डोमेस्टिक खरीदारों के भरोसे भारतीय शेयर बाजार, FII ने अब तक निकाले 1.27 लाख करोड़ रुपये
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति ने कई देशों के बाजार पर बुरा असर डाला है. इस समय वैश्विक बाजारों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. अब ट्रंप 2 अप्रैल से टैरिफ लगाने वाले हैं, जिसका सीधा असर बाजार पर दिखेगा. इससे पहले, विदेशी निवेशकों ने वित्त वर्ष 2025 में 1,27,401 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. यदि टैरिफ में अधिक बढ़ोतरी होती है, तो इसका प्रभाव भी स्पष्ट रूप से नजर आएगा.
FIIvsDII: पिछले कुछ महीनों में शेयर बाजार के नजरिए से काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला. वित्त वर्ष 2025 में विदेशी निवेशकों (FII) ने कुल 1,27,401 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. इसके उलट, घरेलू निवेशकों (DII) ने 6,06,368 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे. शुक्रवार को FII ने 4,352.82 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि DII ने 7,646.49 करोड़ रुपये की खरीदारी की.
FII और DII का कैसा रहा रुझान
वित्त वर्ष के दौरान, FII ने सात महीनों में शुद्ध बिकवाली की. सबसे अधिक बिकवाली अक्टूबर और जनवरी में हुई, जब उन्होंने क्रमशः 94,017 करोड़ रुपये और 78,027 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. वहीं, जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर और दिसंबर में FII शुद्ध खरीदार रहे, जिनमें सितंबर में सबसे अधिक 57,724 करोड़ रुपये की खरीदारी हुई.
इसके विपरीत, DII पूरे वर्ष भारतीय इक्विटी बाजार में मजबूती से निवेश करते रहे और एक भी महीने में बिकवाली नहीं की. अक्टूबर और जनवरी में DII ने क्रमशः 1,07,255 करोड़ रुपये और 86,592 करोड़ रुपये की सबसे अधिक खरीदारी की.
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बाजार पर प्रभाव
मार्च में FII की बिकवाली में कमी देखी गई और 21 मार्च को समाप्त सप्ताह में वे शुद्ध खरीदार बने. इससे निफ्टी को लगभग 6 फीसदी की बढ़त हासिल करने में मदद मिली. यह गिरावट लगातार पांच महीनों की मंदी के बाद आई, जो 1996 में निफ्टी के लॉन्च के बाद की सबसे लंबी गिरावट थी.
विशेषज्ञों का मानना है कि इस उलटफेर के पीछे कई कारण हैं. सितंबर से फरवरी तक निफ्टी 16 फीसदी गिरने के बाद वैल्यूएशन में सुधार देखने को मिला. इसके अलावा, रुपये में हालिया मजबूती से विदेशी निवेशकों का रुझान भारतीय बाजार की ओर बढ़ा है. साथ ही, भारत की GDP, IIP और CPI मुद्रास्फीति जैसे मैक्रोइकॉनॉमिक संकेतकों में मजबूती आई है.
आगे की राह
आने वाले दिनों में FII का प्रवाह मुख्य रूप से 2 अप्रैल को संभावित टैरिफ के फैसलों पर निर्भर करेगा. यदि ट्रंप कोई गंभीर टैरिफ नहीं लगाते हैं, तो बाजार में तेजी जारी रह सकती है. हालांकि, यदि टैरिफ ज्यादा होता है, तो बाजार में गिरावट देखने को मिल सकती है.