अपने ही खेल में फिर फंसा केतन पारेख, चप्पे-चप्पे पर SEBI ने बिछाया था जाल… पूरी थ्रिलर है स्टोरी

सेबी ने एक बार फिर से केतन पारेख को मार्केट से बैन कर दिया है. इससे पहले भी पारेख को प्रतिबंधित किया गया था. केतन पारेख कई नंबरों का इस्तेमाल फ्रंट-रनर (FR) संस्थाओं को ट्रेडिंग निर्देश देने के लिए कर रहा था, लेकिन वही नंबर सेबी के लिए ट्रंप कार्ड साबित हो गए.

केतन पारेख के फ्रॉड को सेबी ने पकड़ा. Image Credit: Social Media

Ketan Parekh: सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने किसी जासूसी उपन्यास की तरह केतन पारेख के घोटाले को पकड़ा है. नंबरों की ट्रैकिंग और व्हाट्सएप चैट के जरिए सेबी ने केतन पारेख की पहचान ‘शेप शिफ्टिंग’ वाले व्यक्ति के रूप में स्थापित की है. केतन पारेख सेबी से बचने के लिए लगातार अपना नंबर बदलता रहा, लेकिन सेबी ने बेहद ही थ्रिलिंग अंदाज में अपने काम को अंजाम दिया है. सेबी ने विस्तार से बताया है कि कैसे अलग-अलग नंबरों के जरिए केतन पारेख का संबंध स्थापित हुआ. पारेख इन कई नंबरों का इस्तेमाल फ्रंट-रनर (FR) संस्थाओं को ट्रेडिंग निर्देश देने के लिए कर रहा था. सेबी के सदस्य कमलेश वार्ष्णेय का अंतरिम आदेश किसी जासूसी नॉवेल की तरह लगता है. सेबी ने इस तरह से एक बार फिर से केतन पारेख को मार्केट से बैन कर दिया है. इससे पहले साल 2001 में भी पारेख का घोटाला सामने आया था.

फ्रंट रनिंग का मतलब, एडवांस इंफॉर्मेशन के आधार पर शेयर बाजार में खरीद-बिक्री करना और मुनाफा कमाना होता है. उस समय तक यह सूचना ग्राहकों को उपलब्ध नहीं होती है.

अलग-अलग नाम से सेव थे नंबर

केतन पारेख जिन नंबरों का इस्तेमाल ट्रेडिंग निर्देश के लिए कर रहे थे, उन नंबरों को सर्च और सीज अभियान के दौरान विभिन्न मोबाइल उपकरणों से और विभिन्न संस्थाओं के बयानों से जुटाए गए थे. लेकिन इन उपकरणों में उन्हें अलग-अलग नामों से सेव किया गया था. नंबरों को जैक, जॉन, भाई और वेलविशर जैसे नाम से सेव किया गया था. लेकिन सेबी के सामने चुनौती इन नंबरों का संबंध केतन पारेख के साथ स्थापित करने की थी. इसलिए रेगुलेटरी बॉडी ने कुछ अलग तरीके से सोचा.

सेबी ने ऐसे पकड़ा खेल

सबसे पहले अलग-अलग इंटरनेशनल मोबाइल की पहचान की गई और (IMEI) नंबरों से जुड़े फोन नंबरों को ट्रैक करके लिंक स्थापित किया गया. केतन पारेख की आदत फोन नंबर बदलने की थी, ताकि उसकी पहचान उजागर ने हो सके. लेकिन इतनी चालाकी के बावजूद वो एक गलती कर रहा था. पारेख जितनी तेजी से नंबर बदलता था, उतनी तेजी से मोबाइल फोन नहीं बदल रहा था और यही उसकी सेफ्टी में दरार साबित हुआ. सेबी ने पाया कि पारेख से जुड़े अलग-अलग फोन उन फोन नंबरों से जुड़े थे, जिसके जरिए फ्रंट रनर्स को निर्देश दिए जा रहे थे.

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नंबरों की ट्रैकिंग

उदाहरण के लिए 8243 पर समाप्त होने वाला एक नंबर को पारेख की पत्नी के नाम पर था. लेकिन उसका इस्तेमाल केतन पारेख ही कर रहा था. इस फोन नंबर से जुड़ा IMEI नंबर 9917 पर समाप्त होने वाले दूसरे नंबर से भी जुड़ा था. 2996 पर खत्म होने वाले एक और नंबर को पारेख ने सेबी को दिए गए बयान में अपना नंबर बताया. उसके सहयोगी रोहित सालगांवकर ने भी पुष्टि की कि यह नंबर पारेख का है. इस फोन नंबर से जुड़ा IMEI नंबर दूसरे फोन नंबर 1068 से भी जुड़ा हुआ था.

