बिल्डर हो गया दिवालिया तो भी मिलेगा फ्लैट पर कब्जा, घर खरीदार जान लें ये 6 बड़े बदलाव
IBBI द्वारा किए गए संशोधन से न केवल होम बायर्स को राहत मिलेगी, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश का भरोसा भी बढ़ेगा. अब खरीदारों को यह डर नहीं रहेगा कि उनका पैसा फंस जाएगा और उन्हें अपना ही घर नहीं मिल पाएगा. यह बदलाव इस प्रक्रिया को और पारदर्शी और प्रभावी बनाएगा. यहां जानें क्या-क्या बदला...

Home Buyers Rights In Insolvency Law: घर खरीदारों को बड़ी राहत मिली है. नियमों में बदलाव के साथ अब भले ही प्रोजेक्ट के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया चल रही हो लेकिन घर खरीदार अपनी संपत्ति ले सकता है. वो संपत्ति भले ही प्लॉट हो, अपार्टमेंट हो या बिल्डिंग. अब कब्जा मिलने में देरी नहीं होगी. ये घर खरीदारों के लिए एक बड़ी राहत है.
द हिंदू बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया या IBBI ने यह बदलाव इसलिए किया है ताकि कॉरपोरेट इन्सॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस (CIRP) के दौरान प्रोजेक्ट को जारी रखा जा सके और खरीदारों को उनके घर का कब्जा दिया जा सके. इस बदलाव का संबंध केवल कब्जा लेने देने से जुड़ा है, यह दिवालिया प्रक्रिया को लेकर कोई बदलाव नहीं है.
अभी तक, दिवालिया प्रक्रिया में क्रेडिटर्स (कर्ज देने वालों) का ज्यादा प्रभाव होता था, लेकिन अब घर खरीदारों को भी महत्वपूर्ण पक्ष माना जाएगा, ताकि उनके अधिकार मजबूत हो सकें और वे अपनी संपत्ति को लेकर ज्यादा सुरक्षित महसूस कर सकें.
फैसिलिटेटर की होगी नियुक्ति
रिपोर्ट के मुताबिक, एक और बदलाव के तहत अब होमबायर्स के लिए फैसिलिटेटर नियुक्त किए जाएंगे ताकि उनके और इन्सॉल्वेंसी प्रोसेस के बीच कम्यूनिकेशन बेहतर बन सकें. इससे उन्हें समय-समय पर अपडेट, जरूरी जानकारी और फैसले लेने में मदद मिल सकेगी.
रेगुलेटर का हस्तक्षेप
अब NOIDA, HUDA जैसी सरकारी एजेंसियां भी सर्कल ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) की बैठकों में शामिल हो सकेंगी. इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि रेजोल्यूशन प्लान जमीन और प्रोजेक्ट से जुड़े नियमों का पालन कर रहा है, जिससे प्रोजेक्ट की वैधता और विश्वसनीयता बढ़ेगी.
प्रोजेक्ट की होगी जांच
अब रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (RP) को इन्सॉल्वेंसी शुरू होने के 60 दिनों के अंदर एक रिपोर्ट देनी होगी, जिसमें यह बताया जाएगा कि प्रोजेक्ट को लेकर क्या-क्या मंजूरी और परमिशन मिली हैं. इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बिना पूरी जानकारी के गलत फैसले न लिए जाएं और प्रोजेक्ट पूरा हो सके.
होमबायर्स बढ़ेगी पावर
अब होमबायर्स और उनके एसोसिएशन भी रिजॉल्यूशन एप्लिकेंट के रूप में भाग ले सकते हैं. उनके लिए योग्यता और सिक्योरिटी डिपॉजिट से जुड़े नियमों में ढील दी गई है. इससे अगर कोई बाहरी डेवलपर प्रोजेक्ट में रुचि नहीं लेता, तो होमबायर्स खुद प्रोजेक्ट को पूरा करने की कोशिश कर सकते हैं.
MSME का खुलासा जरूरी
अब कॉरपोरेट डिफॉल्टर का MSME स्टेटस (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) सार्वजनिक किया जाएगा. इससे ज्यादा से ज्यादा लोग प्रोजेक्ट के समाधान में भाग ले सकेंगे और उन्हें MSME से जुड़े फायदे मिलेंगे.
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