क्या होती है Algo Trading जिसका अब छोटे निवेशक भी कर सकेंगे यूज, जानें क्या होगा फायदा

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने खुदरा निवेशकों के लिए एल्गो ट्रेडिंग की अनुमति दे दी है. यह सुविधा खुदरा निवेशकों को 1 अगस्त 2025 से मिलेगी. 1 अगस्त के बाद खुदरा निवेशकों के लिए शेयर खरीदने और बेचने में आसानी होगी. एल्गो ट्रेडिंग के कई फायदे हैं, जिनका लाभ छोटे निवेशक उठा सकते हैं.

एल्गो ट्रेडिंग Image Credit: Freepik.com

Algo Trading: अगर आप भी शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद काम की है. शेयर मार्केट में अक्सर देखा जाता है कि कभी फायदा तो कभी नुकसान का सामना करना पड़ता है, लेकिन टेक्नोलॉजी के जरिए इसका समाधान किया जा सकता है. इस सुविधा को एल्गो ट्रेडिंग के नाम से जाना जाता है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने खुदरा निवेशकों के लिए एल्गो ट्रेडिंग का रास्ता साफ कर दिया है. यह सुविधा पहले बड़े निवेशकों को मिलती थी. अब खुदरा निवेशक इसके जरिए आसानी और तेजी से ट्रेडिंग कर सकते हैं.

क्या है एल्गो ट्रेडिंग

एल्गो ट्रेडिंग में एल्गो का मतलब एल्गोरिदम से है. एल्गो ट्रेडिंग में कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिए शेयरों को चुनने और शेयरों की खरीद-बिक्री में मदद मिलती है. इसमें किसी व्यक्ति के हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं होती है. मान लीजिए आपको किसी स्टॉक में दिलचस्पी है, तो आप सेट कर सकते हैं कि कितने पर खरीदना है और कितने पर बेचना है. यह सबकुछ एक बार सेट करने के बाद ऑटोमैटिक हो जाएगा. एल्गो ट्रेडिंग को ऑटोमेटेड ट्रेडिंग या क्वांटिटेटिव ट्रेडिंग (Quantitative Trading) भी कहा जाता है. इससे ट्रेडिंग बहुत तेजी से होती है.

1 अगस्त से मिलेगी सुविधा

भारत में अब खुदरा निवेशक एल्गो ट्रेडिंग का हिस्सा बन सकते हैं. यह सुविधा खुदरा निवेशकों को 1 अगस्त 2025 से शुरू होगी. 1 अगस्त के बाद खुदरा निवेशकों को शेयर खरीदने और बेचने में आसानी होगी. खुदरा निवेशकों के लिए एल्गो ट्रेडिंग के लिए सेबी ने कुछ नियम भी बनाए हैं, जिन्हें निवेशकों और ब्रोकरों को पालन करना होगा.

ऐसे होगा काम

अब सवाल है कि एल्गो ट्रेडिंग काम कैसे करेगा. एल्गो ट्रेडिंग सिर्फ रजिस्टर्ड ब्रोकर के जरिए होगा. निवेशक उन्हीं ब्रोकर से यह सुविधा ले सकते हैं जो सेबी के पास रजिस्टर्ड हों. हर एल्गो ऑर्डर के लिए ID दिया जाएगा, जिससे ट्रेड को ट्रैक किया जा सके. ब्रोकर को एल्गो और सामान्य ऑर्डर के बीच अंतर सुनिश्चित करना होगा, साथ ही एल्गो ट्रेडिंग के सभी नियमों का पालन करना होगा. अगर किसी तरह का उल्लंघन होता है तो ब्रोकर की जिम्मेदारी होगी.

एल्गो ट्रेडिंग के फायदे

  • इंस्टेंट स्पीड: एल्गो ट्रेडिंग में ट्रेड जल्दी किए जा सकते हैं. साथ ही, एल्गोरिदम एक सेकंड के भीतर चार्ट का विश्लेषण भी कर सकते हैं.
  • हाई एक्युरेसी: एल्गो ट्रेडिंग में खरीदने या बेचने के निर्णय लेने के लिए ह्यूमन इंटरवेंशन की ज़रूरत नहीं होती है, इसलिए एल्गो ट्रेड की सटीकता बहुत अधिक हो सकती है.
  • इमोशन-फ्री: कई बार ट्रेडिंग करते समय हम इमोशनल हो जाते हैं, जिससे रिजल्ट पक्ष में नहीं होते. एल्गो ट्रेडिंग इस समस्या को हल करती है क्योंकि कंप्यूटर प्रोग्राम भावनाओं से रहित होते हैं.
  • लॉन्ग टर्म लागत में कमी: एल्गो ट्रेडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने की शुरुआती लागत महंगी लग सकती है, लेकिन एक बार सिस्टम चालू हो जाने के बाद, यह लंबे समय में लागत बचाने वाला साबित होता है.
  • डाइवर्सिफिकेशन: एल्गोरिदम और कंप्यूटर प्रोग्राम कुछ ही मिनटों में कई चार्ट स्कैन करने में सक्षम होते हैं, जिससे एक ही समय में कई ट्रेड किए जा सकते हैं. साथ ही, यह डाइवर्सिफिकेशन में भी मदद करता है.
  • उच्च वॉल्यूम: एल्गो ट्रेडिंग से सेकंड के अंदर बड़ी मात्रा में सिक्योरिटीज का ट्रेड किया जा सकता है. इससे बाजार में हाई लिक्विडिटी बनाए रखने में मदद मिलती है.