SEBI Board Meeting में लिए गए 10 सबसे बड़े फैसले, जिन्हें जानना है जरूरी
भारतीय इक्विटी बाजार के नियामक SEBI की बुधवार को एक अहम बोर्ड बैठक हुई. इस बैठक में निवेशकों की सुरक्षा और बाजार की अखंडता को बनाए रखने के लिए कई नए नियमों का ऐलान किया गया. इस बैठक में 10 ऐसे बड़े फैसले लिए गए हैं, जिन्हें जानना जरूरी है.
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की बुधवार को हुई बोर्ड बैठक में SME IPO के लिए सख्त मानदंड, ESG रिपोर्टिंग के मामले में ढील, सिंपलीफाइड डेट लिस्टिंग और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की निगरानी बढ़ाने पर फैसले किए. सेबी का कहना है कि ये फैसले बाजार की पारदर्शिता में सुधार करने और भारतीय पूंजी बाजारों में निवेशकों के विश्वास बढ़ाने के लिए किए गए हैं.
1. SME IPO के लिए सख्त नियम
सेबी ने SME IPO के लिए कुछ कड़ी शर्तें रखी हैं. अब एसएमई कैटेगिरी में लिस्टिंग के लिए आईपीओ लाने वाली कंपनियों को पिछले तीन वित्तीय वर्षों में से कम से कम दो में 1 करोड़ रुपये का ऑपरेशनल प्रॉफिट दिखाना जरूरी होगी. इसके अलावा, प्रमोटर और प्रमुख शेयरधारक आईपीओ के दौरान ओएफएस के तहत अपनी हिस्सेदारी का अधिकतम 50% हिस्सा ही बेच पाएंगे. इसके साथ ही आईपीओ से होने वाली आय के दुरुपयोग पर भी लगाम लगाई है, जिसके तहत यह तय किया गया है कि आईपीओ से मिली रकम का इस्तेमाल प्रमोटरों व निदेशकों से लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा, सेबी ने कहा है कि एसएमई आईपीओ में गैर-संस्थागत निवेशकों (एनआईआई) के लिए अलॉटमेंट मेथड को मेनबोर्ड आईपीओ में एनआईआई के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मेथड से जोड़ा जाना चाहिए.
2. मर्चेंट बैंकर रेगुलेशन रिव्यू
सेबी की तरफ से अप्रूव किए गए नए मानदंडों के तहत, बैंकों, सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों और उनकी सहायक कंपनियों के अलावा मर्चेंट बैंकर केवल परमिटेड गतिविधियों को ही कर पाएंगे. ये बैंकर संबंधित विनियामक प्राधिकरण से पंजीकरण प्राप्त करने के बाद ही एक अलग व्यावसायिक इकाई के रूप में दूसरी कारोबारी गतिविधियां कर सकते हैं. इसके साथ ही सेबी ने तय किया है कि मर्चेंट बैंकरों के लिए हर समय अपनी नेटवर्थ के 25 फीसदी रकम नकद के रूप में रखनी होगी.
3. ईएसजी रिपोर्टिंग में छूट
सेबी ने Environmental, social and governance (ESG) रिपोर्टिंग से संबंधित मानदंडों में छूट दी है, जिसके तहत कंपनियों के पास अब ईएसजी रिपोर्टिंग के अनुपालन के लिए अधिक समय होगा. इस संबंध में कंपनियों के लिए वैल्यू चेन डाटा की अनिवार्य रिपोर्टिंग को 1 वर्ष के लिए स्थगित करके वित्त वर्ष 26 तक बढ़ा दिया गया. इससे पहले यह स्वैच्छिक रहेगा
4. एआई के उपयोग की जिम्मेदारी
बोर्ड मीटिंग के दौरान सेबी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े नियमों में बदलाव को भी मंजूरी दी है. नए नियमों के तहत मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन, रजिस्टर्ड इंटरमिडिएटरीजऔर सेबी रेगुलेटेड लोग एआई टूल के उपयोग के लिए जिम्मेदार होंगे. सेबी का कहना है कि ब्रोकर और एएमसी सहित रेगुलेटेड इंस्टीट्यूट हितधारकों के डाटा की गोपनीयता और सुरक्षा के साथ-साथ ऐसे टूल के इस्तेमाल के नजीतों के लिए भी जिम्मेदार होंगे.
