हर प्रॉपर्टी नहीं होती फायदे का सौदा, खतरे में हैं ये प्रोजेक्ट, फिनफ्लुएंसर ने बता दिया कच्चा-चिट्ठा
Real Estate: फिनफ्लुएंसर अक्षत श्रीवास्तव का मानना है कि भारतीय रियल एस्टेट बाजार में कुछ प्रॉपर्टी प्रोजेक्ट्स, खासकर मेगा टाउनशिप प्रोजेक्ट्स, आर्थिक नुकसान का कारण बन सकते हैं. उन्होंने निवेशकों को आगाह किया है कि ऐसे प्रोजेक्ट में गड़बड़ी हो सकती है. क्या गड़बड़ी और कैसे यहां जानें...
Real Estate Prices: रियल एस्टेट बाजार के बारे में आप क्या सोचते हैं, क्या ये फिलहाल संकट से गुजर रहा? या फिर क्या आने वाले समय में प्रॉपर्टी के भाव बढ़ना तय है? रियल एस्टेट सेक्टर कई बार आर्थिक उतार-चढ़ाव का सामना करता है लेकिन उसके बावजूद प्रॉपर्टी मार्केट चढ़ता ही है. लेकिन फिर भी एक समय में रियल एस्टेट में निवेश फायदे का सौदा नहीं बचेगा. ऐसा विजडम हैच के फाउंडर और फिनफ्लुएंसर अक्षत श्रीवास्तव ने अपने एक पोस्ट में कहा है. उन्होंने निवेशकों को आगाह किया है कि कुछ प्रॉपर्टी प्रोजेक्ट्स, खासकर मेगा टाउनशिप प्रोजेक्ट्स, आर्थिक नुकसान का कारण बन सकते हैं. चलिए आपको समझाते वे ऐसा क्यों सोचते हैं.
अक्षत श्रीवास्तव ने X पर एक पोस्ट में चेतावनी दी कि भले ही पूरा बाजार मजबूत बना रहे, लेकिन कुछ खास तरह की प्रॉपर्टी खासकर तेजी से बढ़ते मेगा टाउनशिप प्रोजेक्ट्स आर्थिक नुकसान में बदल सकते हैं.
कई झटके लगे फिर भी रियल एस्टेट में तेजी
हालांकि उन्होंने ये नहीं कहा कि रियल एस्टेट की मांग घटेगी. वो समझाते हैं कि भारत की डेमोग्राफिक स्थिति अनोखी है, “भारत के पास अमेरिका की तुलना में 1/4 जमीन है. और हमारी जनसंख्या अमेरिका की तुलना में 4 गुना है. इससे 16 गुना अधिक दबाव बनता है. साथ ही, हमारी जनसंख्या बढ़ रही है और 2065 तक अपने चरम पर पहुंचेगी.”
उन्होंने आगे कहा कि, 2016 में नोटबंदी जैसी भारी आर्थिक उथल-पुथल के बावजूद, प्रॉपर्टी बाजार में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली है. यह नोटबंदी रियल एस्टेट बाजार को खत्म कर सकती थी. लेकिन इसके बावजूद, हमारा प्रॉपर्टी बाजार 200-300% तक बढ़ चुका है.” यानी 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट और नोटबंदी के नकदी संकट को झेलने के बाद भी, रियल एस्टेट सेक्टर मजबूती से टिका हुआ है.
‘हर तरह की प्रॉपर्टी में निवेश फायदेमंद नहीं’
श्रीवास्तव ने साफ कहा कि हर तरह की प्रॉपर्टी में निवेश फायदे का सौदा नहीं होगा. उन्होंने भारत में एक चिंताजनक ट्रेंड की ओर इशारा किया, यानी मेगा टाउनशिप प्रोजेक्ट्स, जहां बिल्डर्स फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) को बेहताशा बढ़ाकर सप्लाई को अनियंत्रित रूप से बढ़ा सकते हैं.
उन्होंने लिखा कि, “यहां लगभग अनगिनत फ्लैट्स बनाए जा सकते हैं. अगर किसी जगह का FAR 1000% है, तो बिल्डर रिश्वत देकर इसे 5000% तक बढ़वा सकता है और एक सीमित जगह में कई और यूनिट्स खड़ी कर सकता है.”
उनके अनुसार, इसका नतीजा अस्थिर विकास और घटती लिविंग स्टैंडर्ड के रूप में सामने आता है.
उन्होंने चेतावनी देते हुए लिखा कि, “जो चमचमाती इमारत आप आज देख रहे हैं, वह कुछ ही सालों में डेड इंवेस्टमेंट साबित हो सकती है.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि मुद्दा खुद रियल एस्टेट नहीं है, बल्कि भ्रष्टाचार और आक्रामक मार्केटिंग के कारण हो रहा अनियंत्रित विस्तार है.
क्या है निवेशकों के लिए सलाह?
उन्होंने कहा कि, “निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और ऐसी डेवलपमेंट्स से बचना चाहिए जहां सप्लाई को गलत तरीके से बढ़ाया जा सकता है. भारतीय रियल एस्टेट भले ही मजबूत बना हुआ हो, लेकिन इस सेक्टर के हर निवेश में मुनाफा नहीं है.”