भारतीय शेयर बाजार सुस्त, लेकिन चीन में पैसे की बारिश! जानें कैसे आप कर सकते हैं वहां निवेश

भारतीय शेयर बाजार की सुस्ती से परेशान निवेशकों के लिए चीन बड़ा अवसर बनकर उभरा है. तेजी से बढ़ते हांगकांग इंडेक्स और चीनी कंपनियों के दमदार प्रदर्शन को देखते हुए निवेशक अब वहां पैसा लगा सकते हैं. म्यूचुअल फंड्स, ETFs और डायरेक्ट स्टॉक्स के जरिए चीन में निवेश करने के आसान तरीके जानिए.

चीन का शेयर बाजार हरा-भरा Image Credit: Money9 Live

How to Invest in China Market: भारतीय शेयर बाजार में हालिया गिरावट के बीच निवेशक अब घबराए हुए हैं. ऐसे में कई लोग कोई ऐसा विकल्प तलाश रहे हैं जहां अपने घाटे को वह रिकवर कर सकें और ऐसा बाजार जो उनके पोर्टफोलियो को हरियाली के तरफ ले जाए. इन सब की तलाश चीन के बाजार पर आकर खत्म हो सकती है क्योंकि वैश्विक बाजारों में अस्थिरता के बावजूद, चीन की इक्विटी मार्केट में सुधार देखने को मिल रहा है. यही वजह है कि यहां निवेश करना निवेशकों के लिए यह आकर्षक अवसर बन सकता है. सवाल उठता है कि भारतीय निवेशक चीन के इस ग्रोथ स्टोरी का हिस्सा कैसे बन सकते हैं? इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि चीन में निवेश करने के कौन-कौन से विकल्प मौजूद हैं और किस तरह आप वहां अपना पोर्टफोलियो बना सकते हैं.

चीन में निवेश करने के विकल्प

चीन के बाजार में निवेश करने के कई तरीके हैं. इनमें प्रमुख रूप से म्यूचुअल फंड्स, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) और डायरेक्ट स्टॉक इनवेस्टमेंट शामिल हैं.

  1. म्यूचुअल फंड्स के जरिए निवेश

भारतीय निवेशक चीन पर आधारित अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स के जरिए वहां निवेश कर सकते हैं.
इनमें प्रमुख नाम Edelweiss Greater China Equity Off-shore Fund और Mirae Asset Hang Seng BEES शामिल हैं.
SIP के जरिए भी इन फंड्स में निवेश किया जा सकता है.

  1. ETFs के जरिए निवेश

ETFs यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स के जरिए भी चीन के बाजार में निवेश किया जा सकता है.
इनका प्रदर्शन चीन के इंडेक्स के अनुसार होता है, जैसे iShares MSCI China ETF और SPDR S&P China ETF.
भारत में इंटरनेशनल ब्रोकर्स और वेस्टेड फाइनेंस जैसे प्लेटफॉर्म के जरिए ये भी इस विदेशी बाजार में निवेश किया जा सकता है.

  1. डायरेक्ट स्टॉक्स में निवेश

लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत भारतीय निवेशक सीधे चीन की कंपनियों के स्टॉक्स खरीद सकते हैं.
इसके लिए अमेरिकी वॉलेट्स और इंटरनेशनल ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया जा सकता है.
हालांकि, LRS की सीमा प्रति वर्ष 250,000 डॉलर (लगभग 2 करोड़ रुपए) तक होती है.

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निवेश पर टैक्स और चार्जेस

  • ETFs और इंटरनेशनल फंड्स पर टैक्स: भारत में LTCG (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन) टैक्स 20% (इंडेक्सेशन के बाद) लागू होता है. स्टॉक्स और ETFs पर 10% LTCG (2 साल के बाद) टैक्स लगता है.
  • ब्रोकरेज चार्जेस: इंटरनेशनल ब्रोकर्स 0.05% से 0.25% तक ब्रोकरेज लेते हैं.इसके अलावा, करेंसी मार्कअप और प्लेटफॉर्म चार्जेस भी लागू हो सकते हैं.

हांगकांग इंडेक्स (Hang Seng Index) में हाल के महीनों में उछाल देखने को मिला है. iShares MSCI China ETF की परफॉर्मेंस भारतीय बाजार की तुलना में बेहतर रही है.