सुपरटेक मामले में सुप्रीम कोर्ट की नोएडा अथॉरिटी को फटकार, कहा- बायर्स नहीं सिर्फ अपने पैसे की चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने NBCC को सुपरटेक के 16 अधूरे प्रोजेक्ट पूरे करने की इजाजत दी, जबकि अथॉरिटी ने इस आदेश का विरोध किया. सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए SIT गठित करने पर विचार करने की बात कही है.

सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को कड़ी फटकार लगाई है. Image Credit: Pradeep Gaur/SOPA Images/LightRocket via Getty Images

Supertech, Noida Authority, Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि वह केवल अपने बकाए पैसों की चिंता कर रही है, जबकि हजारों फ्लैट बायर्स अब भी किराए के मकानों में रहने को मजबूर हैं. कोर्ट ने अथॉरिटी की उस अपील पर नाराजगी जताई, जिसमें उसने NCLAT के फैसले को चुनौती दी थी. इस फैसले के तहत नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी (NBCC) को दिवालिया घोषित हो चुकी रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक के 16 अधूरे प्रोजेक्ट पूरे करने की अनुमति दी गई थी.

अधिकारियों की जवाबदेही पर सवाल

नोएडा अथॉरिटी ने NCLAT के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. अथॉरिटी का कहना था कि अगर NBCC को प्रोजेक्ट सौंप दिए जाते हैं, तो उसके बकाए की भरपाई कौन करेगा? इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि मौजूदा स्थिति के लिए खुद अथॉरिटी के अधिकारी जिम्मेदार हैं. कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि वह इस मामले में SIT गठित करने पर विचार कर रहा है, जिससे जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जा सके.

जमीन का बकाया हो सकता है खत्म

नोएडा अथॉरिटी के वकील संजीव सेन ने सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जॉयमाल्या बागची की पीठ के सामने तर्क दिया कि जब सुपरटेक दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही थी, तब NBCC को प्रोजेक्ट सौंपने का फैसला NCLAT के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता था. उन्होंने कहा कि नए खरीदारों को नोएडा अथॉरिटी का बकाया और बैंकों के लोन का भुगतान करना होगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अथॉरिटी को यह समझना चाहिए कि जमीन का बकाया खत्म भी किया जा सकता है, क्योंकि यह समस्या उसने खुद खड़ी की है.

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10 साल से परेशान हो रहे होमबायर्स

सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी से पूछा कि उसने ऐसा सिस्टम क्यों बनाया, जो पूरी तरह से रियल एस्टेट कंपनियों के पक्ष में था और जिससे हजारों होमबायर्स को एक दशक से अधिक समय तक परेशानी उठानी पड़ी? कोर्ट ने साफ किया कि वह SIT के गठन पर विचार कर रही है ताकि इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जा सके.