जापान भारत को फ्री में देगा बुलेट ट्रेन, 320 KM प्रति घंटे की स्पीड से चलती है शिंकानसेन

जापान भारत को मुफ्त में दो शिंकानसेन ट्रेन सेट (E5 और E3) देगा ताकि मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर की टेस्टिंग और निरीक्षण किया जा सके. ये ट्रेनें 2026 में भारत आएंगी और विशेष उपकरणों से लैस होंगी. इस सहयोग से भारत को जापानी बुलेट ट्रेन तकनीक को समझने और E10 (Alfa-X) ट्रेन को भारतीय परिस्थितियों के अनुसार ढालने में मदद मिलेगी.

जापान भारत को मुफ्त में दो शिंकानसेन ट्रेन सेट (E5 और E3) देगा. Image Credit: FREE PIK

Shinkansen Train: जापान भारत को दो बुलेट ट्रेन शिंकानसेन E5 और E3 गिफ्ट में दे रहा है, जो कि 2026 में देश में आएंगी और इनका इस्तेमाल मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड कॉरिडोर पर टेस्टिंग के लिए किया जाएगा. E5 शिंकानसेन अपनी हाईस्पीड के लिए जानी जाती है. इनकी टॉप स्पीड 320 किलोमीटर प्रति घंटा है. इसका उपयोग जापान 2011 से कर रहा है, जबकि शिंकानसेन E3 थोड़ी पुरानी मॉडल है, जिसका उपयोग छोटे रूट के लिए होता है. दोनों ट्रेनें एयरोडायनामिक डिजाइन, एडवांस सेफ्टी फीचर्स और स्मूद राइड के लिए जानी जाती हैं.

क्यों दी जा रही हैं ये ट्रेनें?

दोनों ट्रेनें 2026 की शुरुआत में भारत पहुंचेंगी और इनमें स्पेशल टेस्टिंग उपकरण लगाए जाएंगे. भारत की जलवायु चुनौतियों जैसे गर्मी और धूल को समझने के लिए इनसे ऑपरेशनल डेटा इकट्ठा किया जाएगा. ये डेटा जापान की अगली पीढ़ी की ट्रेन E10 (Alfa-X) के डिजाइन को भारतीय परिस्थितियों के अनुसार ढालने में मदद करेगा.

E10 ट्रेन क्या है?

E10 या Alfa-X जापान की लेटेस्ट तकनीक से बनी शिंकानसेन ट्रेन है, जिसकी स्पीड 400 किमी/घंटा तक जा सकती है. इसे भारत में 2030 के आसपास चलाने की योजना है. लेकिन 2027 में कॉरिडोर के आंशिक उद्घाटन तक ये तैयार नहीं होगी, इसलिए तब तक E5 और E3 ट्रेनें टेस्टिंग के लिए उपयोग होंगी.

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भारत के लिए क्यों है अहम?

शिंकानसेन ट्रेन के भारत आने से यहां हाई स्पीड रेल तकनीक का अनुभव मिलेगा और ट्रेन डिजाइन को भारतीय जरूरतों के हिसाब से बदला जा सकेगा. इससे देश के अंदर भी हाई स्पीड ट्रेन के मैन्युफैक्चरिंग में मदद मिलेगी.

बुलेट ट्रेन की फंडिंग भी जापान कर रहा

देश में बन रहे हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट की 80 फीसदी फंडिंग जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) द्वारा सस्ते कर्ज के रूप में की जा रही है. जिसका ब्याज दर सिर्फ 0.1 फीसदी है और 50 वर्षों में चुकाने की शर्त है, जिससे यह भारत के लिए टिकाऊ फाइनेंसिंग मॉडल बनता है.