सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक प्रोजेक्ट्स के लिए NBCC की नियुक्ति पर लगाई रोक, 27000 होमबायर्स के सपनों पर फिर संकट
सुपरटेक के हजारों होमबायर्स को राहत मिलने की उम्मीद थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक चौंकाने वाला फैसला सुनाया है. NBCC को लेकर जारी विवाद अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है. जानिए, इस फैसले के पीछे की पूरी कहानी.
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SC stays NCLAT order: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसले में कर्ज में डूबी रियल्टी कंपनी सुपरटेक लिमिटेड की 16 आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एनसीएलएटी(NCLT) के आदेश पर रोक लगा दी. यह फैसला उन हजारों होमबायर्स के लिए खास मायने रखता है, जो वर्षों से अपने घरों का इंतजार कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. कोर्ट ने चिंता जताई कि क्या नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने NBCC को प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट नियुक्त करने में दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC) की प्रक्रियाओं का सही पालन किया है.
कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए निर्देश दिया कि वे अपने जवाब दाखिल करें और इस मामले की अगली सुनवाई अप्रैल के पहले सप्ताह में होगी.
27,000 होमबायर्स की उम्मीदों पर असर
NCLAT ने 12 दिसंबर 2024 को आदेश दिया था कि NBCC सुपरटेक के 16 हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करे. ये प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और कर्नाटक में फैले हुए हैं और इनमें 49,748 फ्लैट्स शामिल हैं. इनमें से करीब 27,000 होमबायर्स अभी भी अपने घरों की डिलीवरी का इंतजार कर रहे हैं.
NCLAT का यह आदेश 1 अक्टूबर 2014 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आधार पर आया था, जिसमें NBCC को अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के प्रस्ताव की समीक्षा करने की अनुमति दी गई थी.
सुपरटेक की दिवालियापन प्रक्रिया का बैकग्राउंड
NBCC ने NCLAT के सामने सुपरटेक के अधूरे प्रोजेक्ट्स को तीन चरणों में पूरा करने का प्रस्ताव दिया था. ट्रिब्यूनल ने NBCC को 31 मार्च 2025 से पहले काम शुरू करने और 1 मई 2025 से निर्माण कार्य शुरू करने का निर्देश दिया था. इसके तहत हर प्रोजेक्ट के लिए कोर्ट की निगरानी में एक विशेष समिति गठित की जानी थी.
सुपरटेक लिमिटेड को 2021 में भारी वित्तीय संकट के चलते दिवालियापन प्रक्रिया का सामना करना पड़ा था. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने 20 मार्च 2021 को IBC की धारा 7 के तहत दिवालियापन याचिका दायर की थी, जिसमें 31 जनवरी 2021 तक 431 करोड़ रुपये की बकाया राशि और उस पर लागू ब्याज की मांग की गई थी.
क्या होगा आगे?
अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई तक NCLAT के आदेश पर रोक लगा दी है. इस दौरान कोर्ट ने अन्य कंपनियों को भी प्रस्ताव देने की अनुमति दी है, जिससे सभी हितधारकों को ध्यान में रखते हुए प्रोजेक्ट्स के पूरा होने का समाधान निकाला जा सके.
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