15 दिनों में FIIs ने निकाले 26,000 करोड़, ऑटो-मेटल और कंस्ट्रक्शन सेक्टर्स में कर रहे भारी बिकवाली
Share Market में विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली का दौर जारी है. विदेशी निवेशकों को केवल चीन ही नहीं और भी कई फैक्टर्स पैसा निकालने के लिए मजबूर कर रहे हैं. क्या है बड़े फैक्टर्स? यहां जानें...
शेयर बाजार ने जितना बंपर प्रॉफिट करवाया था अब उतना ही नुकसान हो रहा है. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक यानी FPI तो इसके लिए जिम्मेदार हैं ही जिन्होंने नवंबर के पहले 15 दिनों में भारी बिकवाली जारी रखी है. इसके अलावा इसका कारण है अमेरिकी बाजार और बॉन्ड यील्ड्स में तेजी. ये अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी जीत और फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती के फैसले से ट्रिगर हुआ है. हालांकि, अमेरिकी फेड ने साफ किया है कि अब वह जल्द ब्याज दरें और नहीं घटाएगा.
अक्टूबर में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से रिकॉर्ड बिकवाली की है. इसका कारण वेस्ट एशिया में जारी तनाव और चीन का सस्ता बाजार है. NSDL डेटा के अनुसार, विदेशी निवेशकों ने नवंबर 15 तक 22,420 करोड़ के शेयर बेच डाले हैं. ये बिकवाली केवल इक्विटी बाजार में हुई है. इसके अलावा डेट, हाइब्रिड और बाकी निवेश को मिला दें तो नेट बिकवाली
बढ़कर 26,343 करोड़ रुपये हो जाएगी. पिछले महीने अक्टूबर में हुई बिकवाली पिछले 10 महीनों का उच्चतम स्तर है.
भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों की बिकवाली के 5 कारण
IPO में खरीदारी: विदेशी निवेशकों को आईपीओ बाजार कुछ हद तक पसंद आ रहा है, प्राइमेरी मार्केट (जैसे IPO) में विदेशी निवेशकों ने 9,931 करोड़ डालें, लेकिन कैश मार्केट में 32,351 करोड़ बेचे हैं. इसका नतीजा 22,420 करोड़ की नेट बिकवाली के रूप में सामने आया है.
डेट मार्केट में बिकवाली: विदेशी निवेशक डेट मार्केट में भी बिकवाली कर रहे हैं. नवंबर 15 तक 4,717 करोड़ के बॉन्ड्स बेचे गए हैं इसकी वजह भारतीय बाजारों के हाई वैल्यूएशन और कंपनियों के कमजोर नतीजे बताए जा रहे हैं.
कमजोर कॉर्पोरेट नतीजे: एक तरफ शेयरों की कीमतें ज्यादा हैं लेकिन कंपनियों के मुनाफे की रफ्तार धीमी है. Q2 के नतीजों ने यह साफ कर दिया है. अगर Q3 में सुधार दिखा, तो विदेशी निवेशक की बिकवाली कम हो सकती है.
डोनाल्ड ट्रंप की जीत: अमेरिकी चुनावों में ट्रंप की जीत ने अमेरिकी शेयर और बॉन्ड बाजारों पर असर डाला है. टैक्स में कटौती और बिजनेस-फ्रेंडली पॉलिसी के वादे की वजह अमेरिकी शेयर बाजार में उछाल आया है. बॉन्ड यील्ड्स बढ़ने से भारत से विदेशी निवेशक पैसा निकाल रहे हैं.
इन सेक्टर्स में हो रही बिकवाली: विदेशी निवेशक ऑटोमोबाइल, मेटल्स और कंस्ट्रक्शन जैसे सेक्टर्स से अपना पैसा निकाल रहे हैं और तेजी से बढ़ने वाले सेक्टर्स जैसे एसेट मैनेजमेंट, हेल्थकेयर पर ध्यान दे रहे हैं.
इसका ये मतलब हुआ कि विदेशी निवेशक की बिकवाली का असर खासकर ऑटो, मेटल और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर्स पर है हालांकि, अगर कॉर्पोरेट नतीजे बेहतर हुए और भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार दिखा, तो विदेशी निवेश की बिकवाली धीमी पड़ सकती है.