Share Market के असली किंग मनमोहन सिंह! उनके PM रहते करीब 4 गुना चढ़ा Sensex
दो बार प्रधानममंत्री, वित्त मंत्री, रिजर्व बैंक के गवर्नर और योजना आयोग के सदस्य रहे मनमोहन सिंह को अगर शेयर मार्केट की ग्रोथ के लिहाज से आंका जाए, तो उनके कार्यकाल में बेंचमार्क इंडेक्स करीब 4 गुना बढ़ा. इस तरह मनमोहन सिंह सही मायनों में शेयर बाजार के किंग साबित हुए.
डॉ. मनमोहन सिंह को आज पूरा देश श्रद्धांजलि दे रहा है. 92 वर्ष की उम्र में गुरुवार को उनका दिल्ली में निधन हो गया. वे दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे. इसके अलावा वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रहे. करीब 5 दशक के सार्वजनिक जीवन में मनमोहन सिंह को एक ऐसे इकोनॉमिक रिफॉर्मिस्ट की पहचान मिली, जिसने देश के बाजार को दुनिया के लिए खोला. इसके साथ ही दुनिया की दौलत को भारत में आकर्षित कर आम लोगों को समृद्ध और सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई.
सही मायनों में शेयर बाजार के किंग
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक 10 वर्ष के लिए भारत के प्रधानमंत्री रहे. प्रधानमंत्री के तौर पर उनके दो कार्यकाल में बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स में 398% की वृद्धि हुई. उनके 10 वर्ष के कार्यकाल में 8 वर्षों में बाजार का डायरेक्शन पॉजिटिव रहा. सबसे ज्यादा 81% रिटर्न 2009 और 47% 2006, 2007 में मिला. भारत के चौथे सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले सिंह के कार्यकाल में ही 2008 का वैश्विक आर्थिक संकट भी आया. इस दौरान अमेरिका सहित दुनियाभर के ज्यादातर शेयर बाजार धराशायी हो गए थे. हालांकि, इस दौर को मिलाकर भी सिंह के कार्यकाल में सेंसेक्स 4,961 से बढ़कर 24,693 तक पहुंच गया.
किस साल कितना बढ़ा बाजार
2008 की वैश्विक मंदी के दौर को छोड़ दिया जाए, तो सिंह के कार्यकाल में 10 में से 8 साल सेंसेक्स बढ़कर बंद हुआ. 2008 की शुरुआत में सेंसेक्स 20 हजार से ऊपर था. लेकिन, साल के आखिर में यह 10 हजार अंक से नीचे बंद हुआ. इस तरह 2008 में करीब 50 फीसदी की गिरावट आई. इसके अलावा 2011 में सेंसेक्स में 27% की गिरावट आई.
2004 से 2013 तक का रिटर्न
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मनमोहन सिंह के कार्यकाल में सेंसेक्स का सर्वाधिक रिटर्न 81% 2009 में आया. इसके बाद 2006 और 2007 में 47% का रिटर्न आया. इसी तरह 2004, 2005, 2010, 2012 और 2013 में रिटर्न क्रमशः 33%, 42%, 17%, 26% और 9% का रिटर्न रहा. वहीं, 2004 से और 2014 तक के रिटर्न को देखा जाए, तो यह करीब 4 गुना यानी 398% होता है.
साल | सेंसेक्स का रिटर्न |
2004 | 33% |
2005 | 42% |
2006 | 47% |
2007 | 47% |
2008 | -50%* |
2009 | 81% |
2010 | 17% |
2011 | -27% |
2012 | 26% |
2013 | 9% |
जारी है उदारीकरण से शुरू हुई कहानी
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार कहते हैं कि निवेशकों को 1991 में उदारीकरण की शुरुआत के बाद भारतीय शेयर बाजार में जो तेजी आई और उससे उन्हें जो रिटर्न मिला उसे कृतज्ञतापूर्वक स्वीकार करना चाहिए. 1991 में सेंसेक्स करीब 1,000 अंक के असापास था. तब से अब तक यह 780 गुना बढ़कर 78,000 से ऊपर कारोबार कर रहा है. इस तरह लॉन्गटर्म इन्वेस्टर्स को बाजार शानदार रिटर्न दे चुका है. आने वाले वर्षों में बाजार निवेशकों को बेहतर रिटर्न देना जारी रखेगा, क्योंकि उदारीकरण से प्रेरित भारत की विकास कहानी अभी बदस्तूर जारी है.