अक्टूबर की तूफान से राहत, फिर भी 26,533 करोड़ रुपये बाजार से बाहर

अक्टूबर महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 94,017 करोड़ रुपये निकाले थे. बिकवाली अभी भी जारी है, लेकिन इसकी रफ्तार में कमी आना भारतीय शेयर बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत है. बिकवाली का सबसे बड़ा कारण चीन में निवेश का बढ़ना है. एफपीआई का मौजूदा रुझान यह दिखा रहा है कि वे भारत में अपने निवेश बेचकर चीन में खरीदारी कर रहे हैं.

विदेशी निवेशकों ने नवंबर में भारतीय इक्विटी बाजार से 26,533 करोड़ रुपये की निकासी की है. Image Credit: money9live.com

चीन में बढ़ते निवेश और कॉरपोरेट आय में नरमी के कारण विदेशी निवेशकों ने इस महीने अब तक भारतीय इक्विटी बाजार से 26,533 करोड़ रुपये की निकासी की है. हालांकि बिकवाली जारी है, लेकिन एक सकारात्मक खबर यह है कि अक्टूबर की तुलना में बिकवाली की दर में काफी कमी आई है. अक्टूबर महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 94,017 करोड़ रुपये निकाले थे. हालांकि बिकवाली अभी भी जारी है, लेकिन इसकी रफ्तार में कमी आना भारतीय शेयर बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत है.

विशेषज्ञों का मानना है कि आगे भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेश का फ्लो डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल में लागू की गई नीतियों, मौजूदा इन्फ्लेशन और भारतीय कंपनियों की तीसरी तिमाही के रिजल्ट पर निर्भर करेगा.

किस महीने में कितनी हुई बिकवाली

आंकड़ों के अनुसार, इस महीने (22 नवंबर तक) एफपीआई ने 26,533 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. वहीं, अक्टूबर में 94,017 करोड़ रुपये की निकासी हुई थी. आंकड़ों पर नजर डालें तो अक्टूबर पिछले कुछ महीनों में सबसे खराब महीना साबित हुआ, क्योंकि सबसे अधिक बिकवाली उसी दौरान हुई. एफपीआई ने सितंबर में 57,724 करोड़ रुपये की डोमेस्टिक इक्विटी खरीदी थी. अगस्त में एफपीआई ने 7,322 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे, हालांकि यह जुलाई के 32,359 करोड़ रुपये की खरीद से कम था.

बिकवाली के पीछे कारण

बिकवाली का सबसे बड़ा कारण चीन में निवेश का बढ़ना है. एफपीआई का मौजूदा रुझान यह दिखा रहा है कि वे भारत में अपने निवेश बेचकर चीन में खरीदारी कर रहे हैं. इसके अलावा, डोनाल्ड ट्रंप का प्रभाव भी महसूस किया जा रहा है. अमेरिका में वैल्यूएशन्स उच्च स्तर पर हैं, और ट्रंप की नीतियों को लेकर दुनिया की नजर टिकी हुई है. डॉलर मजबूत हो रहा है, और वित्त वर्ष 2025 में कंपनियों के तिमाही नतीजों को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है. आगे की स्थिति भारतीय कंपनियों के प्रदर्शन और उनके रिजल्ट पर निर्भर करेगी.