क्या आप भी खरीदने जा रहे हैं घर, तो जान लीजिए प्रॉपर्टी के ये नियम…वरना हो सकता है नुकसान
अपने लिए घर खरीदना काफी बड़ा काम होता है. ये काम और भी मुश्किल हो जाता है जब आप पहली बार घर खरीदते हैं. इस आर्टिकल में हम आपको घर खरीदने से पहले पता होने वाले कुछ अहम नियम की जानकारी देंगे. इनकी जानकारी से घर खरीदने और बेचने में आने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है.
रोटी, कपड़ा और मकान… कहा जाता है कि जीवन में इन तीन चीजों का होना काफी अहम है. लोगों की पूरी जिंदगी इन्हीं तीन जरूरतों को पूरा करने में निकल जाती है. हालांकि, समय के साथ इन तीन जरूरतों के साथ नए शब्द जुड़ते रहते हैं. कभी मकान के साथ गाड़ी जुड़ती है तो कभी स्मार्टफोन. इस स्टोरी में हम फिलहाल मकान की बात करेंगे, क्योंकि आमतौर पर अपने मकान की इच्छा सभी की होती है.
अपने लिए घर खरीदना काफी बड़ा काम होता है. ये काम और भी मुश्किल हो जाएगा जब आप पहली बार घर खरीदते हैं. इस खबर में हम आपके काम को थोड़ा आसान करने वाले हैं. हम रियल एस्टेट से जुड़े कुछ ऐसे नियम बताएंगे जिनका पता न केवल आपके लिए जरूरी है बल्कि इसकी मदद से आप बगैर किसी मुश्किल के घर खरीद भी सकते हैं.
नई और अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी को लेकर क्या नियम?
सबसे पहली बात ये है कि अंडर कंस्ट्रक्शन और तैयार प्रॉपर्टी के नियम अलग-अलग होते हैं. रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट 2016 के मुताबिक, अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी और बनी हुई प्रॉपर्टी की खरीद के नियम अलग होते हैं. अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी की खरीद के दौरान, खरीदार को बिल्डर के खिलाफ अगर कोई शिकायत है तब उसे रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) में जाना होगा. वहीं बनी हुई प्रॉपर्टी को लेकर किसी तरह की दिक्कत या परेशानी के लिए खरीदार को डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल ट्रिब्यूनल में जाना होगा.
कानूनी ओनरशिप
प्रॉपर रजिस्ट्रेशन के बगैर कोई भी किसी प्रॉपर्टी में कानूनी ओनरशिप नहीं ले सकता है. इंडियन स्टाम्प एक्ट 1899 के मुताबिक, प्रॉपर्टी के खरीदार को रजिस्ट्रेशन शुल्क के तौर पर पूरी रकम का 1 फीसदी देना होगा. इसके अलावा स्टांप ड्यूटी के नाम पर 4 से 10 फीसदी का चार्ज भी देना पड़ेगा. रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया के बाद ही खरीदार प्रॉपर्टी का मालिक बन सकता है.
रेंटल प्रॉपर्टी को लेकर भी नियम
रियल एस्टेट सेक्टर के काम करने के तरीके को ड्राफ्ट मॉडल टेनेंसी एक्ट 2015 ने पूरी तरह बदल दिया है. इस एक्ट के तहत, प्रॉपर्टी के मालिक को एक बार अपनी बिल्डिंग किराये पर देने के बाद वह उसमें कभी भी प्रवेश नहीं कर सकती है. एक्ट के मुताबिक, प्रॉपर्टी के मालिक होने के बावजूद, उन्हें किसी भी काम के लिए किराये की प्रॉपर्टी में जाने से 24 घंटे पहले अपने आने की लिखित सूचना देनी होगी.
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प्रॉपर्टी सेल
प्रॉपर्टी के बेचने को लेकर भी नियम कानून हैं. अगर कोई अपनी प्रॉपर्टी को बेचना चाहता है तब इनकम टैक्स कानून के मुताबिक उसे उससे होने वाले प्रॉफिट पर कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. अगर कोई इस टैक्स से बचना चाहता है तब उसके पास दो विकल्प हैं- वह किसी सरकारी स्कीम की मदद ले सकता है या उस पैसे को किसी दूसरे फिक्स्ड प्रॉपर्टी में निवेश कर सकता है.