कुंभ आते ही क्यों टूट जाता है बाजार? रिपोर्ट ने दिखाया आंकड़ों का संयोग
क्या आप जानते हैं कि जब भी कुंभ मेला आयोजित होता है, सेंसेक्स में गिरावट दर्ज होती है? इस दिलचस्प कनेक्शन को जानकर आपके निवेश की रणनीति बदल सकती है. ऐसे में आर्टिकल में पढ़ें की इस संयोग के बारे में मार्केट एक्सपर्ट्स का क्या कहना है.
भारत में कुंभ मेला केवल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह बाजार के लिए भी एक दिलचस्प परिघटना बन गया है. ब्रोकरेज फर्म Samco Securities के जारी आंकड़ों के मुताबिक, जब-जब कुंभ का आयोजन हुआ है सेंसेक्स ने उन दिनों लाल निशान पर अपनी यात्रा समाप्त की है. यह बात निवेशकों के लिए सोचने का विषय बन गई है कि क्या कुंभ और बाजार के प्रदर्शन के बीच कोई संबंध है.
साल 2004 से 2025 तक के कुंभ मेलों के दौरान सेंसेक्स के आंकड़ों का विश्लेषण बताता है कि इन अवधि में बाजार में लगातार गिरावट दर्ज की गई. Samco Securities में मार्केट पर्सपेक्टिव्स एंड रिसर्च के हेड अपूर्वा सेठ ने बताया कि ऐतिहासिक रूप से कुंभ के दौरान सेंसेक्स का प्रदर्शन कैसा रहा.
कुंभ और बाजार का कनेक्शन
- साल 2004- इस साल उज्जैन में कुंभ का आयोजन 5 अप्रैल से 4 मई तक हुआ. इस दौरान सेंसेक्स में 3.27 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. हालांकि, छह महीने बाद बाजार ने 1.01 का मामूली मुनाफा दिखाया.
- साल 2010- हरिद्वार में इस साल कुंभ का आयोजन करीब चार महीने तक चला. 14 जनवरी से लेकर 28 अप्रैल तक. इस दौरन निवेशकों को 1.16 फीसदी का घाटा हुआ. लेकिन छह महीने बाद निवेशकों को 16.82 फिसदी का शानदार रिटर्न मिला.
- साल 2013- 14 जनवरी को प्रयागराज में शुरू हुआ कुंभ 11 मार्च को खत्म हुआ. इस दौरान सेंसेक्स 1.31 फीसदी गिरा. हालांकि छह महीनों में 1.79 फीसदी का सकारात्मक रिटर्न देखने को मिला.
- साल 2015- मकर संक्रान्ति के दिन यानी 14 जुलाई से नासिक में आयोजित हुआ कुंभ 75 दिनों के बाद 28 सितंबर को समाप्त हुआ. इन दिनों में सेंसेक्स ने 8.29 फीसदी का गोता लगाया.
- साल 2016- इस साल मध्य प्रदेश के उज्जैन में 22 अप्रैल से लगभग एक महीने तक कुंभ मेला आयोजित हुआ. सेंसेक्स 2.35 फिसदी गिरा. छह महीने बाद 2.12 फीसदी का मामूली सुधार हुआ
- साल 2021- हरिद्वार में 1 अप्रैले से 19 अप्रैल तक चले कुंभ में सेंसेक्स लाल डुबकी लगाता दिखा. इस दौरान निवेशकों को 4.16 फिसदी का नुकसान हुआ.
- साल 2024- इस साल के कुंभ का आगाज हो चुका है और बाजार पहले ही दिन लाल निशान पर जाकर अटक गया. सोमवार यानी 13 जनवरी को सेंसेक्स 1,049 अंक लुढ़का. यानी 1.36 फीसदी की कमी दर्ज करते हुए 76,330 के स्तर पर बंद हुआ.
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क्या है इसकी वजह?
कुंभ का आयोजन उस वक्त होता है जब बृहस्पति ग्रह कुछ विशिष्ट राशियों में प्रवेश करता है और सूर्य व चंद्रमा के साथ एक विशिष्ट ज्योतिषीय संयोग बनाता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान बृहस्पति ग्रह का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव न केवल पृथ्वी की ज्वार-भाटा पर प्रभाव डालता है, बल्कि मानव व्यवहार और सामाजिक घटनाओं पर भी इसका प्रभाव पड़ता है. इसी कतार में बाजार भी प्रभावित होने की संभावना है.
अपूर्वा सेठ ने आंकड़ों के हवाले से बताया पिछले 20 वर्षों के आधार पर, कुंभ मेले के दौरान सेंसेक्स का प्रदर्शन नकारात्मक रहा है. सेंसेक्स ने कुंभ के दौरान औसतन 3.42 फीसदी की गिरावट दर्ज की है हालांकि कुंभ के छह महीने बाद बाजार ने 8 फीसदी का औसत लाभ दिया है. यह दर्शाता है कि कुंभ के दौरान गिरावट के बावजूद लंबी अवधि के निवेशकों के लिए बाजार फायदेमंद साबित हो सकता है.
रिपोर्ट में सेठ ने बताया कि जब बाजार तेजी से ऊपर जाता है तो निवेशक अक्सर गलत फैसले ले लेते हैं जो उन्हें फंसा देता है. कुंभ मेले के दौरान आई गिरावट निवेशकों को एक ‘रीसेट’ का मौका देती है, जैसे गंगा में डुबकी लगाकर पुराने कर्मों का शुद्धिकरण किया जाता है. यह गिरावट निवेशकों को भविष्य के लिए सोच-समझकर फैसले लेने का संकेत देती है.
डिसक्लेमर– मनी9लाइव किसी भी शेयर या म्यूचुअल फंड में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां सिर्फ शेयरों के बारे में जानकारी दी गई है. निवेश से पहले जरूरी है कि आप किसी वित्तीय सलाहकार की सलाह जरूर लें.