UP में एक्सप्रेस-वे और हाईवे के दोनों तरफ बनाए जाएंगे अस्पताल, इस तरह गाड़ी चलाने पर होगी सख्त कार्रवाई

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सड़क हादसे पर अंकुश लगाने के लिए बड़ा फैसला लिया है. अब एक्सप्रेस-वे के किनारे सभी शराब दुकानें हटाई जाएंगी. साथ ही बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के स्कूली पाठ्यक्रम में यातायात नियमों को शामिल किया जा सकता है.

एक्सप्रेस-वे के किनारे बंद की जाएंगी शराब दुकानें. Image Credit: @tv9

CM Yogi Adityanath: उत्तर प्रदेश में सड़क हादसे को रोकने और घायलों को तुरंत इलाज मुहैया कराने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सीएम योगी ने ऐलान किया है कि प्रदेश में सभी एक्सप्रेस-वे और हाईवे के दोनों तरफ फूड प्लाजा की तरह अस्पताल बनाए जाएंगे. इन अस्पतालों में एंबुलेंस, ट्रामा सेंटर और ट्रेंड स्टाफ की व्यावस्था रहेगी, ताकि घायलों को तुरंत इलाज मिल सके. वहीं, एक्सप्रेस-वे के किनारे सभी शराब दुकानों को हटाया जाएगा.

पीटीआई के मुताबिक, राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान सीएम योगी ने कहा कि ओवर-स्पीडिंग, नशे में गाड़ी चलाना, गलत साइड से गाड़ी चलाना, लाल बत्ती पार करना और गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. जबकि, अनधिकृत वाहन, ओवरलोड ट्रक और अवैध बसों को सड़कों से हटाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि राजमार्गों के किनारे शराब की दुकानें बंद की जानी चाहिए और बड़े आकार के विज्ञापन होर्डिंग को छोटा किया जाना चाहिए.

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फूड प्लाजा की तरह अस्पताल

सीएम योगी ने कहा कि हर एक्सप्रेसवे के दोनों ओर फूड प्लाजा की तरह अस्पताल होने चाहिए. साथ ही संभागीय मुख्यालयों के अस्पतालों में ट्रॉमा सेंटर, एंबुलेंस और प्रशिक्षित कर्मचारी तैनात किए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि साल 2024 में उत्तर प्रदेश में 46,052 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 34,600 लोग घायल हुए और 24,000 से अधिक लोगों की मौत हुई. उन्होंने इन आंकड़ों को बेहद दुखद बताया और दुर्घटनाओं को कम करने के लिए बहु-विभागीय समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया.

उन्होंने अधिकारियों को राज्य के सड़क नेटवर्क में ब्लैक स्पॉट की पहचान करने और उन्हें ठीक करने का निर्देश दिया. सीएम योगी ने कहा कि 2024 में सबसे अधिक मौतें हरदोई, मथुरा, आगरा, लखनऊ और कानपुर सहित 20 जिलों में हुईं. सड़क दुर्घटना के आंकड़ों का हवाला देते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि इन क्षेत्रों में राज्य में कुल सड़क दुर्घटनाओं में 42 प्रतिशत मौतें हुईं.

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सड़क सुरक्षा को लेकर करें जागरूक

उन्होंने कहा कि अधिकारियों को दुर्घटना के कारणों का विश्लेषण करना चाहिए और सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए. उन्होंने कहा कि जिला स्तरीय बैठकें मासिक रूप से आयोजित की जानी चाहिए, जबकि संभागीय बैठकें तिमाही आधार पर आयोजित की जानी चाहिए. उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि छह संभागों – अयोध्या, प्रयागराज, वाराणसी, आजमगढ़, सहारनपुर और आगरा ने पिछले साल केवल एक बैठक की.

पाठ्यक्रम में शामिल होंगे यातायात नियम

सीएम ने आगे कहा कि बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभागों को स्कूली पाठ्यक्रम में यातायात नियमों को शामिल करना चाहिए, जबकि स्कूलों और कॉलेजों को सड़क सुरक्षा जागरूकता गतिविधियों का आयोजन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कम उम्र में वाहन चलाने वालों को रोकने के लिए सभी ई-रिक्शा चालकों का सत्यापन प्राथमिकता दी जानी चाहिए. उन्होंने निर्देश दिया कि एक्सप्रेसवे और राजमार्गों पर क्रेन, गश्ती वाहनों और एम्बुलेंस की संख्या बढ़ाई जाए और राज्य में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की सभी 93 सड़कों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, क्योंकि वर्तमान में उनमें से केवल चार पर ही कैमरे हैं.