अमेरिका-चीन लड़ाई में मौका लूटने को तैयार हैं भारत की ये 5 सेमीकंडक्टर कंपनियां, निवेशकों की बनी हुई है नजर

अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर के बीच भारत को अप्रत्याशित फायदा मिल रहा है. जहां एक ओर कई इंडस्ट्रीज संकट में हैं, वहीं एक सेक्टर ऐसा है जो नए मौके बना रहा है. कुछ कंपनियों के नाम अब निवेशकों के बीच चर्चा का विषय बन चुके हैं. कौन हैं वो कंपनियां? जानिए आगे…

ट्रेड वॉर में बना भारत का चिप प्लान Image Credit: Money9 Live

जब दो आर्थिक महाशक्तियां भिड़ती हैं तो पूरी दुनिया को झटका लगता है. फिलहाल अमेरिका और चीन के बीच एक बार फिर ट्रेड वॉर छिड़ चुका है, जिसने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला से लेकर बाजार की चाल तक को हिला दिया है. भारत भी इस भू-राजनीतिक संघर्ष की चपेट में है, खासकर स्टील और एल्युमिनियम जैसे क्षेत्रों में भारी असर पड़ा है. लेकिन इस हलचल के बीच एक सेक्टर ऐसा है जो इस तूफान में भी चमक रहा है. वो है सेमीकंडक्टर सेक्टर, जिसे अमेरिका ने अपने टैरिफ से बाहर रखा है. इसका फायदा उठाने की स्थिति में भारत की कई कंपनियां हैं जो अब निवेशकों की नजर में आ गई हैं.

  1. MosChip Technologies
    Moschip Technologies, ASIC डिजाइन और एम्बेडेड सिस्टम सॉल्यूशंस में माहिर कंपनी है जिसकी 79 फीसदी आय FY24 में सेमीकंडक्टर सेक्टर से आई. TSMC और Global Foundries जैसे ग्लोबल फाउंड्री पार्टनरशिप इसे प्रतिस्पर्धी बनाते हैं.
  2. CG Power
    Murugappa ग्रुप की कंपनी CG Power ने Renesas (जापान) और Stars Microelectronics (थाईलैंड) के साथ मिलकर गुजरात के साणंद में एक बड़ा OSAT प्लांट शुरू करने का ऐलान किया है. 5 वर्षों में 7600 करोड़ रुपये के निवेश की योजना है.
  3. ASM Technologies
    ASM, HHV ग्रुप के साथ मिलकर भारत का एक प्रमुख सेमीकंडक्टर टूल्स निर्माण केंद्र बना रही है. विदेशी अधिग्रहण और तकनीकी विस्तार इसके विकास को गति दे रहे हैं.
  4. SPEL Semiconductor
    SPEL की अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों में अच्छी पकड़ है और इसका फोकस चिप असेंबली व पैकेजिंग पर है. यह टैरिफ छूट से सीधे लाभान्वित हो सकती है.
  5. Tata Elxsi
    Tata Elxsi, Arm और Renesas जैसी वैश्विक कंपनियों के साथ मिलकर EVs और SDVs के लिए हाई-एंड चिप डिजाइन पर काम कर रही है. इसका ग्लोबल दृष्टिकोण इसे और मजबूत बनाता है.

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IESA के मुताबिक, भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2024 में 52 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 103.4 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है. मोबाइल, आईटी, और ऑटोमोटिव जैसे क्षेत्रों में बढ़ती मांग और टैरिफ छूट जैसे फैक्टर्स इस ग्रोथ को रफ्तार देंगे.