क्या है Pi IOU, जो Pi Coin के बाद चर्चा में, जानें लें इसके खतरे
Pi IOU को लेकर निवेशकों में भारी भ्रम की स्थिति है. यह एक अनौपचारिक टोकन है, जिसे कुछ एक्सचेंजों ने लिस्ट किया लेकिन Pi Network से इसका कोई आधिकारिक संबंध नहीं है. मेननेट लॉन्च के बाद इसकी कीमत में भारी गिरावट आई, जिससे निवेशकों को बड़ा झटका लगा. पूरी सच्चाई जानिए!

Pi Coin के साथ दुनिया क्रिप्टोकरेंसी के उस नए दौर में पहुंच चुकी है जहां लोग अब बिना किसी महंगे हार्डवेयर या भारी बिजली खर्च के आप क्रिप्टोकरेंसी कमा सकते हैं. Pi Network ने इसी वादे के साथ लाखों यूजर्स को आकर्षित किया लेकिन इसके आधिकारिक लॉन्च से पहले एक और कॉनसेप्ट आया ‘Pi IOU’. इसे लेकर लोगों में उत्सुकता भी रही और संदेह भी. अब जबकि Pi Coin का मेननेट लॉन्च हो चुका है, यह समझना जरूरी हो गया है कि Pi IOU क्या है, यह Pi Coin से कैसे जुड़ा है और इसे लेकर क्या चेतावनी दी गई?
क्या है Pi IOU और इसका Pi Coin का संबंध
Pi IOU को कुछ एक्सचेंजों ने इस आधार पर लिस्ट किया था कि भविष्य में इसे Pi Coin में बदला जा सकता है. लेकिन इसका Pi Network से कोई आधिकारिक संबंध नहीं था. यह केवल एक तरह का फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट था, जिसमें निवेशक Pi Coin की भविष्य की कीमत पर दांव लगा रहे थे. IOU का अर्थ होता है “I Owe You”, यानी यह एक वादा था कि जब Pi Network पूरी तरह लॉन्च होगा, तो इसे वास्तविक Pi टोकन में बदला जा सकेगा.
जब तक Pi Coin मेननेट पर नहीं आया था, तब तक Pi IOU का अस्तित्व सिर्फ एक वादे के रूप में बना रहा. लेकिन अब जबकि Pi Network का मेननेट लॉन्च हो चुका है, इसके बाद भी Pi IOU को लेकर स्थिति साफ नहीं है. कुछ एक्सचेंजों ने इसे हटाना शुरू कर दिया है, जिससे यह साबित होता है कि यह एक अनौपचारिक संपत्ति थी, जिसे केवल ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल किया गया था.
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Pi IOU से जुड़ी चेतावनी और जोखिम
- आधिकारिक मान्यता नहीं: Pi Core Team ने स्पष्ट किया था कि Pi IOU का उनकी आधिकारिक परियोजना से कोई संबंध नहीं है. यह पूरी तरह से साफ है कि इसे थर्ड पार्टी ने लॉन्च किया था.
- भारी सट्टा और अस्थिरता: Pi IOU की कीमत पूरी तरह से बाजार की अटकलों पर निर्भर थी. HTX एक्सचेंज ने इसे हटाने के बाद इसकी कीमत 50 फीसदी से अधिक गिर गई, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ.
- असमान रूपांतरण नीतियां: हर एक्सचेंज के पास IOU को वास्तविक Pi Coin में बदलने की अलग-अलग नीतियां थीं जिससे इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे.
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