भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर का क्या है फ्यूचर? WITT के मंच से दिग्गज बोले- छोटे शहरों में अपार संभावनाएं

भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास की गति तेज हो रही है, लेकिन क्या मौजूदा बजट और योजनाएं पर्याप्त हैं? एक्सपर्ट्स ने स्मार्ट सिटी, डिजिटल कनेक्टिविटी और नए आर्थिक केंद्रों को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. जानिए इस महत्वपूर्ण चर्चा के मुख्य बिंदु.

WITT इवेंट Image Credit: Money9 Live

भारत में बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर हाल के वर्षों में बड़े कदम उठाए गए हैं, लेकिन क्या यह विकास पर्याप्त है? इसी सवाल को केंद्र में रखते हुए TV9 नेटवर्क द्वारा आयोजित ‘What India Thinks Today’ समिट के तीसरे संस्करण में ‘Building India: The Infra Agenda’ विषय पर विशेषज्ञों ने चर्चा की. इस पैनल में Purvankara Ltd. के ग्रुप CEO अभिषेक कपूर, Cushman & Wakefield India के मैनेजिंग डायरेक्टर खुर्शीद गांधी और Manu Bhoomi के फाउंडर एवं CMO मोनू चौहान शामिल थे. चर्चा में भारत के तेजी से बढ़ते शहरीकरण, स्मार्ट सिटी योजनाओं, आर्थिक विकास और इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारों पर जोर दिया गया.

बजट में बड़ा आवंटन, लेकिन क्या यह पर्याप्त है?

भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में 11.5 लाख करोड़ रुपये का आवंटन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए किया है, जो कि देश की GDP का लगभग 3% है. लेकिन क्या यह पर्याप्त है? अभिषेक कपूर का मानना है कि देश को इस क्षेत्र में और अधिक निवेश करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि सड़कें, रेलवे और हवाई अड्डे महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जल आपूर्ति, वेस्ट मैनेजमेंट और सतत विकास भी इंफ्रास्ट्रक्चर का अभिन्न हिस्सा हैं.

मेट्रो सिटीज पर निर्भरता कब तक?

खुर्शीद गांधी ने जोर देते हुए कहा कि भारत में 40 से अधिक ऐसे शहर हैं, जिनकी जनसंख्या एक मिलियन से अधिक है, जबकि 350 से अधिक छोटे शहरों की आबादी 1 लाख से 10 लाख के बीच है. उन्होंने कहा कि भारत को केवल मौजूदा शहरों को स्मार्ट सिटी में बदलने की जरूरत नहीं, बल्कि नए आर्थिक केंद्र भी विकसित करने होंगे. उन्होंने यह भी बताया कि भारत में शहरीकरण की गति अगले 5-7 वर्षों में 40% तक पहुंच सकती है, जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव और बढ़ेगा.

मोनू चौहान ने कहा कि भारत में विकास का केंद्र दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे मेट्रो शहर बने हुए हैं, जबकि छोटे शहरों में भी अपार संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे का विकास केवल हवाई अड्डों और मेट्रो से नहीं होगा, बल्कि वहां रोजगार के अवसर भी पैदा करने होंगे. अगर छोटे और मझोले शहरों को बेहतर कनेक्टिविटी और आर्थिक अवसर मिलते हैं तो यह भारत के समग्र विकास को बढ़ावा देगा.

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डिजिटलीकरण से बदल रहा है इंफ्रास्ट्रक्चर

पैनल में इस बात पर सहमति जताई गई कि भारत में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर ने पिछले 30 वर्षों में तेजी से प्रगति की है. खुर्शीद गांधी ने कहा कि इंटरनेट कनेक्टिविटी, स्मार्ट सिटीज और डिजिटल ट्रांजैक्शंस ने देश में एक नया आर्थिक माहौल बनाया है. उनका मानना है कि डिजिटलीकरण इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में अहम भूमिका निभाएगा और यह भारत के आर्थिक मॉडल को और मजबूत करेगा.