क्या होता है e-Stamp, जानें किन राज्यों में है ये सुविधा और कैसे होता है पेमेंट
ई-स्टांपिंग सिस्टम पारदर्शिता सुनिश्चित करती है, धोखाधड़ी को रोकती है और समय की बचत करती है. भारत में धीरे-धीरे सभी राज्यों को इस प्रणाली में शामिल किया जा रहा है जिससे लोग बिना किसी कठिनाई के अपने दस्तावेजों का ई-स्टांपिंग करवा सकें.
What is E Stamp: ई-स्टांपिंग ने स्टांप शुल्क भुगतान की प्रक्रिया को डिजिटल और सरल बना दिया है. अब नागरिकों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है और वे ऑनलाइन सुरक्षित तरीके से स्टांप शुल्क जमा कर सकते हैं. भारत में संपत्ति खरीदने, बेचने, लीज पर देने या किसी भी तरीके का कानूनी दस्तावेज तैयार करने के लिए स्टांप फीस का भुगतान करना जरूरी होता है. पहले इस शुल्क का भुगतान भौतिक स्टांप पेपर के जरिए से किया जाता था जिसमें लोगों को सब-रजिस्ट्रार कार्यालय जाना पड़ता था. लेकिन अब सरकार ने ई-स्टांपिंग सिस्टम शुरू किया है जिससे यह प्रक्रिया ऑनलाइन पूरी की जा सकती है. हालांकि, यह प्रोसेस आप रजिस्टर्ड वेंडर के द्वारा ही पूरा करा सकते हैं. यह डिजिटल स्टांपिंग सिस्टम पारदर्शिता लाने, जालसाजी रोकने और दस्तावेजीकरण को सरल बनाने के उद्देश्य से लागू की गई है. इस लेख में हम ई-स्टांपिंग, इसे प्राप्त करने की प्रक्रिया और इससे जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी देंगे.
ई-स्टांपिंग सिस्टम
ई-स्टांपिंग की शुरुआत भारत सरकार ने जुलाई 2013 में की थी ताकि स्टांप शुल्क के भुगतान में धोखाधड़ी और गलतियों को रोका जा सके. स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL) को देशभर में ई-स्टांपिंग का सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी (CRA) नियुक्त किया गया है. SHCIL के अधिकृत संग्रह केंद्र (ACCs), जो कि बैंक या डाकघर हो सकते हैं, ई-स्टांप पेपर जारी करने का काम करते हैं.
भारत में 30 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश (UTs) भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 का पालन करते हैं, जबकि 6 राज्यों ने अपने अलग स्टांप अधिनियम लागू किए हैं. ई-स्टांपिंग को अपनाने वाले राज्यों ने अपनी प्रक्रियाओं में कुछ बदलाव किए हैं जिसके वजह से इसकी प्रक्रिया राज्य दर राज्य अलग-अलग हो सकती है.
ई-स्टांप शुल्क का भुगतान कैसे करें?
ई-स्टांपिंग पोर्टल पर स्टांप शुल्क का भुगतान करने के लिए निम्नलिखित माध्यम उपलब्ध हैं:
- नकद
- चेक
- डिमांड ड्राफ्ट
- एनईएफटी (NEFT)
- आरटीजीएस (RTGS)
- पे ऑर्डर
- खाता स्थानांतरण (Account Transfer)
ई-स्टांपिंग लागू करने वाले राज्य
वर्तमान में, SHCIL के तहत 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ई-स्टांपिंग की सुविधा उपलब्ध है:
- अंडमान और निकोबार
- आंध्र प्रदेश
- बिहार
- छत्तीसगढ़
- चंडीगढ़
- दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव
- दिल्ली
- गुजरात
- हिमाचल प्रदेश
- जम्मू और कश्मीर
- कर्नाटक
- लद्दाख
- मेघालय
- ओडिशा
- पुडुचेरी
- पंजाब
- राजस्थान
- तमिलनाडु
- त्रिपुरा
- उत्तर प्रदेश
- उत्तराखंड
ई-स्टांपिंग की प्रक्रिया
अब संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों का ई-स्टांप हासिल करना बहुत आसान हो गया है. इसके लिए आपको रजिस्टर्ड वेंडर से स्टांप शुल्क ऑनलाइन जमा करना होगा और प्रमाणपत्र डाउनलोड कराना होगा. ई-स्टांप लेने के लिए वेंडर को नीचे दिए गए इन स्टेप्स का पालन करना होगा.
- SHCIL की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं.
- e-Stamp Services का चयन करें.
- राज्य का चयन करें, जहां स्टांप शुल्क का भुगतान करना है (हर राज्य में शुल्क अलग हो सकता है).
- आवेदन पत्र भरें और ‘डाउनलोड’ बटन पर क्लिक करें. अगर स्टांप शुल्क 501 रुपये से कम है तो इसे बिना भुगतान के भी डाउनलोड किया जा सकता है.
- डाउनलोड बटन पर क्लिक करने के बाद आपको स्टांप प्रमाणपत्र मिल जाएगा.
SHCIL पोर्टल पर स्टांप शुल्क का भुगतान कैसे करें?
अगर रजिस्टर्ड वेंडर SHCIL पोर्टल पर आपते स्टांप शुल्क का भुगतान करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें:
- SHCIL पर ‘Register Now’ बटन पर क्लिक करें.
- यूजर आईडी, पासवर्ड, सिक्योरिटी प्रश्न और बैंक डिटेल्स भरें.
- पंजीकरण के बाद, आपके ईमेल पर भेजे गए एक्टिवेशन लिंक की पुष्टि करें.
- यूजर आईडी और पासवर्ड से लॉग इन करें.
- स्टांप शुल्क भुगतान के लिए राज्य का चयन करें.
- ‘Nearest SHCIL Branch’ विकल्प चुनें और भुगतान के लिए रेफरल नंबर जनरेट करें.
- रेफरल नंबर का प्रिंटआउट लेकर SHCIL ब्रांच जाएं जहां से ई-स्टांप पेपर का आखिरी प्रिंट लिया जा सकता है.
यह भी पढ़ें: होंडा को गोरखपुर, छतरपुर, सूरत, औरैया सहित 18 शहरों में डीलर की तलाश, जानें इनवेस्टमेंट और प्रॉसेस
ई-स्टांप प्रमाणपत्र की ऑनलाइन प्रिंटिंग
दिल्ली, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर, पुडुचेरी और अंडमान एवं निकोबार के नागरिक SHCIL पोर्टल पर भुगतान करने के बाद घर से ही ई-स्टांप प्रमाणपत्र का प्रिंट निकाल सकते हैं. हालांकि, इसके लिए नागरिक को भुगतान गेटवे शुल्क देना होगा.