Zudio ने फीकी कर दी Trent की चमक, जानें- स्टोर कैसे बिगाड़ रहे हैं एक दूसरे का धंधा
Zudio-Trent: सितंबर 2024 तक कंपनी ने रवेन्यू में मात्र एक फीसदी के ग्रोथ के साथ 4,150 करोड़ रुपये और मुनाफे में 2 फीसदी की गिरावट के साथ 329 करोड़ रुपये दर्ज किए थे. 2024 में ट्रेंट के शेयरों का प्रदर्शन प्रभावशाली रहा, लेकिन 2025 में कहानी एकदम बदल चुकी है. इसके पीछे की वजह क्या है?
Trent Share Zudio Growth: साल की शुरुआत से ही ट्रेंट के शेयरों में गिरावट देखने को मिल रही है. जनवरी 2025 के पहले 15 कारोबारी दिनों में ही ट्रेंट के शेयरों में 17 फीसदी से अधिक की गिरावट आई. टाटा ग्रुप की इस कंपनी के शेयरों में गिरावट कई नेगेटिव फैक्टर्स के चलते आई है. कंपनी ग्रोथ के मोर्चे पर काफी संघर्ष करती हुई नजर आ रही है. सितंबर तिमाही के नतीजे से ट्रेंट के वित्तीय प्रदर्शन में मंदी के संकेत मिले थे. सितंबर 2024 तक कंपनी ने रवेन्यू में मात्र एक फीसदी के ग्रोथ के साथ 4,150 करोड़ रुपये और मुनाफे में 2 फीसदी की गिरावट के साथ 329 करोड़ रुपये दर्ज किए थे. रिटेल फैशन में जोरदार ग्रोथ दर्ज करने वाली ट्रेंट आखिर अब किस मोर्चे पर फेल हो रही है, आइए समझने की कोशिश करते हैं.
जूडियो की सफलता ने लिखी ट्रेंड की कहानी
2024 में ट्रेंट के शेयरों का प्रदर्शन प्रभावशाली रहा. साल भर में शेयरों में 133 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी देखने को मिली. इस ग्रोथ के पीछे का बड़ा फैक्टर कंपनी की वैल्यू फैशन रिटेल चेन जूडियो की सफलता थी. जूडियो के तेज विस्तार और ग्राहकों की मज़बूत डिमांड ने ट्रेंट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया, जिससे यह निफ्टी 50 इंडेक्स में टॉप परफॉर्मर शेयरों करने वाले शेयरों में से एक बन गया. हालांकि, 2025 में ट्रेंट की कहानी पिछले साल से एकदम उलट है.
विदेशी निवेशकों ने मुंह मोड़ा
दिसंबर तिमाही में विदेशी इंस्टीट्यूशनल निवेशकों (FII) ने शेयर से बाहर निकलना चुना और सितंबर 2024 में मौजूद अपनी 3 फीसदी हिस्सेदारी को घटाकर शून्य कर दिया. इसी अवधि के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भी अपनी हिस्सेदारी 23.6 फीसदी से घटाकर 21.6 फीसदी कर ली. जबकि म्यूचुअल फंड ने अपनी हिस्सेदारी 9 फीसदी से बढ़ाकर 11 फीसदी कर ली है. रिटेल निवेशकों ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी मामूली रूप से बढ़ाई है.
कैनिबलाइजेशन समस्या
कोटक इंस्टीट्यूशनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि विस्तार के लिए 180 नए स्टोर खोलने की ट्रेंट की प्लानिंग से रेवेन्यू में पर्याप्त बढ़ोतरी नहीं हो सकती है. ज़ूडियो जैसे परिधान स्टोर को किराना स्टोर की तुलना में ग्रोथ क्षमता के मामले में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो ग्राहकों की निकटता और एक स्थिर धारा से बेनिफिट्स मिलते हैं.
