Gensol जैसे स्कैम कैसे पहचानें? विजय केडिया ने बताए 10 रेड फ्लैग, देखते ही दौड़ लें उल्टे पैर!
Gensol Engineering fraud की वजह से लाखों निवेशकों का पैसा उनकी आंखों के सामने डूब रहा है. मशहूर निवेशक विजय केडिया ने इस तरह की कंपनियों की पहचान करने के लिए 10 रेड फ्लैग बताए हैं. जानते हैं क्या हैं ये रेड फ्लैग और अगर किसी कंपनी में ये दिखें, तो आपको क्या करना चाहिए?
सेबी ने जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी को शेयर मार्केट से बैन कर दिया है. दोनों पर कंपनी के फंड्स का दुरुपयोग करने और कॉर्पोरेट प्रशासन में चूक के आरोप लगे हैं. जेनसोल जैसी चर्चित कंपनी में इस तरह का स्कैम सामने आने पर लाखों निवेशकों को झटका लगा है. इसके साथ ही एक बार फिर स्मॉल-कैप और माइक्रो-कैप शेयरों में निवेश के जोखिम उजागर हुए हैं.
मशहूर निवेशक विजय केडिया का मानना है कि जेनसोल ऐसी अकेली कंपनी नहीं है, जो इस तरह के मुद्दों से घिरी हुई है, बल्कि ऐसे तमाम कंपनियां हैं, जो कई तरह के स्कैम जैसे मामलों में शामिल हैं. केडिया ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि आने वाले दिनों में ऐसी कई कंपनियां सामने आ सकती हैं, जिनमें ऐसे घोटाले हुए हैं. लेकिन, आम निवेशकों को जब तक इन घोटालों की जानकारी मिलती है, तब तक बहुत देर हो जाती है.
विजय केडिया ने क्या कहा?
विजय केडिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “अभी भी कई ‘जेनसोल’ छिपी हुई हैं, जो समय के साथ बाहर आने का इंतजार कर रही हैं. उम्मीद है कि तब तक बहुत देर नहीं हो जाएगी.” इसके साथ ही केडिया ने निवेशकों को इस तरह की और धोखाधड़ी के सामने आने के बारे में सतर्क रहने की चेतावनी देते हुए 10 रेड फ्लैग भी साझा किए हैं, ताकि समय रहते ऐसी कंपनियों को पहचाना जा सके और नुकसान से बच सकें.
ये हैं 10 रेड फ्लैग
शेयर बाजार में निवेश करने वालों को विजय केडिया ने जेनसोल जैसी कंपनियों के घोटाले से बचने के लिए 10 पॉइंट बताए हैं. इनके जरिये स्कैम में लिपटी कंपनियों के बारे में समय रहते सचेत हुआ जा सकता है.
- बड़ी-बड़ी बातें और बड़े-बड़े वादे करती हैं.
- सोशल मीडिया पोस्ट और इंटरव्यूज के जरिये लगातार लगातार न्यूज कवरेज में बनी रहती हैं.
- छोटी से छोटी घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर बताती हैं.
- पैसे के इस्तेमाल की स्पष्टता के बिना अक्सर धन जुटाती हैं.
- ट्रैंडिंग नैरेटिव का फायदा उठाने के लिए बेतुके व्यवसायों में घुसती हैं.
- इनोवेशन का दिखावा करने के अपने कंटेट में “एआई-पॉवर्ड,” “नेक्स्ट जेन,” “डिसरप्टिव” जैसे शब्दों को ठूंसती हैं
- प्रमोटर्स की भव्य और शाही लाइफस्टाइल कंपनी के प्रदर्शन से मेल नहीं खानी है.
- प्रमोटर प्लेजिंग का लेवल बहुत ज्यादा होता है
- सीएफओ, ऑडिटर, सीएक्सओ जैसे पदों पर लोग बार-बार बदले जाते हैं.
- इसके अलावा रिलेटेड-पार्टी ट्रांजेक्शन बहुत ज्यादा होते हैं.
प्रमोटरों पर क्या आरोप है?
जेनसोल इंजीनियरिंग सबसे पहले तब सुर्खियां में जब समय पर कर्ज चुकाने की जगह कंपनी ने फर्जी दस्तावेज पेश किए. इस मामले के बाद केयर रेटिंग और आईसीआरए ने कंपनी की क्रेडिट रेटिंग को ‘डी’ कर दिया. इसके बाद मंगलवार शाम 16 अप्रैल को सेबी ने एक अंतरिम आदेश में कंपनी के फंड्स के निजी उपयोग, जालसाजी और भ्रामक खुलासे करने का दोषी पाया, जिसके बाद प्रमोटरों को शेयर बाजार से बैन कर दिया गया.
कहां किया निवेशकों के पैसे का इस्तेमाल
जेनसोल के प्रमोटर्स ने निवेशकों से पैसों से कंपनी के कारोबार को बढ़ाने के बजाय फंड का इस्तेमाल डीएलएफ के ‘द कैमेलियास’ में एक अपार्टमेंट महंगे गोल्फ सेट और लग्जरी वैकेशन के लिए किया. सेबी का कहना है कि प्रमोटर एक लिस्टेड कंपनी को ऐसे चला रहे थे, जैसे कि यह उनकी कोई मालिकाना फर्म है.
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