शेयर बाजार में कब थमेगा गिरावट का दौर? कब लौटेंगे FII? एक्सपर्ट्स की है ये राय
भारतीय शेयर बाजार इन दिनों लहुलुहान नजर आ रहा है. कंपनियों के खराब नतीजे, डॉलर की मतबूती और विदेशी निवेशकों की बिकवाली बाजार को हर रोज नया घाव दे रही है. ऐसे में हर निवेशक के दिमाग में बस एक ही सवाल है कि गिरावट का यह दौर कब तक जारी रहेगा और एफआईआई भारत कब लौटेंगे? आइए जानते हैं इन सवालों पर एक्सपर्ट की क्या राय है.
17 सितंबर से 27 सितंबर तक शेयर बाजार के बेंचमार्क इंडेक्स Sensex और Nifty ने लगातार हर दिन नया ऑल टाइम हाई बनाया. लेकिन, इसके बाद गिरावट का ऐसा दौर शुरु हुआ कि मार्केट कैप में 48 लाख करोड़ की कमी आ चुकी है. बहरहाल, बड़ा सवाल यह है कि गिरावट का यह दौर कब तक चलेगा.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर कहते हैं कि घरेलू बाजार में सितंबर में बने शिखर से अब तक करीब 10% की गिरावट आ चुकी है. बाजार की इस गिरावट के पीछे घरेलू के साथ ही बाहरी कारण भी हैं. पहला कारण, कंपनियों के दूसरी तिमाही के कमजोर नतीजे हैं. दूसरा कारण विदेशी निवेशकों की बिकवाली है. इसके अलावा महंगाई के चिंताजनक आंकड़े भी आग में घी का काम कर रहे हैं. इनके साथ ही अब डॉलर की मजबूती भी भारतीय बाजार के लिए चुनौती खड़ी कर रही है.
जल्द स्थिरता की उम्मीद नहीं
विनोद नायर कहते हैं कि मौजूदा स्थितियों को देखते हुए इतना तय है कि भारतीय बाजार में शॉर्ट टर्म में स्थिरता के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही के नतीजे भी देश में कॉर्पोरेट सेक्टर की आय में कमजोरी को दिखा रहे हैं. इस तरह से गिरावट की गुंजाइश और बढ़ गई है.
निफ्टी में इतनी गिरावट संभव
विनोद नायर के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष के लिए निफ्टी इंडेक्स में अर्निंग पर शेयर (EPS) में 2 से 3% की गिरावट का अनुमान हैं. हालांकि, सरकारी खर्च में तेजी, अच्छे मानसून और ग्रामीण मांग में सुधार जैसे फैक्टर्स के चलते निवेशक मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सुधार की उम्मीद कर सकते हैं.
जारी रहेगा ट्रंप इफेक्ट
नायर के मुताबिक बाजार पर फिलहाल अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जीत का असर भी जारी रहेगा, जिसके चलते अमेरिकी बाजार ऑल टाइम हाई पर हैं. खासतौर पर जब तक ट्रंप सत्ता संभाल नहीं लेते हैं, तब तक असमंजस की स्थिति बनी रहेगी.
जनवरी तक जारी रहेगा उतार-चढ़ाव
इकनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक एडलवाइस एएमसी के सीआईओ त्रिदीप भट्टाचार्य का कहना है कि सितंबर तिमाही के नतीजों ज्यादातर कंपनियों का प्रदर्शन उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा है. निवेशकों की रुचि वाली ज्यादातर कंपनियों की आय में 4 से 5% की गिरावट आई है. आय में सुधार का अगला मौका दिसंबर तिमाही के आंकड़ों में होगा, जो जनवरी में आएंगे. इस तरह बाजार में यह उतार-चढ़ाव का ये दौर जनवरी तक खिंचता हुआ देखा जा सकता है.
कब लौटेंगे एफआईआई
वैश्विक ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए ने भारत की तुलना में चीन के बाजार पर जो टैक्टिकल ओवरवेट व्यू दिया था, उसे वापस ले लिया है. ब्रोकरेज फर्म ने सितंबर में कहा था कि चीन का बाजार भारत की तुलना में ज्यादा आकर्षक है, क्योंकि यह अंडरवैल्यूड है, जबकि भारतीय बाजार ऑल टाइम हाई पर है. बहरहाल, इस रिपोर्ट के बाद उम्मीद है कि विदेशी निवेशक जल्द ही भारतीय बाजार का रुख करेंगे.
क्यों बदला सीएलएसए का रुख
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने पर ब्रोकरेज फर्म ने अपनी राय में बदलाव किया है. अब चीन की तुलना में भारत के बाजार को 20% ओवरवेट दिया है. यानी फर्म का मानना है कि चीन के बाजार की तुलना में भारत में के बाजार में निवेश 20% तक बेहतर रिटर्न दे सकता है.