बाजार में अब केवल 2 करोड़ एक्टिव ट्रेडर, ट्रेडिंग वॉल्यूम 40 फीसदी घटा; कहीं सरकार के फैसले का असर तो नहीं
शेयर बाजार में हाल ही में भारी गिरावट देखने को मिली, जिससे निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है. इसका असर ट्रेडिंग वॉल्यूम पर पड़ा, जो 40 फीसदी से अधिक घट गया है. शेयर बाजार में हालिया गिरावट ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है, जिससे ट्रेडिंग वॉल्यूम में भारी गिरावट आई है.

Fear of stock market crash: शेयर बाजार में हाल ही में भारी गिरावट देखने को मिली है, जिससे निवेशकों का आत्मविश्वास डगमगाया है. लगातार उतार-चढ़ाव के बीच कई निवेशकों ने ट्रेडिंग से दूरी बना ली है, जिसका असर बाजार के कुल ट्रेडिंग वॉल्यूम पर पड़ा है. जिससे बाजार की लिक्विडिटी पर असर देखा गया है. आंकड़ों के अनुसार, ट्रेडिंग वॉल्यूम में 40 फीसदी से अधिक की गिरावट देखी गई है. बीते 15 साल में पहली बार इस इंडस्ट्री में ऐसी गिरावट देखी गई है. नतीजा यह हुआ कि शेयर बाजार में करीब 5 महीने से गिरावट का दौर जारी है. केवल फरवरी में ही सेंसेक्स में 4000 अंक की गिरावट आई है.

60 फीसदी तक आई गिरावट
शेयर बाजार में गिरावट का असर विशेष रूप से निफ्टी 500 कंपनियों पर दिखा है. इनमें से 30 फीसदी शेयरों में औसतन 30 फीसदी तक की गिरावट आई है, जबकि कुछ स्टॉक्स में यह गिरावट 60 फीसदी तक पहुंच गई. मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियां इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं. कई शेयर अपने 52 हफ्तों के निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं, जिससे निवेशकों में भय का माहौल बना हुआ है.
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ट्रेडिंग एक्टिविटी में भारी गिरावट
ब्रोकरों की ट्रेडिंग एक्टिविटी भी प्रभावित हुई है. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रेडिंग एक्टिविटी में लगभग 30 फीसदी की गिरावट आई है, जो पिछले 15 वर्षों में पहली बार देखने को मिली है. यह साइन देता है कि निवेशकों का शेयर बाजार पर भरोसा कमजोर हो रहा है और वे सतर्क रुख अपना रहे हैं.
निवेशकों का बाजार से मोहभंग
NSE के आंकड़ो के मुताबिक, निवेशकों की भागीदारी में भी भारी गिरावट आई है. देश में 11 करोड़ यूनिक ट्रेडिंग अकाउंट्स मौजूद हैं, लेकिन इनमें से केवल 2 करोड़ ही एक्टिव हैं. इसका मतलब है कि बड़ी संख्या में निवेशकों ने या तो बाजार से दूरी बना ली है या फिर वे बाजार में निवेश करने को लेकर संकोच कर रहे हैं.
फरवरी में 5.5 फीसदी की गिरावट, मार्च सीरीज की शुरुआत ने किया निराश
फरवरी महीने में शेयर बाजार 5.5 फीसदी टूटा, और मार्च की शुरुआत भी गिरावट के साथ हुई है. बाजार में बिकवाली का दबाव बना हुआ है, जिससे आगे भी अस्थिरता जारी रहने की संभावना जताई जा रही है.
विदेशी निवेशकों ने पिछले 6 महीनों में कितना बेचा-खरीदा ?
महीना | खरीदारी | बिक्री | नेट खरीदारी/ बिक्री |
फरवरी 2025 | 259,256.89 | 318,244.97 | -58,988.08 |
जनवरी 2025 | 242,699.59 | 330,074.25 | -87,374.66 |
दिसंबर 2024 | 299,628.86 | 316,611.34 | -16,982.48 |
नवंबर 2024 | 306,735.44 | 352,709.56 | -45,974.12 |
अक्टूबर 2024 | 299,260.34 | 413,706.23 | -114,445.89 |
सितंबर 2024 | 391,389.27 | 378,777.48 | 12,611.79 |
कैपिटल गेन टैक्स बढ़ोतरी से विदेशी निवेशक नाराज!
बाजार के जानकारों का मानना है कि सरकार के कैपिटल गेन टैक्स बढ़ोतरी से विदेशी निवेशक लगातार पांच महीनों से भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली कर रहे हैं. आंकड़ों के अनुसार, पिछले 3 महीनों में ही विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बेचे हैं. इस स्थिति ने बाजार की स्थिरता डावांडोल हुई है और निवेशकों के मनोबल को कमजोर हुआ है जिसका असर बाजार पर देखा जा रहा है. दरअसल, 2024-25 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ (LTCG) कर को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया. इसके अलावा, शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) कर को 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया था.
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