निवेशकों को नहीं लुभा रहा F&O, दो साल के निचले स्तर पर कारोबार, कैश मार्केट का टर्नओवर 1 लाख करोड़ के नीचे
Share Market F&O: फरवरी में अब तक भारतीय इक्विटी मार्केट में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. कई फैक्टर्स ने कारोबारी गतिविधियों को धीमा कर दिया है. मार्केट में कम्बाइंड एवरेज डेली टर्नओवर एक लाख करोड़ के नीचे आ गया है.
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Share Market F&O: ग्लोबल स्तर पर जारी अस्थिरता, भारी करेक्शन, कमजोर होता रुपया और विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली जैसे फैक्टर्स ने कारोबारी गतिविधियों को धीमा कर दिया है. साथ ही कैश और डेरिवेटिव दोनों सेक्टरों में एवरेज डेली डेली टर्नओवर फरवरी में कई महीनों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. BSE और NSE के आंकड़ों से पता चलता है कि कैश मार्केट में कम्बाइंड एवरेज डेली टर्नओवर नवंबर 2023 के बाद पहली बार फरवरी में एक लाख करोड़ रुपये से नीचे आ गया है. यह महीने-दर-महीने आधार पर कारोबार में गिरावट का लगातार आठवां महीना भी है.
फ्यूचर एंड ऑप्शन के कारोबार में गिरावट
फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) में एवरेज कारोबार में गिरावट जारी है और यह दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. फरवरी में F&O का औसत कारोबार गिरकर 185.39 लाख करोड़ रुपये पर आ गया, जो दिसंबर 2022 के बाद का सबसे निचला स्तर है. महीने-दर-महीने आधार पर कारोबार में गिरावट का यह लगातार पांचवां महीना भी है.
मार्केट में उतार-चढ़ाव
फरवरी में अब तक भारतीय इक्विटी मार्केट में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है, साथ ही सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 3 फीसदी की गिरावट आई है. मिड और स्मॉलकैप को कवर करने वाले बीएसई इंडेक्स में क्रमश 6 फीसदी और 8 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है.
गिरावट के पीछे के कारण
जियो-पॉलिटिकल संघर्ष और आर्थिक अनिश्चितताओं ने निवेशकों को जोखिम से दूर रखा है, जिससे इक्विटी ट्रेडिंग गतिविधि में गिरावट आई है. इसके अलावा, उच्च ब्याज दरें सुरक्षित फिक्स्ड-इनकम ऐसेट्स की ओर रुख को बढ़ावा दे सकती हैं, जिससे बाजार में भागीदारी और भी प्रभावित हो सकती है.
यह गिरावट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर, बाजार में बढ़ती अस्थिरता, स्मॉल औम मिड कैप में गिरावट और दुनिया भर में केंद्रीय बैंकों द्वारा संभावित मौद्रिक सख्ती की चिंताओं के बीच निवेशकों की बढ़ती निराशा और अलर्ट सेंटीमेंट को दर्शाता है.
F&O सेगमेंट में तेज गिरावट
F&O सेगमेंट में तेज गिरावट बाजार में बढ़ती अस्थिरता के कारण है, जो ट्रेडिंग के अवसरों को सीमित करती है और साथ ही ट्रेडर्स के बीच रिस्क से बचने का भी ट्रेंड भी रहा है. सेबी के हालिया रेगुलेटरी बदलाव- वीकली एक्सपायर की कम अवधि, F&O ट्रेडिंग के लिए हाई इन्वेस्टमेंट की जरूरत और हाई टैक्सेशन ने ने डेरिवेटिव को कम आकर्षक बना दिया है, जिससे गतिविधियों में गिरावट आई है.
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