राजनीति में हो रही मुखर, शेयर बाजार में भी बढ़ रहा निवेश, सरकार के आंकड़ों में दिखा ‘महिला पावर इफेक्ट’
बदलते वक्त के साथ महिलाओं की भागीदारी अब सिर्फ घर तक सीमित नहीं रही. नई रिपोर्ट के आंकड़े बता रहे हैं कि कैसे उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था से लेकर राजनीति तक में अपनी मज़बूत मौजूदगी दर्ज कराई है. पूरा सच जानिए इस रिपोर्ट में.

कोरोना महामारी के बाद का दौर भारत में महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक भागीदारी के लिहाज से एक बड़े बदलाव का गवाह बन रहा है. घर की चारदीवारी में सिमटी महिलाएं अब न सिर्फ स्टॉक मार्केट में निवेश कर रही हैं बल्कि बैंक खाते खोलने से लेकर कारोबार, नौकरी और मतदान तक हर मोर्चे पर खुद को स्थापित कर रही हैं. सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MoSPI) की नई रिपोर्ट “Women and Men in India 2024” के मुताबिक, 2021 में जहां केवल 67 लाख महिलाओं के पास डिमैट अकाउंट था, वहीं 2024 के अंत तक यह संख्या बढ़कर 2.72 करोड़ हो गई. यानी तीन साल में चार गुना से भी ज्यादा इजाफा. यह बढ़त पुरुषों के रुझान के समानांतर रही है.
देश में कुल डिमैट खातों की संख्या भी मार्च 2021 में 3.33 करोड़ से बढ़कर दिसंबर 2024 तक 14.3 करोड़ हो चुकी है. इसी अवधि में बीएसई सेंसेक्स में 61 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई, जिसने रिटर्न को आकर्षक बना दिया.
बैंकिंग और कारोबार में भी बढ़ी हिस्सेदारी
बैंकिंग क्षेत्र में भी महिलाओं की स्थिति बेहतर हुई है. रिपोर्ट बताती है कि 2024 तक देश में कुल बैंक खातों में 39.2 प्रतिशत हिस्सेदारी महिलाओं की थी और ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 42 प्रतिशत तक पहुंच गया. इसी तरह, महिला प्रमुख प्रतिष्ठानों की संख्या भी बढ़ी है. 2021-22 में जहां 24 प्रतिशत प्रतिष्ठान महिलाओं द्वारा संचालित थे वहीं 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 26.2 प्रतिशत हो गया.
स्टार्टअप्स से लेकर राजनीति तक बढ़ा महिलाओं का प्रभाव
स्टार्टअप क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही है. 2017 में जहां मात्र 1,943 स्टार्टअप्स में महिला निदेशक थीं, वहीं 2024 तक यह संख्या बढ़कर 17,405 पहुंच गई. कामकाजी महिलाओं की संख्या में भी तेजी से बढ़त हुई है. महिला श्रम भागीदारी दर 2017-18 में 23.3 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 41.7 प्रतिशत हो गई. महिलाओं का सामाजिक प्रभाव अब राजनीति में भी नजर आने लगा है. 2024 के आम चुनावों में महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक रही. यही कारण है कि राजनीतिक दलों ने महिलाओं को लुभाने के लिए नकद प्रोत्साहन योजनाएं और मुफ्त बस यात्रा जैसी स्कीमें शुरू कीं.
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दिल्ली सरकार ने हाल ही में कम आय वर्ग की महिलाओं के लिए मासिक नकद ट्रांसफर योजना शुरू की है, जो इस दिशा में ताजा कदम माना जा रहा है. महामारी ने जहां दुनिया को ठहराव दिया, वहीं भारतीय महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका दे दिया और उन्होंने इस मौके को पूरी ताकत से भुनाया है.
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