NSE और BSE की ट्रांजेक्शन फीस में कल से होगा बदलाव, जानें- क्या पड़ेगा इसका असर

सेबी के सर्कुलर में मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (MII) को ट्रेडिंग वॉल्यूम के आधार पर स्लैब के अनुसार फीस स्ट्रक्चर को बंद करने का निर्देश दिया गया है. इसकी जगह पर सभी सदस्यों के लिए एक समान फीस स्ट्रक्चर लागू करने को कहा है.

NSE-BSE की ट्रांजेक्शन फीस में होगा बदलाव.

भारत के प्रमुख एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बीएसई ने अपनी ट्रांजेक्शन फीस में बदलाव का ऐलान किया है. एक जुलाई 2024 को जारी सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के सर्कुलर के अनुसार, एक अक्टूबर 2024 से ट्रांजेक्शन के शुल्क में बदलाव होगा. सेबी के सर्कुलर में मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (MII) को ट्रेडिंग वॉल्यूम के आधार पर स्लैब-वाइज फीस स्ट्रक्चर को बंद करने का निर्देश दिया गया है. इसकी जगह पर सभी सदस्यों के लिए एक समान फीस स्ट्रक्चर लागू करने को कहा है. इसमें स्टॉक एक्सचेंज, क्लियरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी शामिल हैं.

एनएसई ट्रांजेक्शन फीस में अहम बदलाव

  • कैश मार्केट: ट्रांजेक्शन शुल्क अब प्रति लाख कारोबार मूल्य पर 2.97 रुपये है, जो स्लैब-वाइज के अनुसार स्ट्रक्चर के तहत 2.97 से 3.22 रुपये के पिछली रेंज से कम है.
  • इक्विटी फ्यूचर्स: फीस को प्रति लाख ट्रेडेड वैल्यू पर 1.73 रुपये पर सेट किया गया है, जो पिहले के 1.73 से घटकर 1.88 रुपये से कम रेंज है.
  • इक्विटी ऑप्शन: अब प्रति लाख प्रीमियम वैल्यू पर फीस 35.03 रुपये है, जबकि पहले यह 29.50 से 49.50 रुपये की रेंज में था.

बीएसई में अहम बदलाव

  • बीएसई में इक्विटी फ्यूचर्स, सेंसेक्स 50 और स्टॉक ऑप्शंस की ट्रांजेक्शन फीस में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है. हालांकि, सेंसेक्स और बैंकेक्स ऑप्शंस की फीस में बदलाव हुआ है.
  • सेंसेक्स और बैंकेक्स ऑप्शंस के प्रीमियम टर्नओवर पर प्रति करोड़ 3,250 रुपये का एक निश्चित शुल्क लगेगा, जबकि पहले यह 500 से 4,950 रुपये की रेंज में था.

डिस्काउंट ब्रोकर्स पर क्या पड़ेगा असर?

नए टैक्स स्ट्रक्चर से एंजेल वन, जीरोधा और 5पैसा जैसे डिस्काउंट ब्रोकर्स पर निगेटिव प्रभाव पड़ने की उम्मीद है. पिछली स्लैब-वाइज व्यवस्था के तहत, ब्रोकर एक्सचेंजों को दिए जाने वाले ट्रांजेक्शन फीस (जो हाई ट्रेडिंग वॉल्यूम के कारण कम थे) और क्लाइंट को दिए जाने वाले शुल्क (जो आमतौर पर अधिक थे) के बीच के अंतर से लाभ उठा सकते थे.

उदाहरण के लिए जैसे कोई ब्रोकर क्लाइंट से इक्विटी ऑप्शन के लिए प्रीमियम वै्ल्यू के प्रति लाख पर 49.50 रुपये चार्ज कर सकते थे, जबकि वॉल्यूम 2,000 करोड़ रुपये से अधिक होने पर 29.50 रुपये प्रति लाख की कम दर से पेमेंट कर सकते थे, जिससे अंतर उनके पास चला जाता था.

एक्सपर्ट्स के अनुसार, फीस एक्सचेंज में बदलाव से एक्सचेंज के रेवेन्यू पर प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है. निवेशकों को ट्रांजेक्शन फीस में कमी देखने को मिल सकती है.