FSI पर लागू हुआ GST, तो घर खरीदारों को लग सकता है 10% का झटका!

केंद्र सरकार ने फ्लोर स्पेस इंडेक्स और अतिरिक्त एफएसआई शुल्क पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने का प्रस्ताव रखा है, जिसके खिलाफ देशभर के रियल एस्टेट डेवलपर्स ने आवाज उठाई है. डेवलपर्स का कहना है कि इससे प्रॉपर्टी की कीमतें 10 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं.

CREDAI ने वित्त मंत्री को लिखे एक पत्र में एफएसआई और अतिरिक्त एफएसआई शुल्क पर 18% GST लगाने के प्रस्ताव को फिर से परखा जाए. Image Credit: Getty Images Editorial

देशभर के रियल एस्टेट डेवलपर्स ने केंद्र सरकार से एफएसआई यानी फ्लोर स्पेस इंडेक्स और अतिरिक्त एफएसआई शुल्क पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लागू करने के प्रस्ताव पर दोबारा विचार करने की अपील की है. डेवलपर्स का कहना है कि ऐसा करने से प्रॉपर्टी की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है.

CREDAI का सरकार को पत्र

CREDAI, जो रियल एस्टेट डेवलपर्स का एक प्रमुख संगठन है, ने 20 दिसंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे एक पत्र में आग्रह किया कि एफएसआई और अतिरिक्त एफएसआई शुल्क पर 18 प्रतिशत GST लगाने के प्रस्ताव को फिर से परखा जाए.

CREDAI का मानना है कि इस कदम से रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स की लागत में काफी वृद्धि होगी, जिससे देश के विभिन्न हिस्सों में मकानों की कीमतें लगभग 10 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं. इसके अलावा, GST लगाने से न केवल मकानों की मांग बल्कि उनकी आपूर्ति भी प्रभावित होगी, क्योंकि यह आर्थिक और व्यावसायिक स्थिरता के लिए गंभीर समस्याएं खड़ी कर सकता है.

यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब GST काउंसिल आगामी 21 दिसंबर को राजस्थान के जैसलमेर में होने वाली बैठक में इस पर निर्णय लेने वाली है. FSI, जिसे फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) भी कहा जाता है, यह निर्धारित करता है कि किसी प्लॉट पर कितना अधिकतम फ्लोर एरिया विकसित किया जा सकता है और उस क्षेत्र में कंस्ट्रक्शन डेंसिटी को नियंत्रित करता है.

GST से वित्तीय दबाव और परियोजनाओं पर असर

CREDAI ने यह भी दावा किया कि यदि इस तरह के शुल्क पर GST को पिछली तारीखों से लागू किया गया, तो डेवलपर्स पर अप्रत्याशित वित्तीय देनदारी का भारी बोझ पड़ेगा. इससे मौजूदा और पूरे हो चुके प्रोजेक्ट्स की वित्तीय योजना और लागत का संतुलन बिगड़ सकता है.

CREDAI के बयान के अनुसार, “इस वित्तीय दबाव से प्रोजेक्ट रुक सकते हैं और ऐसे प्रोजेक्ट्स में निवेश करने वाले घर खरीदारों की वित्तीय सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है. यहां तक कि भविष्य में लागू होने वाला GST भी निर्माण लागत को बढ़ा देगा, जिससे ग्राहकों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा और मकानों की कीमतें और अधिक अप्रत्याशित हो जाएंगी. इससे सरकार की ‘सभी के लिए आवास’ की योजना भी प्रभावित होगी.”

सरकार को समाधान का सुझाव

CREDAI के अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा कि FSI और अतिरिक्त FSI शुल्क प्रोजेक्ट लागत का एक बड़ा हिस्सा होते हैं. इन पर 18 प्रतिशत GST लगाने से न केवल आवासीय आपूर्ति और मांग पर नेगेटिव प्रभाव पड़ेगा, बल्कि मकानों की कीमतों में भी सीधा इजाफा होगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि “सरकार को FSI शुल्क को GST से छूट देनी चाहिए.”

सस्ती आवास योजनाएं भी इस कर के कारण आर्थिक रूप से अव्यवहारिक हो सकती हैं, जिससे कीमतें 7-10 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है. इसका सीधा असर मध्यम वर्ग की परचेजिंग पावर पर पड़ेगा.

निरंजन हीरानंदानी, जो नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल के चेयरमैन हैं, ने भी इस प्रस्ताव पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट उद्योग पहले ही उच्च विकास शुल्क, बढ़ती कच्चे माल की कीमतें, महंगी श्रम लागत, और महंगे निर्माण तकनीक के बोझ तले दबा हुआ है. ऐसे में यह नया कर प्रोजेक्ट्स की आर्थिक व्यवहार्यता को और अधिक खतरे में डाल देगा और सस्ती आवास आपूर्ति को बाधित करेगा.

हीरानंदानी ने कहा कि सरकार की ‘सभी के लिए आवास’ योजना ऐसी कर व्यवस्था के साथ अधूरी रह जाएगी, जो रोजगार सृजन और 300 से अधिक सहायक उद्योगों के विकास के लिए आवश्यक इस क्षेत्र की वृद्धि को बाधित करती है.