गडकरी राज में पहली बार ! 7 साल में सबसे कम बनेंगी सड़के, जानें कितना घटा टारगेट
भारत में पिछले कुछ समय से हाईवे और एक्सप्रेसवे का तेजी से निर्माण हो रहा है. यहां तक कि कोविड-19 जैसी महामारी के दौरान भी सबसे अधिक सड़कों का निर्माण हुआ था. हालांकि, अब इसकी रफ्तार धीमी पड़ने वाली है, क्योंकि इस साल केवल 10,000 किलोमीटर हाईवे का निर्माण होगा. यदि ऐसा होता है, तो यह पिछले 7 वर्षों में सबसे कम होगा. हालांकि, इस दौरान हाई-स्पीड कॉरिडोर का लक्ष्य 5,800 किलोमीटर तक पहुंचने का है.
भारत में सड़क नेटवर्क तेजी से विकसित हो रहा है, और एक के बाद एक कई एक्सप्रेसवे का निर्माण हो रहा है. हालांकि, इस साल सड़क निर्माण की रफ्तार कुछ हद तक धीमी रहने वाली है, जो पिछले 7 वर्षों में सबसे कम होगी. इसके अलावा, इस साल हजारों किलोमीटर के हाई-स्पीड कॉरिडोर का भी निर्माण होने वाला है, जिससे वाहनों की गति बढ़ेगी. आइए जानते हैं कि वित्त वर्ष 2025 में कितने किलोमीटर सड़कों का निर्माण होगा.
10,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)
बजट दस्तावेज के अनुसार, सरकार ने 2025-26 में 10,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) बनाने का लक्ष्य रखा है, जो 2018-19 के बाद से सबसे कम है. हालांकि, सरकार का ध्यान बड़े पैमाने पर एक्सप्रेसवे और ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे पर केंद्रित है. अगले एक साल में सभी हाई-स्पीड कॉरिडोर की कुल लंबाई 5,800 किलोमीटर तक पहु्ंचने का लक्ष्य रखा गया है.
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7 साल में सबसे कम बनेगा नेशनल हाईवे
मंत्रालय ने सोमवार को विस्तृत बजट दस्तावेज अपलोड किया, जिससे पता चलता है कि 2019-20 में सबसे कम 10,237 किलोमीटर सड़क का निर्माण हुआ था, जबकि कोविड-19 महामारी के बावजूद 2020-21 में सबसे अधिक 13,327 किलोमीटर सड़कें बनी थीं. वहीं, पिछले वित्त वर्ष में कुल 12,349 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ था. टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि वित्त वर्ष 2026 के लिए इस लक्ष्य में आगे संशोधन भी किया जा सकता है.
35,000 करोड़ प्राइवेट इनवेस्टमेंट का लक्ष्य
बजट दस्तावेज के अनुसार, मंत्रालय ने पूर्ण हो चुके हाईवे प्रोजेक्ट्स से 30,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है, जबकि प्राइवेट इनवेस्टमेंट से 35,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है. सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सड़क दुर्घटना पीड़ितों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए 128 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं. वर्तमान में यह योजना असम, चंडीगढ़, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा और पुडुचेरी में लागू की गई है. इसके अलावा, परिवहन मंत्रालय ने नेशनल हाईवे पर 1,000 ब्लैक स्पॉट हटाने और 40,000 किलोमीटर हाईवे का रोड सेफ्टी ऑडिट करने का लक्ष्य रखा है.