सेबी ने दी डिजीलॉकर में डीमैट, म्यूचुअल फंड के स्टोरेज और एक्सेस को मंजूरी, जानें आपका क्या फायदा?
शेयर बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी ने डीमैट और म्यूचुअल फंड को डिजीलॉकर में स्टोर करने की मंजूरी दी है. डिजीलॉकर केंद्र सरकार का एक डिजिटल डॉक्यूमेंट वॉलेट है. अब निवेशक इसका इस्तेमाल अपने इन्वेस्टमेंट्स के रिकॉर्ड रखने के लिए कर पाएंगे. जानते हैं आम निवेशकों को इसका क्या फायदा होगा?
भारतीय शेयर बाजार के नियामक Securities and Exchange Board of India ने बुधवार 19 मार्च को डिजीलॉकर के साथ साझेदारी का ऐलान किया है. इस साझेदारी के तहत निवेशक अपने डीमैट और म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स की जानकारी डिजीलॉकर में स्टोर और एक्सेस कर पाएंगे.
क्यों किया गया यह फैसला?
सेबी ने निवेशकों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डिजीलॉकर के साथ साझेदारी की है. इस पहल का मकसद निवेशकों को उनके डीमैट खाते और म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स की जानकारी को सुरक्षित और सुगम तरीके से स्टोर और एक्सेस करने में मदद करना है.
डिजिलॉकर का इस्तेमाल
डिजीलॉकर एक सरकारी डिजिटल स्टोरेज सिस्टम है, जो अहम दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से सुरक्षित रखने की सुविधा देता है. अब, निवेशक अपने डिमैट खातों में मौजूद शेयर्स और म्यूचुअल फंड यूनिट्स की होल्डिंग स्टेटमेंट्स को भी डिजीलॉकर में स्टोर कर पाएंगे.
नॉमिनी के लिए होगी आसानी
सेबी के इस प्रस्ताव के तहत निवेशक डिजीलॉकर में अपने वित्तीय दस्तावेजों के लिए नॉमिनी नियुक्त कर पाएंगे. इससे निवेशक की मौत के बाद डिजीलॉकर सिस्टम नॉमिनी को सूचित करेगा, जिससे नॉमिनी निवेशक की वित्तीय जानकारी तक पहुंच पाएंगे और एसेट्स का ट्रांसफर कर पाएंगे.
नॉमिनेशन प्रक्रिया में सुधार
सेबी ने डीमैट खाते और म्यूचुअल फंड फोलियो में नॉमिनेशन से संबंधित नियमों में भी अहम बदलाव किए हैं. अब, एक निवेशक अधिकतम 10 व्यक्तियों को नॉमिनी के रूप में नियुक्त कर सकता है. इसके लिए नॉमिनी की विस्तृत जानकारी, जैसे फोन नंबर, ईमेल, पता, आधार नंबर, पैन नंबर भी देना जरूरी है.
आम निवेशक को क्या फायदा?
- डिजीलॉकर से ही यूजर डीमैट खातों के कंसोलिडेटेड अकाउंट स्टेटमेंट (CAS) देख पाएंगे. इसके साथ ही शेयरों और म्यूचुअल फंड यूनिट्स की होल्डिंग्स का विवरण देख पाएंगे. यह डिजीलॉकर सेवाओं का विस्तार करता है, जिसमें पहले से ही बैंक खाते के विवरण, बीमा पॉलिसी प्रमाणपत्र और एनपीएस खाते के विवरण शामिल हैं.
- DigiLocker का डाटा एक्सेस करने के लिए नॉमिनी नियुक्त किया जा सकेगी, जिससे मौत के बाद नॉमिनी के लिए शेयरों और म्यूचुअल फंड्स नॉमिनी की पहुंच आसान हो जाएगी. इससे उत्तराधिकारी को एसेट्स ट्रांसफर के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.