Supertech के अधूरे प्रोजेक्ट पूरे करने को NBCC ने पेश की तीन चरण की योजना, सुप्रीम कोर्ट से मांगी इजाजत

दिल्ली-एनसीआर सहित देश के कई शहरों में सुपरटेक ग्रुप की आवासीय परियोजनाओं में हजारों लोगों के अपने धर का सपना अटका हुआ है. फिलहाल आम्रपाली समूह के अधूरे प्रोजेक्ट पूरा कर 30 हजार घर खरीदारों की मदद कर रही सरकारी कंपनी एनबीसीसी अब सुपरटेक के घर खरीदारों की मदद के लिए आगे आई है.

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बिल्डर के दिवालिया होने की वजह से तमाम प्रोजेक्ट अधूरे हैं. Image Credit: Supertech

दिवालियापन प्रक्रिया से गुजर रही रियल एस्टेट डवलपर कंपनी सुपरटेक लिमिटेड की देशभर में 17 परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं. इन परियोजनाओं के तहत कुल 51 हजार घर बनाए जाने हैं. इनमें से करीब 27 हजार घर ऐसे हैं, जिनके लिए लोग अपने खून-पसीने की गाढ़ी कमाई में से बिल्डर को पैसा दे चुके हैं. लेकिन, कंपनी अब घर खरीदारों को न तो पैसा लौटाने की स्थिति में है और न घर बनाकर दे सकती है. सरकारी कंपनी एनबीसीसी इन घर खरीदारों की मदद के लिए आगे आई है. फिलहाल, इसी तरह के मामले में एनसीआर में आम्रपाली समूह के अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा कर रही एनबीसीसी ने अब सुपरटेक के अधूरे प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए योजना पेश की है.

मंगलवार को एनबीसीसी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दस्तक देते संकट में फंसे हजारों घर खरीदारों के हित को ध्यान में रख अधूरे प्रोजेक्ट पूरे करने की मंजूरी देने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट में घर खरीदारों की तरफ से अधिवक्ता एमएल लाहोटी और नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल जैन पेश हुए. लाहोटी ने अदालत को बताया कि एनसीआर, देहरादून और बेंगलुरु में सुपरटेक की 17 रुकी हुई परियोजनाओं में 27,000 से ज्यादा घर खरीदार वर्षों से फंसे हुए हैं.

कंपनी के खिलाफ 2021 से दिवालियापन की कार्यवाही चल रही है. इस स्थिति में परेशान घर खरीदारों की ओर से पेश हुए एमएल लाहोटी ने जस्टिस संजीव खन्ना और संजय कुमार की पीठ को बताया कि एनबीसीसी इन रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने का प्रस्ताव लेकर आगे आई है. व्यापक जनहित को ध्यान में रखकर अदालत को एनबीसीसी की योजना पर गौर करना चाहिए. वहीं, गोपाल जैन ने बताया कि एनबीसीसी ने सुपरटेक लिमिटेड की दिवालिया कार्यवाही से संबंधित मामले में हस्तक्षेप का आवेदन दायर किया है. इसी तरह की प्रक्रिया के तहत फिलहाल एनबीसीसी आम्रपाली समूह रुकी हुई परियोजना को पूरा कर रही है.

आम्रपाली समूह से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एनबीसीसी को रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए नियुक्त किया था. आम्रपाली मामले में कंपनी के प्रमोटरर्स ने घर खरीदारों के पैसे की बड़ी मात्रा में हेराफेरी और गबन किया था. लाहोटी और जैन की दलीलों पर गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुनवाई के लिए 1 अक्टूबर को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्ति की है.

तीन चरण में पूरी होंगी अधूरी परियोजनाएं

पीठ ने कहा कि अदालत एनबीसीसी के प्रस्ताव पर विचार करने को तैयार है. एनबीसीसी ने अपने आवेदन में कहा कि अदालत के आदेशों के मुताबिक आम्रपाली परियोजनाओं के हजारों घर खरीदारों को फ्लैट सौंपे जा चुके हैं. आम्रपाली परियोजनाओं के समान शर्तों पर कंपनी सुपरटेक की परियोजनाओं को पूरा करने को तैयार है.इसके साथ ही बताया कि राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के समक्ष भी आवेदन दिया गया है, जिसमें सुपरटेक लिमिटेड की लंबित परियोजनाओं को शुरू करने के लिए अपनीे शर्तें प्रस्तुत की हैं.

पहले चरण में नोएडा और ग्रेटर नोएडा की परियोजनाएं

एनबीसीसी ने 17 परियोजनाओं को तीन चरणों में पूरा करने का प्रस्ताव रखा है. पहले चरण के तहत ग्रेटर नोएडा में ईकोविलेज-2, इकोविलेज-3, सीजर सुइट्स और स्पोर्ट्स विलेज शामिल हैं. वहीं, नोएडा में रोमानो, केपटाउन द इकोसिटी को पूरा करने का प्रस्ताव रखा है.

दूसरे चरण मे इन परियोजनाओं का काम होगा पूरा

एनबीसीसी की तरफ से एनसीएलएटी को दिए गए आवेदन के मुताबिक दूसरे चरण में नोएडा में नॉर्थआईए, यमुना एक्सप्रेसवे के पास अपकंट्री , ग्रेटर नोएडा में इकोविलेज-1, मेरठ में स्पोर्ट्स सिटी और ग्रीन विलेज परियोजनाओं को पूरा करने का प्रस्ताव रखा है.

आखिरी चरण में इन परियोजनाओं का काम होगा पूरा

एनबीसीसी के मुताबिक तीसरी और आखिरी चरण में गुरुग्राम में हिलटाउन, अराविले के साथ ही रुद्रपुर में रिवरक्रेस्ट, देहरादून में दून स्क्वायर और बेंगलुरु में मीकासा परियोजना को को पूरा करेगी.

एनसीएलटी ने घर खरीदारों से मांगी प्रतिक्रिया

सितंबर के दूसरे सप्ताह में एनसीएलटी के सामने एनबीसीसी ने अपनी योजना पेश की थी. इसके बाद एनसीएलटी ने 27,000 घर खरीदारों और अन्य हितधारकों से सुपरटेक लिमिटेड की रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एनबीसीसी के प्रस्ताव पर आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं.