Crude Oil Price: मंदी के डर से कच्चा तेल धड़ाम, 63 डॉलर प्रति बैरल पर आई कीमतें

Oil Prices: तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई है, जिसके कारण सरकारी तेल कंपनियों के शेयर चर्चा में हैं. ब्रेंट क्रूड 2.42% गिरकर $63.99 प्रति बैरल पर पहुंच गया है जबकि WTI क्रूड 2.39% गिरकर $60.51 पर आ गया.

तेल की कीमतें धड़ाम Image Credit: Money9live/Canva

Oil Price Fall: दुनियाभर के बाजारों में बड़ी गिरावट की आशंका के बीच तेल की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है. ब्रेंट क्रूड 2.42 फीसदी गिरकर 63.99 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है, जबकि WTI क्रूड 2.39 फीसदी की गिरावट के साथ 60.51 डॉलर पर आ गया है. वहीं प्राकृतिक गैस और गैसोलीन की कीमतों में भी यही ट्रेंड जारी रहा. नेचुरल गैस की कीमतें 1.64 फीसदी गिर गई है.

इस बड़ी गिरावट के बीच सोमवार, 7 अप्रैल को सरकारी तेल कंपनियों ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) के शेयर्स में भी गिरावट देखने को मिली है, क्योंकि पिछले तीन दिनों से कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तेज गिरावट जारी है.

ट्रंप के इन टैरिफ्स की वजह से हाल के दिनें में तेल की कीमतों में तेजी से गिरावट आई है. इसके अलावा, OPEC+ देशों ने उम्मीद से ज्यादा उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया है, जिससे क्रूड ऑयल की गिरावट और तेज हो गई है.

ट्रंप ने OPEC+ पर दबाव डाला है कि वे तेल की कीमतें कम करें. उनका कहना है कि इससे महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी और रूस पर दबाव बढ़ेगा जिससे यूक्रेन युद्ध खत्म करने में मदद मिल सकती है.

अब सवाल ये है कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ONGC और Oil India के लिए क्यों नुकसानदेह है? असल में जब तेल सस्ता होता है तो ONGC और Oil India जैसी कंपनियों की मुनाफे की मार्जिन कम हो जाती है, क्योंकि वे तेल निकालने और प्रोसेस करने में एक तय लागत खर्च करती हैं. वहीं, जो तेल पहले महंगे दामों पर खरीदा गया था, अगर अब सस्ते दाम पर बेचना पड़े, तो रिफाइनरी कंपनियों को इन्वेंटरी लॉस हो सकता है.

इसके अलावा, जब तेल की डिमांड पर दबाव हो और साथ ही उत्पादन बढ़ जाए, तो ग्लोबल मार्केट में ओवरसप्लाई यानी ज्यादा सप्लाई का खतरा बढ़ जाता है. इससे कीमतें और गिर सकती हैं, जो इन कंपनियों के लिए और मुश्किल पैदा करता है.