साल भर में 3000 फीसदी का रिटर्न देने वाले भारत ग्लोबल डेवलपर्स की ये है हकीकत, इन 5 टिप्स से कभी नहीं खाएंगे धोखा

Bharat Global Developers ने जो किया उसके बारे में जानना बेहद जरूरी है, क्योंकि ये केस अब हर निवेशक को बार-बार याद दिलाएगा कि कंपनी को लेकर रिसर्च, एक्सपर्ट की सलाह कितनी जरूरी है. हाई रिटर्न के लालच में पड़ने की वजह से भी ऐसा होता, यहां जानते हैं कैसे हुआ फर्जीवाड़ा...

Bharat Global Developers या भारत ग्लोबल डेवलपर्स एक ऐसा शेयर है जिसने पिछले एक साल में 3000 फीसदी का रिटर्न दिया. Image Credit: Freepik/Canva

Bharat Global Developers या भारत ग्लोबल डेवलपर्स एक ऐसा शेयर है जिसने पिछले एक साल में 3000 फीसदी का रिटर्न दिया, है न शानदार. लेकिन इतना बड़ा उछाल कंपनी की अपनी मजबूती या असली ताकत से नहीं, बल्कि कथित रूप से झूठ और धोखे से हुआ है. सेबी को इन आरोपों में सच्चाई नजर आ रही है और इस पर गहनता से जांच होगी. और अब इस कंपनी को अगले नोटिस तक शेयर बाजार से बैन कर दिया गया है यानी इसके शेयर का लेन देन भी नहीं हो सकेगा. चलिए इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझते हैं ताकि निवेशक और ज्यादा जागरूक हो सके.

कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, भारत ग्लोबल डेवलपर्स अहमदाबाद की कंपनी है जो ग्रीन एनर्जी, इंजीनियरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर, एयरोस्पेस और डिफेंस और कृषि के क्षेत्र में काम करती है. कंपनी ने 2024 में दावा किया कि उसने 271 करोड़ रुपये की बिक्री की है, जो कि कृषि, कपड़ा और सोने के व्यापार से हुई है. लेकिन असली बात यह है कि कंपनी के पास न कोई स्थायी संपत्ति थी और न ही कोई मजबूत कैश फ्लो. यही सब कंपनी पर आरोप लगे हैं.

ये सब पता कैसे चला?

कंपनी का कैश फ्लो -100 करोड़ रुपये था यानी निगेटिव. इसका मतलब कंपनी पैसा कमाने के बजाय पैसे गंवा रही थी. कंपनी के 10 साल के ऑपरेशन में कुल मुनाफा सिर्फ 3 करोड़ रुपये था. स्टॉक के मार्केट कैप की बात करें तो यह 12,000 करोड़ रुपये था. इससे पता चलता है कि कंपनी के सारे नंबर केवल कागज पर ही थे.

डील भी फर्जी और क्लाइंट भी फर्जी

कंपनी ने और भी बड़े-बड़े दावे किए कि रिलायंस इंडस्ट्रीज और टाटा एग्रो जैसी कंपनियों के साथ करोड़ों की डील की गई पर असल में, रिलायंस ने ही साफ कर दिया कि उनकी कोई डील ही नहीं हुई. इसके अलावा टाटा एग्रो जैसी कोई कंपनी है ही नहीं.

कंपनी ने अपने 99.5% शेयर 41 लोगों को दिए हैं, जिन्हें ‘पब्लिक शेयरहोल्डर्स’ कहा गया है. इन लोगों ने लॉक-इन पीरियड खत्म होते ही शेयर ऊंची कीमत पर बेचे और करोड़ों कमा लिए. जैसे किसी ने 49 लाख रुपये का निवेश किया और 70 करोड़ बना लिए.

कंपनी के फाइनेंशियल रिकॉर्ड में इतनी गड़बड़ियां थीं कि उन्हें समझना ही मुश्किल था. ऑडिट ट्रेल ही नहीं था, यानी पता नहीं लगाया जा सकता था कि असली डेटा क्या है. कंपनी की कई घोषणाएं गलत निकलीं.

कैसे पहचानें ऐसे धोखे?

ऐसे धोखे होते हैं या आगे भी हो सकते हैं तो इन्हें पहचानना आना चाहिए. वैल्यू रिसर्च के मुताबिक:

  • प्रॉफिट और कैश फ्लो पर नजर डालें, उनके अंतर में नजर रखें, जैसे यहां हुआ, प्रॉफिट तो दिखाई दे रहा है लेकिन कैश फ्लो निगेटिव है, इसका मतलब कुछ गड़बड़ हो सकती है.
  • इनके वादों पर नजर डालें, वादे ऐसे जो वाकई में सपनों जैसे हैं. कोई कंपनी अगर अचानक बड़े कॉन्ट्रैक्ट्स या विस्तार करने का दावा कर रही है तो उस पर पहले शक करें.
  • बड़े रेवेन्यू के साथ अगर कंपनी के पास साधारण इंफ्रास्ट्रक्चर भी नहीं है, तो समझ जाइए कुछ तो गड़बड़ है.
  • कंपनी के अंदरूनी कामकाज पर नजर रखें, जैसे बड़े शेयरहोल्डर्स का शेयर बेचना या अचानक शेयर अलॉटमेंट भी धोखे का इशारा हो सकता है.
  • अगर कोई शेयर ऐसे रिटर्न दे रहा है जो कुछ ज्यादा ही हो, तो जरूरी है कि आप उसके नंबर, दावे और बैकग्राउंड को बारीकी से जांचें.