रिसर्च एनालिस्ट को भारी पड़ा कॉपी-पेस्ट, सेबी ने लगाया मोटा फाइन, जानें क्या है मामला?

बाजार नियामक सेबी ने एक रिसर्च एनालिस्ट पर मोटा जुर्माना लगाया है. सेबी के नोटिस के मुताबिक रिसर्च एनालिस्ट (RA) की वेबसाइट पर पिछले 10 साल से नियमों का उल्लंघन करते हुए फिक्स रिटर्न का दावा किया गया था. जानिए क्या है पूरा मामला.

सेबी भारतीय शेयर बाजार के लिए नियामक निकाय है Image Credit: Kunal Patil/HT via Getty Images

15 जनवरी के जारी एक आदेश में बाजार नियामक सेबी ने रिसर्च एनालिस्ट (RA) पराग सलोट (Parag Salot) पर जुर्माना लगाया है. सेबी ने अपने आदेश में कहा है कि सलोट ने अपनी वेबसाइट पर फिक्स रिटर्न का वादा किया था, जो कि बाजार के नियमों के मुताबिक पूरी तरह से प्रतिबंधित है. इसके साथ ही सेबी ने पाया कि पराग की वेबसाइट पर गलत तरीके से बताया गया कि वह भारत का सबसे युवा सेबी रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर (IA) है. क्योंकि, पराग रिसर्च एनालिस्ट के तौर पर रजिस्टर्ड है.

पराग ने दी ये दलील

पराग ने इस मामले में दलील देते हुए कहा कि वेबसाइट पर उसके बारे में जो गलत जानकारी दी गई थी, उसके बारे में वह नहीं जानता. जब सेबी ने इस मामले में पराग से पूछताछ की थी, तो उसने कहा कि वेबसाइट पर दी गई जानकारी किसी अन्य IA के बारे में है, जिसे वेबसाइट डेवलपर ने कॉपी पेस्ट किया था. हालांकि, सेबी इस दलील से संतुष्ट नहीं. सेबी का कहना है कि यह हैरत की बात है कि 2015 से RA के तौर पर रजिस्टर्ड पराग को मार्च 2024 तक इस गलत सूचना के बारे में पता ही नहीं चला.

क्या था फिक्स रिटर्न का वादा

15 जनवरी के आदेश में सेबी ने बताया कि पराग की वेबसाइट shareideas.in पर इंडेक्स ऑप्शन के तहत ट्रेड करने पर प्रति ट्रेड पर 4,000 रुपये तक के रिटर्न का वादा किया था. जबकि, नियमों के मुताबिक फिक्स रिटर्न का आश्वासन देना सख्त मना है. पराग की वेबसाइट पर कहा गया था कि प्रति पॉजिटिव ट्रेड पर 4000 रुपये तक का रिटर्न दिया जा सकता है.

कितना लगा जुर्माना

सेबी ने तमाम नियमों के उल्लंघन के लिए पराग पर 17 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. इन उल्लंघनों में लगभग एक दशक में यानी 2015 से 2025 तक वार्षिक ऑडिट नहीं करना. RA रेग्यूलेशन 25(3) के तहत यह अनिवार्य है कि RA को इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया या इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया के सदस्य से वार्षिक ऑडिट करानी चाहिए. सेबी के मुताबिक मामले की जांच करने वाली अधिकारी आशा शेट्टी ने पाया कि पराग ने बार-बार कई मामलों में उल्लंघन किया है.

क्यों लगाया जुर्माना

सेबी ने अपने आदेश में कहा कि पराग ने अपने ग्राहकों के प्रति ईमानदारी नहीं बरती, इसके साथ ही नियमों का पालन नहीं किया. ऐसे में जुर्माना लगाना जरूरी है. सेबी ने पराग के ऑपरेशन्स की जांच 1 अप्रैल, 2022 से 29 फरवरी, 2024 तक की थी. इसके बाद 5 जुलाई, 2024 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.