Hindustan Zinc OFS : ₹505 के फ्लोर प्राइस पर केंद्र सरकार बेचेगी 2.5% हिस्सेदारी

Hindustan Zinc में केंद्र सरकार अपनी हिस्सेदारी घटाने जा रही है. ऑफर फॉर सेल के जरिये केंद्र सरकार 2.50% हिस्सेदारी बेचेगी. ओएफएस के लिए 505 रुपये फ्लोर प्राइस रखी गई है. कंपनी जिंक उत्पादन में मोनोपॉली रखती है.

हिंदुस्तान जिंक Image Credit: Hindustan zinc

जिंक उत्पादन में मोनोपॉली रखने वाली कंपनी हिंदुस्तान जिंक में केंद्र सरकार अपनी 2.50% हिस्सेदारी घटाने जा रही है. केंद्रीय वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (दीपम) के सचिव ने इसकी जानकारी दी है. ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत 1.25% इक्विटी और 1.25% ग्रीन शू के तौर पर 2 रुपये फेस वैल्यू के 5.28 करोड़ शेयर बिक्री के लिए रखे जा रहे हैं.

कंपनी की तरफ से एक एक्ससचें फाइलिंग में बताया गया है कि 6 नवंबर से ऑफर फॉर सेल के जरिये इस विनिवेश प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा. हिंदुस्तान जिंक के शेयर का भाव मंगलवार को 559.75 रुपये रहा. ओएफएस के लिए इसका फ्लोर प्राइस 10% छूट पर 505 रुपये रखा गया है. इस साल अब तक कंपनी के शेयरों में 76% का उछाल आ चुका है.

एक्सिस कैपिटल, एचडीएफसी सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और आईआईएफएल सिक्योरिटीज ओएफएस के लिए ब्रोकर हैं. सितंबर 2024 तक केंद्र के पास कंपनी में 29.54 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि वेदांता के पास 63.42 फीसदी हिस्सेदारी है.

इस दिन खरीद पाएंगे शेयर

खुदरा निवेशक ओएफएस के लिए 7 नवंबर को बिड कर सकते हैं. वहीं, गैर-खुदरा निवेशकों के लिए यह इश्यू 6 नवंबर को बीएसई और एनएसई दोनों पर खुलेगा. ऑफर साइज का 10 फीसदी रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए आरक्षित रखा गया है. रिटेल कैटेगरी में अधिकतम 2 लाख रुपये तक के शेयर खरीदे जा सकते हैं.

कैसा कारोबार कर रहीं कंपनी

कंपनी 18 अक्टूबर को घोषित नतीजों में बताया था कि मौजूदा वित्त वर्ष की जून से सितंबर तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ 35% बढ़कर 2,327 करोड़ रुपये हो गया है. पिछले वर्ष समान तिमाही में यह 1,729 करोड़ रुपये था. चीन में मजबूत मांग और वैश्विक आपूर्ति चिंताओं की संभावनाओं के कारण जिंक की कीमतों में बढ़ोतरी से कंपनी के लाभ में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

वेदांता भी बेच चुकी हिस्सेदारी

कंपनी की प्रमोटर वेदांता ने भी अगस्त में 3.17 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए OFS लॉन्च किया था. वेदांता ने कंपनी में हिस्सेदारी बेचकर अपना कर्ज घाटाया था. अक्टूबर में आई रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक वेदांता हिंदुस्तान जिंक को दो इकाइयों में विभाजित करने पर विचार कर रही है. लेकिन, केंद्र सरकार वेदांता के इस विचार के खिलाफ है.