विदेशी निवेशक शेयर बाजार को लेकर सतर्क, नए साल के पहले 3 दिन में निकाले 4,285 करोड़

विदेशी निवेशकों ने जनवरी के पहले तीन दिनों में भारतीय शेयर बाजार से 4,285 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं. इससे पता चलता है विदेशी निवेशकों का रुझान सतर्क हो गया है, जिसका असर बाजार पर दिख रहा है. लेकिन विदेशी निवेशक क्यों कर रहे बिकवाली?

जनवरी के पहले तीन दिनों में विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार से निकाले 4,285 करोड़ Image Credit: TV9 Bharatvarsh

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी निवेशकों ने बिकवाली की है. जनवरी के पहले तीन कारोबारी दिनों यानी 1-3 जनवरी के बीच विदेशी निवेशकों यानी FPIs ने भारतीय शेयर बाजार से 4,285 करोड़ रुपये निकाल लिए है. यह कदम तीसरी तिमाही के नतीजों से पहले की चिंताओं और घरेलू शेयरों के हाई वैल्यूएशन के कारण उठाया गया है.

बता दें कि दिसंबर 2024 में FPIs ने भारतीय बाजार में 15,446 करोड़ रुपये का निवेश किया था. लेकिन जनवरी की शुरुआत में उनका रुख सतर्क हो गया है, जिसका असर बाजार पर भी दिखा

क्यों बेचैन हो रहे विदेशी निवेशक

विदेशी निवेशकों की बेचैनी के कारण है, मजबूत डॉलर और ऊंचे अमेरिकी बॉन्ड यील्ड. डॉलर इंडेक्स 109 पर और 10-वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड यील्ड 4.5% से अधिक है, जिससे निवेशक अमेरिकी बाजार की ओर आकर्षित हो रहे हैं. ये फैक्टर भारतीय शेयर बाजार के लिए बाधा बने हुए हैं.

इसके अलावा रुपये में कमजोरी, रुपया डॉलर के मुकाबले गिर रहा है, जो भारतीय निवेश को विदेशी निवेशकों के लिए कम आकर्षक बना रहा है. वहीं निवेशक तीसरी तिमाही के नतीजों और संभावित कमजोर इनकम के चलते सतर्क हैं. इसके साथ ही शेयरों का ऊंचा मूल्यांकन है दो उन्हें निवेशकों को बिकवाली के लिए प्रेरित कर रहा है जबकि प्राइमरी मार्केट (IPO) में उचित मूल्यांकन होने पर निवेश बरकरार है. और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा इस साल कम ब्याज दर कटौती का संकेत है.

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निवेशकों के बदलते रुझान

पहला आंकड़ा पढ़िए, 2023 में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में 1.71 लाख करोड़ का निवेश किया था, जो भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति के कारण था. इसके उलट, 2024 में कुल नेट निवेश केवल 427 करोड़ रहा, जो निवेशकों की सतर्कता को दर्शाता है. साल 2022 में, जब वैश्विक सेंट्रल बैंकों ने ब्याज दरें बढ़ाईं, तब भारतीय बाजार से 1.21 लाख करोड़ रुपये निकाल लिए गए थे.

मजबूत डॉलर, ऊंचे बॉन्ड यील्ड, रुपये की कमजोरी और घरेलू बाजार के ऊंचे मूल्यांकन ने विदेशी निवेशकों को सतर्क कर दिया है. हालांकि, प्राइमरी मार्केट में निवेश जारी है, लेकिन सेकेंडरी मार्केट में विदेशी निवेशकों का रुझान कमजोर बना हुआ है.