Market Crash : 5 दिन में 4,100 अंक गिरा सेंसेक्स, निवेशकों के 16 लाख करोड़ डूबे, कब थमेगी गिरावट?

सितंबर में लगातार नई बुलंंदियों छूने के बाद शेयर बाजार लगातार धराशयी हो रहा है. बीते चार कारोबारी सत्र में बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स में इसके शीर्ष से 4 हजार अंक से ज्यादा की गिरावट हो चुकी है. वहीं, बीएसई मे लिस्टेड तमाम कंपनियों के निवेशकों को इस गिरावट की वजह से 16 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है.

एफआईआई तुम कब आओगे Image Credit: Wong Yu Liang/Moment/Getty Images

अक्टूबर का पहला सप्ताह भारतीय बाजारों के लिए निराशजनक रहा. 30 सितंबर को ईरान की तरफ से इजराइल पर किए गए मिसाइल हमले की वजह से बाजार में बड़ी गिरावट आई और सेंसेक्स 1272.07 अंक गिरा. इसके बाद 1 अक्टूबर को भी 33 अंक की गिरावट के साथ बाजार सपाट बंद हुआ. 3 अक्टूबर को 1769.19 अंक की गिरावट आई. सप्ताह के आखिरी दिन शुक्रवार को सेंसेक्स 808.65 अंक की गिरावट के साथ बंद हुआ. इस तरह सेंसेक्स में चार कारोबारी सत्र में 3882 अंक गिर चुका है. वहीं, इससे पहले 27 सितंबर को भी 246 अंक की गिरावट हुई थी. इस तरह सेंसेक्स में मोटे तौर पर पांच कारोबारी सत्र में 4,129 अंक की गिरावट आ चुकी है. इस गिरावट के चलते निवेशकों को करीब 16 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं.

शुक्रवार को सेंसेक्स जहां 0.98% यानी 808.65 अंक की गिरावट के साथ 81,688.45 के स्तर पर बंद हुआ. वहीं, निफ्टी 0.93% यानी 235.50 अंक की गिरावट के साथ 25,014.60 पर बंद हुआ. सेंसेक्स के 30 में 8 स्टॉक्स हरे निशान में बंद हुए, जबकि 22 लाल निशान में बंद हुए. इसी तरह निफ्टी के 50 में से 13 स्टॉक्स के भाव बड़े, जबकि 37 में गिरावट देखी गई. बढ़ने वाले स्टॉक्स में इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो, टेक महिंद्रा और एचसीएल जैसे आईटी स्टॉक्स के साथ ही बैंकिंग शेयरों ने भी दम दिखाया.

बाजार की गिरावट के पीछे तीन बड़े कारण नजर आ रहे हैं. पहला कारण ईरान-इजराइल के बीच जारी तनाव है. अगर यह संघर्ष बढ़ता है, तो आने वाले दिनों में तेल के दाम पर इसका असर पड़ सकता है. इसकी वजह से भारतीय बास्केट में भी कच्चे तेल की कीमत बढ़ सकती है. कच्चे तेल की कीमत बढ़ने का नतीजा भारत में महंगाई बढ़ने के तौर पर सामने आ सकता है. इसके अलावा इससे भी बड़ा विदेशी निवेशकों का चीन के बाजारों के की तरफ रुख करना है. जबकि, तीसरा कारण सेबी की तरफ से 1 अक्टूबर को इंडेक्स डेरिवेटिव सहित ट्रेडिंग के कई नियमों में किए गए बदलाव हैं.

चीन की चालबाजी पड़ रही भारी

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वी. के. विजयकुमार कहते हैं कि कल निफ्टी में 2.1% की तेज गिरावट असल में पश्चिम एशिया में में तनाव बढ़ने की आशंकाओं के बजाय एफआईआई की भारी बिकवाली के कारण हुई. एफआईआई की तरफ से पिछले तीन दिनों में नकदी बाजार में 3,0614 करोड़ रुपये की भारी बिकवाली देखी गई है. एफआईआई भारत के महंगे बाजार से निकलकर चीन में पैसा लगा रहे हैं, क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि चीनी के मौद्रिक और राजकोषीय प्रोत्साहन से चीनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, जिससे उन्हें चीनी कंपनियों के निचले स्तर पर खरीदे गए शेयरों से ज्यादा मुनाफा होगा.

जारी रह सकता है मंदी का दौर

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर कहते हैं कि निवेशक पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष पर नजर रख रहे हैं. कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से वृद्धि ने भारतीय बाजार के निवेशकों को सतर्क कर दिया है. हालांकि, इस वृद्धि से ओपेक तेल उत्पादन में वृद्धि कर निपट सकता है. लेकिन, विदेशी निवेशकों की तरफ से भारतीय बाजार से पैसे निकालकर चीनी बाजार में डालने की वजह से कुछ समय के लिए मंदी का दौर जारी रह सकता है.