अगले हफ्ते इन 5 फैक्टर्स पर निर्भर करेगी बाजार की चाल, आप भी जानिए, नहीं तो हो सकता है नुकसान

दुनिया इस समय भारी तनाव से गुजर रही है, मिडिल ईस्ट में चल रहे युद्ध ने वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल मचा दी है. यदि यही स्थिति बनी रही, तो तेल के दामों में और बढ़ोतरी हो सकती है. इन चिंताओं को देखते हुए, आने वाले सप्ताह में भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है.

अगले हफ्ते इन 5 फैक्टर्स पर निर्भर करेगी बाजार की चाल Image Credit: TV9 Bharatvarsh

दुनिया इस समय भारी तनाव से गुजर रही है, मिडिल ईस्ट में चल रहे युद्ध ने वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल मचा दी है. यदि यही स्थिति बनी रही, तो तेल के दामों में और बढ़ोतरी हो सकती है. इन चिंताओं को देखते हुए, आने वाले सप्ताह में भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. आगामी सप्ताह भारतीय शेयर बाजार के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा, और ये प्रमुख फैक्टर्स हैं जो बाजार की चाल को तय करेंगे.

मिडिल ईस्ट में बढ़ता तनाव और तेल की कीमतें

इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष के बादल गहराते जा रहे हैं. हाल ही में ईरान के मिसाइल हमलों ने क्षेत्रीय संघर्ष की आशंकाओं को और बढ़ा दिया है. यदि इजरायल ने ईरान पर हमला किया, तो तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिससे कच्चे तेल की कीमतें और भी बढ़ सकती हैं. इस सप्ताह ब्रेंट क्रूड 78 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चला गया है, जिससे वैश्विक मुद्रास्फीति की चिंता बढ़ गई है. भारतीय निर्यातक, विशेषकर मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में, बढ़ती लॉजिस्टिक लागत को लेकर चिंतित हैं, जिससे बाजार पर दबाव देखने को मिल सकता है.

चीन का आर्थिक प्रोत्साहन और भारतीय बाजारों पर इसका प्रभाव

चीन ने हाल ही में रिजर्व रिक्वायरमेंट रेशियो (RRR) में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है, जिससे लिक्विडिटी बढ़ी है और आगे के आर्थिक उपायों की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं. इस कदम ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को भारतीय बाजारों से दूर कर दिया है, जिससे अक्टूबर में भारी एफपीआई निकासी हुई है. अक्टूबर की शुरुआत में ही एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से बड़ी रकम निकाली, जिसमें सिर्फ पहले तीन दिनों में ही 27,142 करोड़ रुपये के शेयर बेचे गए.

आरबीआई की मौद्रिक नीति

भारतीय रिजर्व बैंक 9 अक्टूबर को अपनी नीतिगत निर्णयों की घोषणा करेगा, जिस पर बाजार की कड़ी नजर रहेगी. रेपो दर फरवरी 2023 से 6.5% पर बनी हुई है. हालांकि, यूएस फेड की हालिया दर में कटौती के बाद इसमें भी कटौती की उम्मीद है, लेकिन वैश्विक तनाव को देखते हुए आरबीआई कोई भी कदम सावधानी से उठाएगा.

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की गतिविधि

एफपीआई ने अक्टूबर में भारतीय इक्विटी से ₹40,511 करोड़ निकाले हैं, जो पिछले महीने की बढ़ोतरी का उल्टा है. इसके पीछे मिडिल ईस्ट में तनाव और हाल ही में चीन द्वारा उठाए गए कदम प्रमुख कारण हैं. इन पैसों के निकलने से भारतीय बाजार पर दबाव है. अब देखना होगा कि इन कारकों के कारण निफ्टी और सेंसेक्स स्थिर रहेंगे या अपनी गिरावट जारी रखेंगे.

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दरों में कटौती

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने सितंबर में अपनी बेंचमार्क ब्याज दर में 50 आधार अंकों की कटौती की, जो चार वर्षों में पहली बार की गई है. इस कदम से वैश्विक बाजारों पर असर पड़ा है, जिसमें भारतीय शेयर बाजार भी शामिल है, क्योंकि अमेरिका में कम दरें भारत जैसे उभरते बाजारों में लिक्विडिटी को बढ़ाती हैं. हालांकि, वैश्विक राजनीतिक स्थिति और बढ़ती तेल की कीमतें इन निर्णयों से होने वाले लाभ को कम कर सकती हैं.