कॉल-डेटा रिकॉर्ड

इतनी जानकारी की पुष्टि हो जाने के बाद सेबी ने रात के समय, रात 9 बजे से सुबह 6 बजे के बीच अलग-अलग नंबरों के लोकेशन का पता लगाने के लिए कॉल-डेटा रिकॉर्ड को देखा. इस जांच से पता चला कि सभी मोबाइल नंबर ज्यादातर मौकों पर केतन पारेख के घर के एड्रेस के पर मौजूद थे. रेगुलेटरी बॉडी ने होटल और एयरलाइंस जैसी थर्ड पार्टी की भी जांच की, ताकी पारेख की ट्रैवल हिस्ट्री के साथ नंबरों के लोकशन को मिलाया जा सके. इस जांच में पता चला कि नंबर अलग-अलग समय के दौरान अलग-अलग होटलों में एक साथ मौजूद थे. सेबी के अधिकारियों ने तब होटल अधिकारियों से जांच की कि क्या पारेख इन दिनों के दौरान वहां ठहरा था.

जन्मदिन की शुभकामनाएं

व्हाट्सएप चैट में फ्रंट रनर संस्थाओं में से एक संजय तपारिया ने दूसरे को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं, जिसका नाम जैक लेटेस्ट के रूप में सेव गया था. यह शुभकामना 15 फरवरी 2023 को भेजी गई थी और जैक लेटेस्ट ने तपारिया को धन्यवाद देकर जवाब दिया. सेबी के आदेश में कहा गया है कि केतन पारेख की जन्म तिथि उसके पैन कार्ड पर भी 15 फरवरी 1962 है. आदेश में कहा गया है कि इससे यह भी साबित होता है कि जैक लेटेस्ट कोई और नहीं बल्कि केतन पारेख है और मोबाइल नंबर XXX5555484 का इस्तेमाल केतन पारेख द्वारा किया जाता है.

सेबी ने किया बैन

आदेश में कहा गया है कि इन सबूतों का एनालिसिस करते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पारेख ने इन कॉन्टैक्ट नंबरों का इस्तेमाल अन्य बातों के अलावा, नॉन पब्लिक इंफॉर्मेशन (NPI) आधारित ट्रेड के एग्जीक्यूशन के लिए फ्रंट रनर तक पहुंचाने के लिए किया था. सेबी ने सिंगापुर स्थित शेयर कारोबारी रोहित सालगांवकर के भी कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. केतन पारेख के शेयर मार्केट में किसी भी तरह की गतिविधि पर रोक लगा दी गई है. साथ ही 65 करोड़ 77 लाख रुपये की अवैध कमाई जब्त कर ली गई है. केतन पारेख को वर्ष 2001 के कुख्यात स्टॉक मार्केट घोटाले में उनकी भूमिका के कारण शेयर बाजारों से 14 वर्षों के लिए बैन कर दिया गया था.

केतन पारेख का पुराना कच्चा चिट्ठा

केतन पारेख मुंबई को 1998 के अंत से 2001 तक हुए भारतीय शेयर बाजार हेरफेर घोटाले में शामिल होने के लिए 2008 में दोषी ठहराया गया था. केतन पारेख ने कम पॉपुलर और छोटी मार्केट कैप वाली कंपनियों में छोटे-छोटे शेयर खरीदे. फिर अन्य व्यापारियों के साथ सर्कुलर ट्रेडिंग और बड़े इंस्टीट्यूशनल निवेशकों के साथ मिलीभगत के ज़रिए उनकी कीमतें बढ़ा दीं. इससे शेयरों की कीमतों में भारी उछाल आया.

10 शेयरों के इस सेट को बोलचाल की भाषा में ‘K-10’ शेयर कहा जाता था. इसमें ज़ी टेलीफिल्म्स, टिप्स, अफटेक इंफोसिस, मुक्ता आर्ट्स, हिमाचल फ्यूचरिस्टिक कम्युनिकेशन लिमिटेड (HFCL), पेंटामीडिया ग्राफिक्स आदि शामिल थे. पेंटामीडिया ग्राफिक्स जैसे K10 स्टॉक की कीमत 175 रुपये से बढ़कर 2,700 रुपये हो गई और ग्लोबल टेलीसिस्टम्स की कीमत 185 रुपये से बढ़कर 3,100 रुपये हो गई थी.

इसके अलावा, पारेख ने ज्यादातर निवेश/ट्रेड कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज (CSE) में किए, क्योंकि उस समय इसमें कोई सख्त नियम नहीं थे. उन्होंने कुछ स्टॉक पर आर्टिफिशियल रूप से 200 फीसदी का वार्षिक रिटर्न बनाया. जब घोटाले का पता चला, तो यह करीब 40 हजार करोड़ रुपये का निकला था.