को टोटल इनकम जोड़ा जाएगा और लागू टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स का भुगतान करना होगा.
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