दरअसल, देश के ट़ॉप 10 शहरों में कई ज़ूडियो स्टोर एक ही स्थान पर मौजूद है, जो संभावित रूप से एक-दूसरे को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसलिए ज़ूडियो के मामले में प्रति स्टोर इंक्रीमेंटल रेवेन्यू ग्रोथ धीमी हो सकती है.
कैनिबलाइजेशन उसे कहा जाता है, जब किसी कंपनी का नया प्रोडक्ट उसके पुराने प्रोडक्ट से ही मुकाबला करने लगे. जूडियो के मामले में भी कुछ ऐसा ही है, क्योंकि एक ही जगह पर इसके या वेस्टसाइड के स्टोर ओपन हुए हैं. जिससे एक दूसरे स्टोर के लिए ही रेवेन्यू जुटाने में मुश्किलें आ रही हैं.
जूडियो स्टोर ग्रोथ
पिछले पांच साल से वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही तक जूडियो के स्टोर की संख्या में साल-दर-साल 60 फीसदी की तेज दर से वृद्धि हो रही थी. ट्रेंट ने वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही के दौरान वेस्टसाइड स्टोर और 34 जूडियो स्टोर खोले, जिससे वेस्टसाइड स्टोर की कुल संख्या 226 और जूडियो की कुल संख्या 577 हो गई.
मार्केट में टक्कर
कोटक इंस्टीट्यूशनल रिपोर्ट ने नए स्टोर से बिक्री में कमी आने की चिंता को बताया है. ट्रेंट का वैल्यू काफी हद तक जुडियो और वेस्टसाइड से आता है. मौजूदा हाई वैल्यूएशन को बनाए रखने के लिए दोनों व्यवसायों को अपनी हाई ग्रोथ दर को बनाए रखना होगा. जुडियो को अपनी सफलता के बाद अब रिलायंस के यूस्टा जैसे नए ब्रांडों से प्रतिस्पर्धा नजर आने लगा है. हालांकि, इसके कंपटीटर को जुडियो की तरह प्रॉफिटेबल बनने में समय लगेगा, लेकिन प्रतिस्पर्धा इसके कस्टमर बेस को कम कर सकते हैं.
आर्थिक दबाव का असर
इसके अतिरिक्त, व्यापक मैक्रोइकॉनोमिक वातावरण ने डिस्क्रेशनरी खर्च को प्रभावित किया है. खासकर शहरी बाजारों में. गैर-आवश्यक वस्तुओं की उपभोक्ता मांग में कमी के साथ ट्रेंट के कारोबार को शॉर्ट टर्म में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि लोग आर्थिक दबावों के चलते खर्च में कटौती कर रहे हैं.
वैल्यूएशन फैक्टर
ट्रेंट के शेयर की कीमत पर असर डालने वाला एक और फैक्टर इसका वैल्यूएशन है. हाल के वर्षों में अपनी जोरदार ग्रोथ के बावजूद, ट्रेंट वर्तमान में 75x TTM के EV/Ebitda मल्टिपल पर कारोबार कर रहा है, जो इसके 3 साल के औसत EV/Ebitda मल्टीपल 58x से काफी अधिक है. इस हाई वैल्यूएशन ने चिंता बढ़ा दी है.
टार्गेट प्राइस में कटौती
कोटक इंस्टीट्यूशनल के अनुसार, ट्रेंट के शेयर की कीमत में शानदार उछाल के बाद, अब मुनाफावसूली करने का समय आ गया है. ब्रोकरेज ने शेयर को ADD से SELL में डाउनग्रेड कर दिया है, और अपने टार्गेट प्राइस को 6,800 रुपये से घटाकर 5,850 रुपये कर दिया.
डिस्क्लेमर– मनी9लाइव पर दी गई सलाह या विचार एक्सपर्ट/ब्रोकरेज फर्म के अपने निजी विचार हैं. निवेश से पहले आप अपने वित्तीय सलाहकार की सलाह जरूर लें. वेबसाइट किसी भी नफा-नुकसान का जिम्मेदार नहीं होगी.