5. सिंपलीफाइड डेट लिस्टिंग
सेबी ने डेट सिक्योरिटीज की लिस्टिंंगके लिए मानदंडों को आसान बना दिया है. इससे कंपनियों के लिए बांड के जरिये धन जुटाना आसान और तेज हो जाएगा. इन उपायों में लिस्टेड हो चुके या लिस्टेड होने वाले डेट इंस्ट्रूमेंट को जारी करना और इनका ट्रांसफर डीमैट खाते के जरिये अनिवार्य किया गया है.
6. कॉर्पोरेट प्रशासन को मजबूत करना
सेबी ने कॉर्पोरेट प्रशासन मानकों को बढ़ाने के लिए सख्त नियम पेश किए हैं. कंपनियों को संबंधित पक्षों के लेन-देन और फंड के इस्तेमाल के बारे में अब ज्यादा जानकारी का खुलासा करना होगा. यह कदम खासतौर पर निवेशकों के लिए पारदर्शिता बढ़ाने के लिहाज से अहम होगा.
7. म्यूचुअल फंड मानदंडों में बदलाव
सेबी ने म्यूचुअल फंड जमा करने वाली एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) की तरफ से जमा किए गए फंड को नए फंड ऑफर (एनएफओ) में लगाने के लिए समयसीमा तय करने वाले नियमों में संशोधन को मंजूरी दी है. इसका मकसद एएमसी को एनएफओ में केवल उतना ही फंड जमा करने के लिए प्रोत्साहित करना है, जितना कि उचित समय अवधि में लगाया जा सकता है, क्योंकि ओपन-एंडेड फंड में निवेशकों के पास हमेशा मौजूदा एनएवी पर एंट्री का विकल्प होता है. यह ढांचा निवेशकों को बिना किसी एग्जिट लोड के स्कीम से बाहर निकलने का विकल्प भी देता है.
8. REITs और InvITs के लिए निवेशक सुरक्षा
सेबी ने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs) और इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (InvITs) के लिए निवेशक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सुधारों को मंजूरी दी है. इनमें इन एसेट क्लास में निवेशकों के पैसे की सुरक्षा के लिए बेहतर डिस्क्लोजर और सुरक्षा तंत्र शामिल हैं.
9. स्टार्टअप के लिए नियम
सेबी ने इनोवेटर्स ग्रोथ प्लेटफॉर्म (IGP) पर स्टार्टअप लिस्टिंग के लिए पात्रता मानदंडों में ढील दी है. स्टार्टअप को अब योग्य निवेशकों की तरफ से प्री-इश्यू कैपिटल का केवल 25% ही रखने की जरूरी होगी. इससे उनके लिए लिस्टिंग करना और फंड जुटाना आसान हो जाएगा
10. अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड
सेबी ने Alternative Investment Funds (AIFs) को अब अपने निवेश, वैल्यूएशन और परफॉर्मेंश पर विस्तृत क्वार्टरली डिस्क्लोजर देना होगा. इससे निवेशकों को अपने पैसे को प्रभावी ढंग से ट्रैक करने में मदद मिलेगी. ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की बढ़ी हुई निगरानी से बाजार में हेरफेर को रोकने के लिए, सेबी ने ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के लिए सख्त निगरानी तंत्र भी शुरू किया है. नए नियमों के तहत संदिग्ध ट्रेड्स की रियल टाइम मॉनीटरिंग की जाएगी. इसके अलावा नियमों का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं पर सख्त एक्शन लिया जाएगा. सेबी बोर्ड मीटिंग का आधिकारिक दस्तावेज यहां क्लिक कर देखें.