Retail Trader कर पाएंगे Algo का इस्तेमाल, सेबी ने जारी किया ड्राफ्ट, 3 जनवरी तक मांगे सुझाव
बाजार नियामक सेबी ने Algo Trading पर एक बड़ा कदम उठाया है. सेबी ने शुक्रवार को एक ड्राफ्ट जारी किया है. इसमें बताया गया है कि Retail Traders भी अब Algo का इस्तेमाल कर पाएंगे. इसके संबंध में सेबी ने सभी हितधारकों से 3 जनवरी तक सुझाव मांगे हैं.
SEBI ने शुक्रवार को एक ड्राफ्ट जारी किया है. इसमें रिटेल निवेशकों के एल्गो ट्रेडिंग इस्तेमाल से जुड़े नियमों का जिक्र किया गया है. सेबी की तरफ से रिटेल ट्रेडर्स के लिहाज से यह बड़ा कदम है. एल्गो ट्रेडिंग असल में कंप्यूटर प्रोग्राम आधारित ट्रेडिंग है. इसमें ऑर्डर प्लेसमेंट से लेकर तमाम तरह के फैसले कंप्यूटर प्रोग्राम एक एल्गोरिदम के आधार पर खुद ही करता है. इससे ट्रेडर्स को काफी सहुलियत होती है.
SEBI ने 8 पेज के ड्राफ्ट में को जारी करते हुए कहा, बाजार की एफिशिएंसी और ट्रांस्पेरेंसी बढ़ाने के लिए सेबी ने डायरेक्ट मार्केट एक्सेस (डीएमए) सुविधा के तहत एल्गोरिथमिक ट्रेडिंग (एल्गोट्रेडिंग) की शुरुआत की, जिससे ऑर्डर प्लेसमेंट में तेजी, लेनदेन लागत में कमी, अधिक पारदर्शिता, बेहतर ऑडिट ट्रेल्स और बेहतर लिक्विडिटी का फायदा मिला है. लेकिन, यह सुविधा सिर्फ संस्थागत निवेशकों तक ही सीमित रही है. सेबी अब इन लाभ को रिटेल ट्रेडर्स तक आगे बढ़ाना चाहता है.
रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का होगा रिव्यू
सेबी ने अपने ड्राफ्ट में कहा है कि एल्गो ट्रेडिंग की बदलती प्रकृति और खुदरा निवेशकों की तरफ से एल्गो ट्रेडिंग की बढ़ती मांग के चलते इसके रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की समीक्षा करनी होगी. यह जरूरी है कि रिटेल ट्रेडर और इन्वेस्टर भी एल्गो ट्रेडिंग में भाग लेने में सक्षम हो सकें. रिटेल ट्रेडर्स के लिए सेबी पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ एल्गो के इस्तेमाल की सुविधा को बढ़ाना चाहता है.
ब्रोकर और एक्सचेंज की जिम्मेदारी
सेबी ने अपने ड्राफ्ट में ब्रोकर और एक्सजेंच की जिम्मेदारी तय की है. इसके साथ ही उन तमाम नियमों का जिक्र किया है, जिनके साथ रिटेल ट्रेडर एल्गो के जरिये ट्रेड कर पाएंगे. यूजर एंड पर लागू होने वाले नियमों मे सबसे अहम नियम है कि हर एल्गो ऑर्डर की यूनिक आईडी होना जरूरी होगा. इसके अलावा हर एल्गो (Algos) के लिए ब्रोकर को एक्सचेंज से मंजूरी लेनी होगी. इससे पहले सभी एल्गो प्रोवाइडर को एक्सचेंज पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
एल्गो प्रोवाइडर माने जाएंगे ब्रोकर
सेबी ने ड्राफ्ट में बताया है कि एल्गो प्रोवाइडर को किसी ब्रोकर के एजेंट की तरह ही माना जाएगा. इसके अलावा एक तय सीमा से ज्यादा प्रति सेकंड ऑर्डर को एल्गो माना जाएगा. इसके अलावा अगर रिटेल निवेशक (Retail Investors) खुद एल्गो बनाना चाहें, तो उन्हें इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा. किसी भी रिटेल ट्रेडर के एल्गो का इस्तेमाल वह खुद या उसके के लोग ही कर पाएंगे. इसके अलावा एल्गो ट्रेडिंग से जुड़े रिस्क मैनेजमेंट को लेकर ट्रेडर्स को एक्सचेंज अलग से नियम जारी करेंगे.
क्या होगी एक्सचेंज की भूमिका
स्टॉक एक्सचेंज की भूमिका और जिम्मेदारियों की बात करते हुए इस ड्राफ्ट में बताया गया है कि एक्सचेंज एल्गोरिथम ट्रेडिंग की निगरानी के लिए जिम्मेदार होंगे. खासतौर पर एक्सचेंज को एल्गोरिथम की टेस्टिंग के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू करनी होगी. इसके अलावा एल्गोरिथम ऑर्डर और ट्रेडों की निगरानी करनी होगी. किसी विशेष एल्गो आईडी से आने वाले ऑर्डर के लिए किल स्विच की क्षमता जारी रखनी होगी. सेबी का पूरा ड्राफ्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.